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Sthapak Harshita
कि हम न आयेंगे वापस उद्धव जाके कह देना हमारे ग्वाल वालों को इतनी इतला कर देना हमारे मां बाबा और सखियों को बता देना ना कान्हा लौट पाएगा उसको मांफ कर देना ©Sthapak Harshita # उद्धव कृष्ण प्रसंग
Vivek Kumar Singh
राधा और कृष्ण अलग नहीं, एक नाम हैं, प्रेम में श्याम ही राधा और राधा ही श्याम हैं। प्रिय का नाम हृदय-स्पंदन का छंद बन जाता है। प्रेम में दर्द भी अद्भुत आनंद बन जाता है। प्रेम जगत का सार है, ये सारे ग्रंथ कहते हैैं। प्रेमी चाहे जहाँ भी हों, असल में संग रहते हैं। प्रिय का ज़रा एक बार इंतज़ार करके देखो। जीना सीख जाओगे उद्धव, प्यार करके देखो।। राधा-उद्धव संवाद #vks #yqbaba #yqhindi #yqdidi #yqtales #yqmuzaffarpur
Kushal Tiwari King
राधे राधे शीर्षक=कृष्ण अर्जुन संवाद। कृष्णा ने अर्जुन से बोला शत्रु पर तुम वार करो। शस्त्र त्यागकर मत बैठो तुम वाणों की टंकार करो। तुम अपना गांडीव उठा के शत्रु को बल दिखला दो। धर्म अधर्म पे सदा सुशोभित उनको इतना बतला दो। अर्जुन बोले हे माधव ये कार्य ना मैं कर पाऊंगा। अपनों को मारने से पहले हे कृष्णा मैं मर जाऊंगा। बोले माधव जिनको पार्थ तुम अपना अपना कहते हो। नित उनकी पूजा करते हो नित उनके पैर भी पढ़ते हो। जिनको तुम अपना बोल रहे मतलब के सब चेहरे है। गर काश तुम्हे कभी दुख होगा सब बोलेंगे हम बहरे है। गर सच मैं ये अपने होते तो ये अन्याय नहीं करते। तुम भी तो इनके पोतें हो ये तुम पर वार नहीं करते। इसलिए साध लो धनुष बाण यह रार आर या पार करो। अपना बल पौरुष दिखलाकर शत्रु पर वाण प्रहार करो। अर्जुन बोले हे भगवन ये युद्ध मुझे ना लड़ना है। अपने संबंधी मार मार ना मुझे विजयश्री बनना है। जिनसे मैं माधव रार करूं वो चाचा, गुरूवर, काका है। उनसे विद्या मैंने सीखी वो मेरी शौर्य पताका है। तुम आज जिन्हे अपना कहते सब पानी के बलबूचे है। मैंने माना ये सब योद्धा बल और ज्ञान मैं ऊंचे है। इसलिए समंदर पार करो पर जल की चिंता मत करना। बस कर्म करो मेरे अर्जुन तुम फल की चिंता मत करना। लेखक कुशाल तिवारी नौगांव जिला छतरपुर(मध्यप्रदेश) ©Kushal Tiwari King श्री कृष्ण अर्जुन संवाद #Krishna
manoj kumar jha"Manu"
हाथों का रंग भी सूख गया, राह तुम्हारी तकते तकते। अब आँखे ही बस गीली हैं राह तुम्हारी तकते तकते।। दिया भरोसा आओगे वापस तुम ही परसों । लेकिन तब से अब तक बीत गए हैं बरसों ।। शायद अब तो साथ छोड़ दें साँसे भी राह तुम्हारी तकते तकते।। हम नहीं भूले मगर गए तुम हमको भूल । तुमको पहचानने में हमने कर दी भूल।। शायद आंखे ही नहीं दिल भी पत्थर बन जायेगा राह तुम्हारी तकते तकते।। हो जाती यदि बात तुम्हीं से दिख जाती यदि छवि कहीं से शायद आँखों पर भी बोझ नहीं पड़ता राह तुम्हारी तकते तकते।। नयन प्रतीक्षा में बैठें हैं। शब्द प्रतीक्षा में बैठें हैं। शायद आ जाओ तो ये हाथ नहीं बैठेंगे, राह तुम्हारी तकते तकते।। तुम आ जाते तो होती होली। अब बीत रही अँसुअन में होली।। स्पर्श किसी को करने नहीं देंगे राह तुम्हारी तकते तकते।। तुम चले जाओ अब यहाँ से ऊधो। नहीं तो हम मिलकर कर देंगे सूधो। बतला देना "मनु" हम प्राण छोड़ देंगे सब ही राह तुम्हारी तकते तकते।। उद्धव गोपी सम्वाद आधुनिक रूप में लक्ष्यार्थ श्री कृष्ण