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its Me Balaji
Dhyaan mira
waqt nahi... bit to hum rahe h... saanson ki ret k ik ik kan me... gir to hum rahe h.!!! ©dhyan mira #writer बेबाक कन्नौज Ramraj Kumar पंडित आनंद जी Satyam Maddheshiya raj sisodiya 945
Krish Vj
मन मेें हिलोरे लेता यह तूफ़ान और... नदिया सागर संग अठखेलियाँ कर रही उद्विग्न मन से प्रस्फुटित अनगिनत सवाल सवालों का जवाब लेने, अब जाएँ कहाँ?? प्रेम अथाह मन मेें, सागर से गहरा यह... प्रियतमा की बेबसी और सितम वक़्त का, पागल दिल होकर मज़बूर सोचता रहा, तड़पता यह दिल अब अब जाएँ कहाँ?? ज़िंदगी प्रेम का नाम बिना प्रेम जिए कैसे प्रेम पूजा ईश्वर की, बिन ईश पूजे किसे? भटकता फिर रहा दर-ब-दर जाने कहाँ मिले कैसे ज़िंदगी? ढूँढने अब जाएँ कहाँ?? ♥️ Challenge-945 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके
Vedantika
अब जाएँ कहाँ हम तुम्हें छोड़कर? क़दमों तले रास्ते हुए गुमशुदा है। चारों तरफ़ है अब सैलाब आँसुओं का, ख़ुशियों का मिट गया नामोनिशान है। सिसकियों में डूबी हर साँस एक हब्स, इस दिल के दर्द के यहाँ सौ मेहरबां है। कुछ ऐसे ही तन्हाई हमें ख़ौफ़ज़दा करें, बढ़ गए फासलें जब से हमारे दरम्यान है। कोई नहीं ग़मगुसार लगे मतलबी दुनिया मे, तेरे मस्कन से ज्यादा महफूज जगह कहाँ है? न कोई पतवार हैं इस ज़िंदगी की कश्ती की। दरिया आँखों का साहिल बेआवाज़ तोड़ता है। ♥️ Challenge-945 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके
N M
भंवर में फंसे हैं कोई तो राह दिखाये जरा किसपे करें यकीन हर कोई घात लगाये बैठा| ♥️ Challenge-945 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके
Nitesh Prajapati
ना मिलती है कोई जगह, मेरी तन्हाईयों को छुपाने की, ना ही दिखती है कोई राह, दिल की कश्मकश को मिटाने की। मेरी खुशियां और मेरे सुकून के, सारे रास्ते तूने छीन लिए, जाये तो अब जाएँ कहाँ, इन बहते हुए आंसुओं को छुपाने। सुबह आँखे खुलते ही तेरी याद मुझे सताए, दिन में लोगों के सवाल मुझे मारे, शाम होते ही सताने लगता है अंधेरे का डर, क्युकी रात की तन्हाईयां भी मुझे पल पल मे मारे। आज फिर रहा हूंँ में अकेला, दुनिया के इन अंधेरे गलियारों में, तेरी यादें ना ही चैन से मुझे जीने देती है, ना ही चैन से मुझे मरने देती है। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-945 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके
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जीवन रूपी समंदर कश्ती रूपी संघर्षो का अपने कर्मो के मांझी बनकर सही दिशा से भटकाने वाली लहरों को पहचान कर अपनी कामयाबी रूपी लहरों का विकल्प तलाश कर अपने भविष्य को आयाम देना सीख लो, किनारे लग जाये ख़ुद कश्ती बिना किसी परिश्रम के तो कामयाबी कभी मिलती नहीं,अब जाएँ कहाँ.? सोचने से बेहतर है अपने कर्मो की और ख़ुद को दृष्टिकोणित कर लेना सीख लो, क्योंकि जीवन रूपी समंदर भी तुम्हारा संघर्ष रूपी कश्ती भी तुम्हारी ही है,इसलिए दूसरो को मांझी बनाने से बेहतर है ख़ुद से अपनी कश्ती के मांझी बनना सीख लो, ♥️ Challenge-945 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके
Vikas Sharma Shivaaya'
इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे, सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन्हें किसी फरिश्ते की आवाज सुनाई दी, ‘मौत आकर तुझे झकझोरे, इससे पहले ही जाग जा । अपने को जान ले कि तू कौन है और इस संसार में क्यों आया है। ‘ यह आवाज सुनते ही संत इब्राहिम की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्हें लगा कि बादशाहत के दौरान अपने को बड़ा मानकर उन्होंने बहुत गुनाह किया है। वे ईश्वर से उन गुनाहों की माफी माँगने लगे। एक दिन वे राजपाट त्यागकर चल दिए । निशापुर की गुफा में एकांत साधना कर उन्होंने काम, क्रोध, लोभ आदि आंतरिक दुश्मनों पर विजय पाई। वे हज यात्रा पर भी गए और मक्का में भी पहुँचे हुए फकीरों का सत्संग करते रहे। एक दिन वे किसी नगर में जा रहे थे कि चौकीदार ने पूछा, ‘तू कौन है?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘गुलाम । ‘ उस चौकीदार ने फिर पूछा, ‘तू कहाँ रहता है, तो इस बार जवाब मिला, ‘कब्रिस्तान में ।’ सिपाही ने उन्हें मसखरा समझकर कोड़े लगा दिए, पर जैसे ही उसे पता चला कि वे पहुँचे हुए संत इब्राहिम हैं, तो वह उनके पैरों में गिरकर क्षमा माँगने लगा। संत ने कहा, ‘इसमें आखिर क्षमा माँगने की क्या बात है? तूने ऐसे शरीर को कोड़े लगाए हैं, जिसने बहुत वर्षों तक गुनाह किए हैं। ‘ कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘सारे मनुष्य खुदा के गुलाम हैं और गुलामों का अंतिम घर तो कब्रिस्तान ही होता है।’ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 945 से 956 नाम ) 945 रुचिरांगदः जिनकी अंगद(भुजबन्द) कल्याणस्वरूप हैं 946 जननः जंतुओं को उत्पन्न करने वाले हैं 947 जनजन्मादिः जन्म लेनेवाले जीव की उत्पत्ति के कारण हैं 948 भीमः भय के कारण हैं 949 भीमपराक्रमः जिनका पराक्रम असुरों के भय का कारण होता है 950 आधारनिलयः पृथ्वी आदि पंचभूत आधारों के भी आधार है 951 अधाता जिनका कोई धाता(बनाने वाला) नहीं है 952 पुष्पहासः पुष्पों के हास (खिलने)के समान जिनका प्रपंचरूप से विकास होता है 953 प्रजागरः प्रकर्षरूप से जागने वाले हैं 954 ऊर्ध्वगः सबसे ऊपर हैं 955 सत्पथाचारः जो सत्पथ का आचरण करते हैं 956 प्राणदः जो मरे हुओं को जीवित कर सकते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' इब्राहिम बल्ख के बादशाह थे, सांसारिक विषय- भोगों से ऊबकर वे फकीरों का सत्संग करने लगे। बियाबान जंगल में बैठकर उन्होंने साधना की । एक दिन उन