Find the Latest Status about ग़ज़ल वसीम बरेलवी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, ग़ज़ल वसीम बरेलवी.
Vivek Dixit swatantra
आते आते मिरा नाम सा रह गया उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया रात मुजरिम थी दामन बचा ले गई दिन गवाहों की सफ़ में खड़ा रह गया वो मिरे सामने ही गया और मैं रास्ते की तरह देखता रह गया झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए और मैं था कि सच बोलता रह गया आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया उस को काँधों पे ले जा रहे हैं 'वसीम' और वो जीने का हक़ माँगता रह गया वसीम बरेलवी ©Vivek Dixit swatantra #samandar वसीम बरेलवी जी की ग़ज़ल
Farman Mehdi
बिछड़ जाऊ तो फिर , रिश्ता तेरी यादों से जोड़ूँगा। मुझे ज़िद है , मैं जीने का कोई मौका न छोड़ूँगा। मोहब्बत में तलब कैसी , वफ़ादारी की शर्ते क्या। वो मेरा हो न हो , मैं तो उसी का हो के छोड़ूँगा। ताल्लुक़ टूट जाने पर , जो मुश्किल में तुझे डाले। मैं अपनी आँख में , ऐसा कोई आंसू ना छोड़ूँगा। वसीम बरेलवी
Thoughts and Entertainment
यह अलग बात है दिखाई ना दे मगर शामिल जरूर होता है, खुदकुशी करने वाले का भी कोई कातिल जरूर होता है ।।। #वसीम बरेलवी
Shaurya chauhan
वो अपने वक़्त के नशे में खुशियां छीन ले तुझसे, मगर जब तुम हँसी बांटो तो उसको भूल मत जाना.. वसीम बरेलवी...
Himanshu Kuniyal
कहां सवालों के तुमसे जवाब मांगते हैं हम अपनी आंखों के हिस्से के ख्वाब मांगते हैं। हमीं को दरिया पे जाने से रोकने वाले हमीं से पानी का सारा हिसाब मांगते हैं अजीब लोग हैं इनपर तो रहम आता है जो कांटे बोकर ज़मीं से गुलाब मांगते हैं ~वसीम बरेलवी #वसीम बरेलवी