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Priyam Sharma

इत्तेफाक को हकीकत मैं बदल दू वो शक़्स हू मैं,,2
तेरी अकड़ को पैरों से रगड दू वो भिवत्स हू मैं,,,,
वो भिवत्स हू मैं।।। #भिवत्स

Ranbir Sahu.

" रिसर्च "

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 " रिसर्च "

ashoka classes dss

मानसून रिटर्न

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जरा सी मौसम क्या खुश्क हुई
लोग लोग चाय और पकौड़े पर उतर गए मानसून रिटर्न

Babasaheb Khare

रिव्हर्स स्विंग... #शायरी

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बढती उम्र मे इश्क हो तो
 ताज्जूब नही गालिब..
पुरानी गेंदे ही रिवर्स स्विंग लेती है..!! रिव्हर्स स्विंग...

CK JOHNY

रिटायरमैंट रिहर्सल

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सीखो हुनर निभाने का संबंधों को जरा
जनाब घर में तो रहा करो बंदों की तरह। 
तुम्हारी अफ़सरी अकड़ ने घर दफ्तर बना दिया 
पूजे जाने की हसरत ने तुम्हें पत्थर बना दिया। 
पड़े हो कोने में खण्डहर हुए स्तंभों की तरह।
आदत डाल लो घर के कायदे की अवकाशप्राप्ति पूर्व
यहाँ घण्टी की आवाज़ पे कोई आने वाला नहीं 
खुद बनाना सीख लो बार बार कोई चाय पिलाने वाला नहीं। 
सुनने कुछ करने की आदत डालो हजरत वक्त रहते हुए
वरना धरे रह जाओगे सरकारी प्रबंधों की तरह। 

सीख लो हुनर निभाने का संबंधों को जरा
और जनाब घर में तो रहा करो बंदों की तरह। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 
13.09.2020



 रिटायरमैंट रिहर्सल

Vicky Parjapati

लवर्स

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Rashiv

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Akanksha Srivastava

रिश्ता नहीं रिसर्च

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 रिश्ता नहीं रिसर्च

pramod malakar

#हवन पर रिसर्च #समाज

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हिन्दू धर्म में हवन से फायदा पर रिसर्च
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फ़्रांस के ट्रेले नामक  वैज्ञानिक ने हवन पर  रिसर्च की। जिसमें उन्हें  पता चला की हवन
 मुख्यतः आम की लकड़ी पर किया जाता है।जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक
 एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है।जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को
मारती है । तथा वातावरण  को शुद्द करती  है। इस रिसर्च के  बाद ही वैज्ञानिकों को इस
गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला।गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।
टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे
हवन में  बैठा जाये अथवा  हवन  के  धुएं से  शरीर का  सम्पर्क  हो  तो  टाइफाइड  जैसे
खतरनाक  रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं  और  शरीर शुद्ध  हो जाता है।हवन
की महत्ता  देखते हुए राष्ट्रीय  वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी
इस पर  एक रिसर्च की । क्या वाकई हवन से वातावरण  शुद्द होता है और जीवाणु नाश
होता  है ?अथवा  नही ? उन्होंने  ग्रंथों  में वर्णिंत  हवन  सामग्री  जुटाई  और  जलाने पर
पाया  कि  ये विषाणु नाश  करती है। फिर उन्होंने  विभिन्न  प्रकार के  धुएं  पर  भी काम
किया और देखा कि सिर्फ एक किलो आम की लकड़ी जलाने  से हवा में मौजूद विषाणु
बहुत  कम  नहीं  हुए। पर  जैसे ही  उसके  ऊपर  आधा किलो हवन  सामग्री  डाल  कर
जलायी  गयी  तो एक  घंटे के भीतर ही कक्ष में  मौजूद  बैक्टीरिया  का  स्तर 94 % कम
हो  गया। यही नहीं  उन्होंने  आगे भी कक्ष  की  हवा में मौजुद  जीवाणुओ  का  परीक्षण
किया  और  पाया कि  कक्ष के दरवाज़े  खोले  जाने  और  सारा धुआं  निकल  जाने  के
24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। बार-बार परीक्षण
करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष
की  वायु  में  विषाणु  स्तर  30  दिन  बाद  भी  सामान्य  से  बहुत  कम था । यह  रिपोर्ट
एथ्नोफार्माकोलोजी  के  शोध  पत्र   (research   journa l of   Ethnopharmacology
2007)  में  भी  दिसंबर  2007  में छप चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा
न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का
भी नाश  होता है ।  जिससे फसलों  में  रासायनिक  खाद का प्रयोग कम हो सकता है ।
आप  अपने  परिजनों  को इस जानकारी  से  अवगत  कराए । हवन  करने  से  न सिर्फ
भगवान  ही खुश होते  हैं बल्कि घर की  शुद्धि भी हो जाती है । भगवान सभी  परिजनों
को सुरक्षा एवं समृद्धि  प्रदान करें ।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar #हवन पर रिसर्च

पूनम रावत

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