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Rahul
Sajid Akhtar
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Sarfaraj idrishi
ठंड मे अंडे का रेट सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे मुर्गी नॉर्मल डिलीवरी से नहीं, बड़े ऑपरेशन से अंडे दे रही हैं।। 🤪🤣🤣 . ©Sarfaraj idrishi #WittyQuestion ठंड मे अंडे का रेट सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे मुर्गी नॉर्मल डिलीवरी से नहीं, बड़े ऑपरेशन से अंडे दे रही हो.
Sanjeev Prajapati
World Heritage Day सफेद नमक का रेट 20 से ₹40, सेंधा नमक का रेट 30 से ₹100 प्रति किलो । सफेद नमक के बाकी पैसे अपने डॉक्टर को बीपी की दवाई के रूप में दे हर साल 1000 से 100000 तक । #World_Heritage_Day सफेद नमक का रेट 20 से ₹40, #सेंधा_नमक का रेट 30 से ₹100 प्रति किलो । #सफेद_नमक_जहर_ के बाकी पैसे अपने डॉक्टर को बीपी
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
बाजार में इश्क का रेट अभी हाई है, मुफलिसी में जीने का जरिया ही तन्हाई है। शीश महल वालों खुद पर गुरुर करते रहो, मेरा रंग महल मेरी खंडहर सी लुगाई है। खटिया खड़ी करने में मशगूल ज़माने से, कैसे कहूं मेरी तीन टांग की चार पाई है। प्यार का फलसफा गले मिल कर भी अधूरा रहा, मुक्कमल करने के लिए ज़रूरी टांग खिंचाई है। ख़ुद की हार जीत के गमों जुनून से अलग, ज़माने में जमूरों संग हमने तालियां बजाईं हैं। मक्खन लगाने वालो का कद इस तरह हाई हुआ, चौराहों से गायब होने लगी सरपेटे की मलाई है। मेरी महबूब तेरी शरवती आंखों की कसम, कुंआ मिला इसी में, खांयी इसी में पाई है। जब भी आता हूं घर में तुम धधक रही होती, कैसे कहूं कि बाहर सियासत बहुत गरमाई है। दोस्तों क्या दोष दे इस दौर को ज़माने को, मुझे ही बौना समझने लगी मेरी ही परछाई है। ©Ankur Mishra बाजार में इश्क का रेट अभी हाई है, मुफलिसी में जीने का जरिया ही तन्हाई है। शीश महल वालों खुद पर गुरुर करते रहो, मेरा रंग महल मेरी खंडहर सी ल
कुलदीप सभ्रवाल
हम उम्र भर करते रहे जिनका वेट... वो ना समझ हमसे ही उम्र भर करते रहे हेट,,, 💐(दीप...3337)💐 #sunrays ...वेट & हेट...3337💐
Vinod Umratkar
टाळलं दिवसभर तिला घ्यायची नव्हती तिची भेट। ती पण जिद्दी भेटण्यासाठी रात्री स्वप्नातचं आली थेट। #yqtaai #yqmarathi #भेट #थेट #स्वप्नात
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
वक़्त का रेत ☆•••☆•••☆•••☆ लाख की कोशिशें, पर ये कम्बखत न ठहरा। वक़्त का रेत मेरे हाथों से फिसलते-फिसलते, फिसला। बिखर गया हर ख़्वाब मेरा,मुझसे न संभला। अपनों ने सीखा है यहाँ, बस अपनों को छ्लना। पल-पल अपमान की ज्वाला में,क्यों जलना? टूटी-फूटी ख्वाहिश लेकर,अब है फिर से आगे बढ़ना। पग-पग पर हैं ठग बैठें, उनसे क्या डरना? सीख लिया है हमनें भी, अब हर-एक चेहरा पढ़ना। #वक़्त का रेत