Find the Latest Status about असमर्थता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, असमर्थता.
सिद्धार्थ गौतम
दरवाज़ें तेरे बंद है लेकिन इनमें झरोखे बाकी है, तूने हवा को रोक लिया है रौशनी आना बाकी है। ©Robiinn #असमर्थता
Saurav Dangi
असमर्थता मुझे तुमसे कुछ बोलना है... यही कि बस मुझे तुमसे कुछ नहीं बोलना है , बोलने को बहुत बोलना है बस बोल नहीं पा रहा हूं... असमर्थता
Aditya Kumar Bharti
हमने मरते देखा है आदमी को बड़े ही करीब से। क्या कहें कर कुछ नहीं पा रहे हैं हम अपने भी नसीब से।। ©Aditya Kumar Bharti #असमर्थता #covidindia
Ex_bhoot
"कोमल" अब तुम्हें स्पष्टीकरण देने का सामर्थ्य भी नहीं बचा मुझमें बस यह अब स्वयं को दिलासा देने के सिवा तुम्हारे जाने के बाद जीवन में शेष कुछ नही बचा । ©Evil spirit (bhoot) मेरी असमर्थता #evilspirit #viral #nojoto #writerscommunity
Rashmi Maurya
अगर आपको वो काम नहीं आता जो अपने कभी किया नहीं है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है इस असमर्थता के चलते आपकी योग्यता पर सवाल उठाने वाले की मानसिकता अवश्य संकीर्ण है उचित यही है की उनकी इस मानसिकता की वजह से आप अपनी मानसिक अवस्था कभी प्रभावित न होने दे| #afraidofbeingjudged #afrai #असमर्थता #योग्यता #मानसिकता #संकीर्ण #मानसिकअवस्था if someone judged you for enablity in doing that which you even never try to
साहस
कड़ियां निडरता एवं समर्थता का प्रतीक है, जो तो अबलाओं के धैर्य और कृतार्थ का स्वास्तिक है। जिससे इन कड़ियों को धारण करने के पश्चात अपनी समझदारियों से पूरी चेष्ठा में सजती है। चूड़ियां कायरता या असमर्थता का प्रतीक नही है, ये तो महिलाओं के उस शौर्य एवं सामर्थ्य का प्रतीक है, जो इन चूड़ियों को पहनने के बाद,
Asha Giri
"पराजय" पूर्ण कविता अनुशीर्षक में..... मुझे वह बहुत खलती थी। मेरे सम्मान को चोट पहुँचाती थी। मेरी जिंदगी के मायने उसने छीने थे। मुझे मेरी असमर्थता याद दिलाती थी। हाँ मेरी "पराजय",
Anita Saini
"पुरूष रोते नहीं” ये कहावत सही नहीं है,क्योंकि वही पुरूष नहीं रोते जो दूसरों को रूलाते हैं! जो आत्माभिमान के दर्प में चूर होते हैं। वो केवल अधिकार याद रखते हैं कर्तव्यों से मुख मोड़ लेते हैं ऐसे पुरूष अपनी आत्मा की नहीं सुनते या सुनकर अनसुना करते हैं उनकी भावनाएँ तिरोहित हो जाती है आत्मिक और रक्त संबंधों के प्रति! अन्यथा पुरूष के आँसू बहते देखे हैं हमने एक माँ की पीड़ा में बहन के दुःख में बेटी के कष्ट में! अपनी विवशता पर क्रोध को पीते हुए! केवल आँसू बहाकर शांत होते हुए। विवश ऑंखों से बहाता है सारा क्रोध,लाचारी, असमर्थता व अपमान का विष नस नस से बहता हुआ निकलता है आँखों के कोरों से। "पुरूष रोते नहीं” ये कहावत सही नहीं है,क्योंकि वही पुरूष नहीं रोते जो दूसरों को रूलाते हैं! जो आत्माभिमान के दर्प में चूर होते हैं। वो के