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Diwan G
फिजा में महक कहाँ से घुली है, खुश्बू का राज समीर से पूछो। पानी क्यों जीवन का आधार है, पानी का सार तुम नीर से पूछो। जिंदगी के मायने होते हैं क्या, पीर से पूछो या फकीर से पूछो। तेरी कितनी खतायें माँफ करूँ, खुद ही खुद के जमीर से पूछो।। ©Diwan G #नीर #समीर #पीर #फकीर #जमीर #दिवानजी
M.K Meet
🌹 ग़ज़ल 🌹 !! मेरे हवास पे यारों,वो ऐसे छाएं है..2 बताऊं कैसे मैं उनको वो दिल को भाए हैं!! 💞💞💞💞 अजब खुमारी है तारी,उन्ही के सदके से हर-एक ज़िक्र में अब तो वो ही समाए हैं!! 💞💞💞💞 कोई भी लम्हा नहीं ऐसा न याद वो आएं मेरे हवास में आकर के वो घर बनाएं हैं!! 💞💞💞💞 बहाने ढूंढता हूं अक्सर मैं, खुद को झुठला दुं न ख्वाब उनकी नजर ने, कोई दिखाएं हैं!! 💞💞💞💞 तुम्ही बता दो जरा 'मीत' ये मेरी चाहत को चाहा है जिनको सदा उनसे ही छुपाएं हैं!! meet ✍️ 17/8/20 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 गज़ल मीत की....
M.K Meet
!!गजल !! जिस-जिस को ❤️❤️💖💖👩❤️👩 दिल ने चाहा, उस-उस ने दिल को तोड़ा💔💔💔💔💔 राहों में दोस्ती के....2 हमको अकेला छोड़ा कोई हमसफ़र किसी का, होता नहीं सफर मे तनहा हैं राही सब हीं, लोगों भरी दहर में किसी को पता नहीं,कब , किस्तम ने राह मोड़ा!! जिस-जिस को 💖💖❤️❤️💖 उस-उस ने दिल को💔💔💔💔💔💔 कहने को दोस्ती है🤝, कहने कोआशिकी हैं,👩❤️👩 कुछ भी नहीं भरोसा,दो पल की जिंदगी है किसी मोम की तरह ही, पिघला के हमको छोड़ा जिस-जिस को 💖💖❤️❤️💖 उस-उस ने दिल को💔💔💔💔💔💔💔 meet ✍️ 16/8/20 #meltingdown गज़ल मीत की......
Deep bawara
तुम्हारी चूत के वलवले हो रहें है हम भी कितने सरफिरे हो रहें है चलो चल के करे चुदाई तुम्हारे चूत के द्वार खुल रहे है ©Deep bawara #Nojoto #YourQuoteAndMine #शेर #शायरी #गज़ल #ग़ज़ल
Azeem Khan
कब तेरे हुस्न के इमकान समझते होंगे । इंसान बस तुझे इंसान समझते होंगे । थोड़ा मोहताज़ रहा कर मेरी जां । शहर के लोग तुझे मेरी जान समझते होंगे । सुनो मैं मीर का दीवान समझता हूं उसे । जो नमाज़ी हैं, कुरान समझते होंगे । मुझे पूंछ तेरे होंठ पे, तिल है क्यों कर । ये नुक्ता कहां नादान समझते होंगे । gajal- अमीर इमाम साहिब # ग़ज़ल# अमीर इमाम साहिब #
Anamika Gupta
ग़ज़ल मुहब्बत का' होगा असर धीरे धीरे। ज़माने को' होगी ख़बर धीरे धीरे॥ जो' करके गए थे मुहब्बत का' वादा, वो' होते गये बेख़बर धीरे धीरे। सनम जब से तुम बेवफा हुए हो , मुहब्बत के' सूखे शजर धीरे धीरे। तरन्नुम मे' मैंने ग़ज़ल जब पढ़ी तो , हुई मस्त महफ़िल, नगर धीरे धीरे। जिधर देखिए अब दरिंदे खड़े हैं , बशर हो रहा जानवर धीरे धीरे । सभी के लिए अनु दुआ माँगती है, मिले सबको शुहरत मगर धीरे धीरे। --अनामिका "अनु" गया , बिहार शायरी की ग़ज़ल
Sudha Tripathi
आप सभी को आज रात 9:00 बजे आमंत्रित करती हूं पहली बार औपचारिक रूप से nojoto पे live show में आ रही हूँ ©Sudha Tripathi ग़ज़ल की शाम
Anamika Gupta
किसी को किसी की ज़रूरत नहीं है। बशर को बशर से मुहब्बत नहीं है। तुम्हीं पे सभी कुछ ऐ जानम है वारा कहूँ कैसे तुमसे कि उल्फ़त नहीं है। हुई है मुहब्बत तुम्हीं से सजन रे कहूँ तुझसे कैसे कि हिम्मत नहीं है। बहुत ज्ञान बांचा रहम भी करो अब मुझे ज्ञान की अब ज़रूरत नहीं है। दरिंदे हुए 'अनु' बशर आज देखो नजर में किसी की शराफ़त नहीं है। -- अनामिका 'अनु' गयाजी शायरी की ग़ज़ल