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Vikas Sharma Shivaaya'

भगवान गणेश चौपाई:- गणपति गजवंदन, संकर सुवन भवानी नंदन सिद्धि सदन गज बदन विनायक, कृपासिंधु सुंदर सब लायक मोदक प्रिय मुद मंगल दाता, विद्या वा #समाज

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भगवान गणेश चौपाई:-
 गणपति गजवंदन, संकर सुवन भवानी नंदन
सिद्धि सदन गज बदन विनायक, कृपासिंधु सुंदर सब लायक
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता, विद्या वारिधि बुद्धि विधाता
मांगत तुलसिदास कर जोरे, बसहिं राम सिय मानस मोरे

बुध ग्रह का तांत्रिक मंत्र:-
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: सः बुधाय नमः 

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान गणेश चौपाई:-
 गणपति गजवंदन, संकर सुवन भवानी नंदन
सिद्धि सदन गज बदन विनायक, कृपासिंधु सुंदर सब लायक
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता, विद्या वा

Vikas Sharma Shivaaya'

तंत्राधिपति भगवान महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों का जप कर पूजा की जाती है-शिव जी के तंत्र मंत्रों में से एक ऐसा शिव मंत्र है जिसे शिव शाबर #समाज

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तंत्राधिपति भगवान महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों का जप कर पूजा की जाती है-शिव जी के तंत्र मंत्रों में से एक ऐसा शिव मंत्र है जिसे शिव शाबर मन्त्र कहते हैं-तंत्र शास्त्र के अनुसार, इस मंत्र की साधना से भगवान महाकाल शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त को जीवन में सुख-सम्रद्धि, व्यवसाय में उन्नति, नौकरी में सफलता, कठिन रोगों से मुक्ति, घातक शत्रु से मुक्ति दिलाते है...

कहा जाता है कि शिवजी के शाबर मंत्र स्वयं में सिद्ध होते हैं - इस शिव शाबर मन्त्र को सिद्ध करने के बाद बड़ी से बड़ी समस्याओं से सरलता से मुक्ति मिल जाती है।

।। शिवजी का शाबर तांत्रिक मंत्र ।।
"आद अंत धरती, आद अंत परमात्मा
दोनो वीच बैठे शिवजी महात्मा, खोल घड़ा दे दडा
देखा शिवजी महाराज तेरे शब्द का तमाशा"

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 122 से 132 नाम 
122 महातपः जिनका तप महान है
123 सर्वगः जो सर्वत्र व्याप्त है
124 सर्वविद्भानुः जो सर्ववित् है और भानु भी है
125 विष्वक्सेनः जिनके सामने कोई सेना नहीं टिक सकती
126 जनार्दनः दुष्टजनों को नरकादि लोकों में भेजने वाले
127 वेदः वेद रूप
128 वेदविद् वेद जानने वाले
129 अव्यंगः जो किसी प्रकार ज्ञान से अधूरा न हो
130 वेदांगः वेद जिनके अंगरूप हैं
131 वेदविद् वेदों को विचारने वाले
132 कविः सबको देखने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' तंत्राधिपति भगवान महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों का जप कर पूजा की जाती है-शिव जी के तंत्र मंत्रों में से एक ऐसा शिव मंत्र है जिसे शिव शाबर

Vikas Sharma Shivaaya'

शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं, #समाज

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शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः 


ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं, 


 “ गुरू बिनु ऐसी कौन करै-माला-तिलक मनोहर बाना,लै सिर छत्र धरै। भवसागर तै बूडत राखै, दीपक हाथ धरै-सूर स्याम गुरू ऐसौ समरथ, छिन मैं ले उधरे। 


“ सूरदास जी कहते हैं कि चेलों पर गुरू के बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है कि वे गले में हार और मस्तक में तिलक धारण करते हैं। शीर्ष पर छत्र लगा होने से उनका रूप अत्यंतन्त मनमोहक हो जाता है। संसार -साबर में डूबने से बचाने के लिए वे अपने छात्र के हाथ में ज्ञान रूपी दीपक देते हैं। ऐसे गुरू पर बलिहारी जाते हुए सूरदास जी कहते हैं कि हमारे गुरू श्रीकृष्ण के इतने समर्थ हैं कि उन्होंने एक ही पल में मुझे इस संसार-सागर से पार कर दिया। 


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शनिदेव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः 



ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।' हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं,

Vikas Sharma Shivaaya'

कुबेर लक्ष्मी मंत्र : ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥ पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस प #समाज

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कुबेर लक्ष्मी मंत्र :
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र भृगु ऋषि का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या ख्याति से हुआ जिससे धाता,विधाता दो पुत्र व श्री नाम की कन्या का जन्म हुआ। भागवत पुराण के अनुसार भृगु ऋषि के कवि नाम के पुत्र भी हुए जो कालान्तर में शुक्राचार्य नाम से प्रसिद्ध हुए। 

शुक्र -जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं दैत्य-गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है। यह सप्तवारों में शुक्रवार का स्वामी होता है। यह श्वेत वर्णी, मध्यवयः, सहमति वाली मुखाकृति के होते हैं। इनको ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार दिखाया जाता है। ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी-कभार धनुष-बाण भी लिये रहते हैं।

उषानस एक वैदिक ऋषि हुए हैं जिनका पारिवारिक उपनाम था काव्य (कवि के वंशज, अथर्व वेद अनुसार जिन्हें बाद में उषानस शुक्र कहा गया।

शुक्र एकाक्षरी बीज मंत्र-
 'ॐ शुं शुक्राय नम:। 
' शुक्र तांत्रिक मंत्र- 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:। '

सो शिंगार वा चित्र में हतो ,
तैसोई वस्त्र आभूषन अपने श्रीहस्त में धारण किये !
गाय ग्वाल सखा सब साथ ले के आप पधारे !!

