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Dr Usha Kiran
काटकर दूजा फिर वनवास महल में लौटेंगे श्री राम। निज गृह पैठेंगे श्री राम सिंहासन बैठेंगे श्री राम। धन्य अवध की पावन माटी मिला फिर से खोया सम्मान, जगत के कण-कण के श्री राम अवध के राजा जी श्री राम। ©Dr Usha Kiran #दूजा बनवास
सानू
मैं तेरे हाथों मर जाऊँ, हाँ शायद फिर तो तर जाऊँ, बनवास कभी तुझ संग बीते, और फिर जा के मैं घर जाऊँ। बनवास #yqdidi #yqhindi #yqbaba #yqshayari
Surendra Tanwar
लड़के पिता को गले नहीं लगाते। लड़के पिता के गालों को नहीं चूमते और न ही पिता की गोद में सर रख कर सुकून से सोते हैं, पिता और पुत्र का संबंध मर्यादित होता है.... बाहर रहने वाले लड़के अक्सर जब घर पर फोन करते हैं तो उनकी बात मां से होती है, पीछे से कुछ दबे-दबे शब्दों में पिताजी भी कुछ कहते हैं, सवाल करते हैं या सलाह तो देते ही हैं.... जब कुछ नहीं होता कहने को तो खांसने की हल्की सी आवाज उनकी मौजूदगी दर्ज करवाने के लिए काफ़ी होती है, पिता की शिथिल होती तबियत का हाल भी लड़के मां से पूछते हैं और दवाइयों की सलाह, परहेज इत्यादि बात भी लड़के मां के द्वारा ही पिता तक पहुंचाते हैं.... जैसे बचपन में कहीं चोट लगने पर मां से लिपट कर रोते थे वैसे ही युवावस्था में लगी ठोकरों के कारण अपने पिता से लिपट कर रोना चाहते हैं, अपनी और अपने पिता की चिंताएं आपस साझा करना चाहते हैं परन्तु ऐसा नहीं कर पाते.... पिता और पुत्र शुरुआत से ही एक दूरी में रहते हैं, दूरी अदब की, लिहाज की, संस्कार की या फिर जनरेशन गैप की, हर बेटे का मन करता है कि वो इन दूरियों को लांघता हुआ जाए और अपने पिता को गले लगा कर कहे कि "पापा, आई लव यू".... , मगर लड़के यह नहीं कर पाते, वो मां से जितना प्रेम करते हैं पिता का उतना ही सम्मान, अदब और लिहाज करते हैं और ये सम्मान और लिहाज की दीवारें इतनी बड़ी हो चुकी है कि इनको पार करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.. ©Surendra Tanwar #पिताजी
दिनेश
मेरे सुख मेरे दुख का हर हिसाब हैं पिताजी, मेरी कोशिशें,मेरी कामयाबी मेरा हर ख्वाब हैं पिताजी। जब संग है पिताजी तो मुश्किलों से घबराना कैसा? मेरा हौसला ,मेरा विश्वास मेरा रुआब हैं पिताजी। गलतफहमी है मुझे कि किस्मत बुलंद है मेरी, मैं कुछ नहीं हूं उनके बिना तकदीर की किताब हैं पिताजी। ©दिनेश पिताजी
Anil Tuli
प्रेरणा प्रेरणा वो नहीं है जिसने बीस हजार मजदूरों से अपनी प्रेमिका के लिए महल बनवाया और हाथ कटवा दिए। प्रेरणा उससे लो जिन्होंने माता पिता के एक वचन के लिए चौदह वर्ष का बनवास काट लिए। चौदह वर्ष का बनवास काट लिए
Shreyashi Mishra
मैंने गहरी सांस लेते हुए उनसे कहा था ,सब ठीक है। उन्होंने मुस्कुरा कर कहा जिंदगी की मुसीबतो से ,इसी गुरुर में हर बार तुम मिलना।। happy father's day पिताजी