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D Anand Singer

निर्गुण भजन #समाज

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सुरेश चौधरी

निर्गुण भजन

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तन  बिगाड़ा  मन   बिगाड़ा  रे
डूब    डूब   कर   द्वेष   गरल में
छोड़   अहंकार   जी  ले  प्राणी
प्रेम  प्रीत  सा  सहज  सरल में

पी  प्राणी  कुम्भ राम  रस  का
अजी पी प्याला श्याम रस का 

तूने   मैली   की  माया  मोह  से   चदरिया
आई   क्यूं   जिंदगानी पर  काली बदरिया
गुमान  तू  मत  कर पांच तत्व  के चोले  पर
तेरे तन की इक दिन ढह जायगी अटरिया

धन   दौलत   के  पीछे   भागा 
पी  हाला  क्रोध  काम रस का
पी   प्राणी  कुम्भ राम  रस का
अजी पी प्याला श्याम रस का 

माटी    के  पुतले  माटी  में  मील  जायंगे    
महल  मालिया  तेरे  सब  यहीं रह जायंगे 
सांस सांस बस काम क्रोध धरे रह जायंगे 
संभल जा प्यारे छोड़ सब प्रभु घर जायंगे 

कितनी  कर   ली  कमाई   इंदु
अब  पी   हरी  नाम   रस   का
पी   प्राणी  कुम्भ  राम रस का
अजी पी प्याला श्याम रस का 


****** निर्गुण भजन

Anurag Sanskar

निर्गुण भजन

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बन्दे चल सोच समझ के क्यों ये जनम गवाय,
बार बार ये नर्तन चोला तुझे न मिलने पाय ॥

बचपन बीता आई जवानी खूब चैन से सोया,
गुजर गई अनमोल घडी तो देख बुढ़ापा रोया,
इस योवन पे नाज तुझे वो मिटटी मैं मिल जाये,
बन्दे चल सोच समझ के......

झूठ कपट से जोड़ा तुमने अपना माल खजाना,
काम क्रोध मध् लोभ मैं फास कर प्रभु को न पहचाना,
मुठ्ठी बांध के आया जग में हाथ पसारे जाए,
बन्दे चल सोच समझ के.....

ये दुनिया है सराय है मुशाफिर छोड़ इसे है जाना,
कोई किसी का नहीं जगत मैं ये तन है बेगाना,
उड़जाये पिंजरे का पंछी पिंजरा साथ न जाये,
बन्दे चल सोच समझ के....... निर्गुण भजन

Ramkinkar sharma

श्रीहनुमान् स्तुति रचयिता बनारसी"दास" #Motivational

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Ramkinkar sharma

🌹श्रीविन्ध्यवासिनीचरितामृत🌹पुस्तकलेखकबनारसी"दास" #Poetry

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Ramkinkar sharma

रचयिता बनारसी"दास" edited by ramkinkar sharma #Motivational

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Ek villain

#कवि बनारसी दास का दर्पण की तरह बेबस आत्मचरित्र #Hope #Society

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कवि बनारस दास का आत्म चरित्र का नाटक को हिंदी भाषा की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाता है हिंदी में यह प्रचलित रहा है कि एक दौर में बादशाहों के जीवन चरित्र लेखन की प्रथा तो थी मगर प्रजा के लिए अपना आत्म चरित्र लिखना एक अनोखी घटना थी यह भी माना जाता है कि बनारस रात के 3:00 मुगल बादशाह अकबर जहांगीर और शाहजहां का राज्य काल देखा जाए इस दौरान कवि का आत्म चरित्र लिखना और उससे साफ है कि कोली समाज में मान्यता दिलवाना असंभव की तरह बढ़ता जा रहा था इस अर्थ में बनारस दास का अर्ध नाग कथानक किसी भी भारतीय भाषा में लिखा गया पहला प्रमाणिक आत्मचरित्र माना जाता था विद्वान ज्ञान चंद्र जैन ने उसकी इस चरित्र को और बाद में उनकी अनेक कृतियों को आधार बनाकर कभी बनारसी दास की आत्मकथा जैसी संस्कृति का प्राण ने किया यह भी जानना योग्य था कि आज दिनांक तक को एक पहली बार हिंदी जगत में मान्यता दिलवाने के पीछे एक गुमनाम हिंदी सेवी स्वामी नाथूराम प्रेमी ने पहल की थी कि जो ग्रंथ रचनाकार कार्यालय मुंबई से संबंधित है उनके भी अनुरोध पर अर्धना तक प्रकाशित किया गया आजादी के हीरक जयंती वह ऐसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक आत्म चरित्र को पुनर पाठ की तरह देखना आधुनिक ग्रंथ भाषा का विकास का अध्ययन करने के साथ-साथ मुगल काल में शासक वर्ग का प्रचार वर्ग के बीच आपसी संवाद को भी देखना जैसा है यह भी उल्लेखनीय है कि कभी होने के साथ बनारसीदास एक व्यापारी भी थे जिनके परिवार में 3 पीढ़ियों से व्यापार जीविकोपार्जन का साधन था इसलिए आज मैं सहित सामाजिक सेवा कर्म में लिप्त एक आम इंसान की जिंदगी की गाथा का रोचक दस्तावेज आकृति जिस पर शुभम से ज्ञान चंद्र जैन टिप्पणियों पर हम आशा करते हैं

©Ek villain #कवि बनारसी दास का दर्पण की तरह बेबस आत्मचरित्र

#Hope

अविरल अनुभूति

निर्गुण #Quotes

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तुम्हे सिर्फ मीठा परमात्मा चाहिए,
लेकिन वो मीठा और कड़वा दोनों है।

निर्गुण, सगुण, परिपूर्ण⚜️🔱

©अविरल अनुभूति निर्गुण

SACHIN GURJAR

नवरात्रों के भजन #समाज

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Ashraf Ali

कबीर दास के दोहे,,,

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1,,,,,
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।।
नाही काहू से दोस्ती, नाही काहू से बैर ।।
2,,,,
बड़ हुओ तो का हुओ । जैसे पेड़ खजूर।।
पंछी को छाया नाही । फल लगे अति दूर ।।
3,,,,
कबीर दास के उल्टा बाणी ।
बरसे कंबल भीगे पानी ।।

©Ashraf Ali कबीर दास के दोहे,,,
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