इस दोहे में रसखान जी कहते है कि चित्र में जैसा श्रृंगार था ठीक उसी प्रकार का श्रृंगार करके श्री कृष्ण पीताम्बर रूप में अपने ग्वाल बाल गोपो के साथ वे रसखान से मिलने पहुँच जाते है जहाँ रसखान बैठकर कृष्ण के प्रेम में आंसू बहा रहे थे !


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' कुबेर लक्ष्मी मंत्र :
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस प

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 6 हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:- तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 6
हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:-
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥6॥
विभिषणके ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रामचन्द्रजी की सब कथा विभीषण से कही और अपना नाम बताया।

प्रभु राम के नाम स्मरण से, दोनों के मन आनंदित हो जाते है:-
परस्पर की बाते सुनते ही दोनों के शरीर रोमांचित हो गएऔर श्री रामचन्द्रजी का स्मरण आ जाने से दोनों आनंदमग्न हो गए ॥6॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

विभीषण हनुमानजी को अपनी स्थिति बताते है:-
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
विभीषण कहते है की – हे हनुमानजी!
हमारी रहनी हम कहते है सो सुनो।
जैसे दांतों के बिचमें बिचारी जीभ रहती है,ऐसे हम इन राक्षसोंके बिच में रहते है॥
हे तात! वे सूर्यकुल के नाथ (रघुनाथ),
मुझको अनाथ जानकर कभी कृपा करेंगे?

बिना भगवान् की कृपा के सत्पुरुषों का संग नहीं मिलता:-
तामस तनु कछु साधन नाहीं।
प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता।
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥
जिससे प्रभु कृपा करे ऐसा साधन तो मेरे है नहीं।क्योंकि मेरा शरीर तो तमोगुणी राक्षस है,और न कोई प्रभुके चरण कमलों में मेरे मन की प्रीति है॥
परन्तु हे हनुमानजी, अब मुझको इस बात का पक्का भरोसा हो गया है कि,
भगवान मुझ पर अवश्य कृपा करेंगे।क्योंकि भगवान की कृपा बिना सत्पुरुषों का मिलाप नहीं होता॥

हनुमानजी द्वारा प्रभु श्री राम के गुणों का वर्णन:-
प्रभु श्री राम भक्तों पर सदा दया करते है
जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा।
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती।
करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥
रामचन्द्रजी ने मुझ पर कृपा की है इसी से आपने आकर मुझको दर्शन दिए है॥
विभीषणके यह वचन सुनकर हनुमानजीने कहा कि, हे विभीषण! सुनो,प्रभु की यह रीती ही है की वे सेवक पर सदा परमप्रीति किया करते है॥

हनुमानजी कहते है, श्री राम ने वानरों पर भी कृपा की है:-
कहहु कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥
हनुमानजी कहते है की कहो मै कौन सा कुलीन पुरुष हूँ।हमारी जाति देखो (चंचल वानर की),जो महाचंचल और सब प्रकार से हीन गिनी जाती है॥
जो कोई पुरुष प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले लेवे,तो उसे उस दिन खाने को भोजन नहीं मिलता॥

शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र- 
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। 
शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र- 
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये। 
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र- ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। 
शनि देव जी का गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 255 से 265 नाम 
255 सिद्धिसाधनः सिद्धि के साधक

256 वृषाही जिनमे वृष(धर्म) जोकि अहः (दिन) है वो स्थित है
257 वृषभः जो भक्तों के लिए इच्छित वस्तुओं की वर्षा करते हैं
258 विष्णुः सब और व्याप्त रहने वाले
259 वृषपर्वा धर्म की तरफ जाने वाली सीढ़ी
260 वृषोदरः जिनका उदर मानो प्रजा की वर्षा करता है
261 वर्धनः बढ़ाने और पालना करने वाले
262 वर्धमानः जो प्रपंचरूप से बढ़ते हैं
263 विविक्तः बढ़ते हुए भी पृथक ही रहते हैं
264 श्रुतिसागरः जिनमे समुद्र के सामान श्रुतियाँ रखी हुई हैं
265 सुभुजः जिनकी जगत की रक्षा करने वाली भुजाएं अति सुन्दर हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 6
हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:-
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा

Rajesh Khanna

#Raat तंत्र मंत्र

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दो-चार दिनों से हरकतें अलग है उसकी
 अब मेरी बात नहीं मानती
कभी-कभी गुस्सा उसका इतना बढ़ जाता है
 जैसे बुझते दिये में और आग डाल दी
अब मेरा सक तंत्र-मंत्र में बदल गया
जब दिखाया मैंने एक बाबा को
तो इस मे केई यो का हाथ था

©Rajesh Khanna #Raat तंत्र मंत्र
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