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sunny pal
What have you done to my heart Don't feel anywhere without you When you're together day and night don't know I do not spend a single moment without you ©sunny pal क्या किया है
Chitra
जिसके साए में हम .... बिना डर के बड़े हो जाते हैं अक्सर उन्हीं से कहते है कि किया ही क्या हैं ......तुमने....!!! chitra "writer"✍️ ©Chitra किया ही क्या है ।
kavita khosla
कहते हैं कि एक घटना हमारी सारी जिंदगी पर भारी पड़ जाती है, वो एक लम्हा होता है जो घटता एक बार है लेकिन टीस हमें रोज देता है, आँखों के सामने किसी फिल्म की तरह चलता है, लेकिन ग्लानि इतनी बड़ी होती है कि पश्चाताप के लिए आँसू निकल कर इक निर्दोष से माफ़ी की गुहार नहीं लगा पाते। मार्च महीने के एक रविवार की शाम, जब माँ से मैं सुमित के घर जाने को निकला, फटाफट में अपनी स्कूटी स्टार्ट की और शायद माँ की कितनी बातों को अनसुना करते हुए, हेल्मेट बिना लगाए ही निकल गया। "पास ही तो जाना हैं...!" ये भाव तो यंग राइडर की तरह दिमाग़ में फिट थे। हेडफोन कानों में लगा कर म्यूजिक ने मेरा रोमांच दोगुना किया हुआ था, डर किसका था? मन में तो दोस्तों के साथ मौज मस्ती की प्लानिंग चल रही थी। इतने में फोन की बजती रिंग ने मेरे स्कूटी की और दिल की रफ्तार इक साथ बढ़ा दी। मेन रोड से मुड़ते, ना तो मैंने स्पीड कम करने की सोची ना इंडीकेटर का ख्याल आया। साइड मिरर से इक बहुत बड़ा वाहन तो पीछे आता दिख गया लेकिन इक ज़ोरदार आवाज ने यू लगा मेरे कानों के पर्दे फाड़ दिए। फिल्म की स्लो मोशन सा होता दिखा सब, कोई तेज धारदार चीज़ मेरी हाथों से और माथा कंक्रीट की पुलिया से टकराया, सड़क के किनारे कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था शायद, माथे से गर्म लावे सी धार महसूस हुई, आँखों में तेज़ रोशनी की चमक से चुंधिआती आंखों ने जो देखा वो स्मृति पटल पर छप गया। चीख के साथ ही आँखे बंद हुई, लेकिन दिमाग़ यू लगा सब देख रहा। वो नन्हा सा कुता, बंद होती उसकी आंखे, मुँह से लुढ़क गयी जीभ, बामुश्किल आ रहीं साँस, और उसकी मर रही जिंदगी, उम्मीद से मुझे देखती नज़र.... भईया, मैं तो माँ के साथ लाड़ कर रहा था, मैं तो सड़क पर भी नहीं खेल रहा था... माँ तो मुझे दुलार रहीं थीं, अभी तो मैंने दुध भी नहीं पिया था, मैं तो बेकसूर था... फिर मुझको सजा किस गुनाह की दी?? कानो में कहीं उस नन्हें जीव की कराह, उसकी माँ की कलेजा चीर देने वाली रुदन, कभी जीभ से बच्चे को चाटती, किनारे की दुकानों की तरफ मदद को भाग कर जाती, धूल उड़ाती उसकी विफलता, बच्चे को मरता देख रही उसकी आंखे,... यह सब मैं कैसे देख रहा था, मुझे नहीं पता.... होश आया तो पाया, हाथ से कुहनी तक बंधी पट्टी, माथे पर लगी सात टांको की चुभन, माँ का रो-रो कर उतरा चेहरा। और हस्पताल की दवाई से भरी गन्ध। बोलने की हिम्मत कर के सुमित को पूछा.... वो बच गया ना??? मेरी टांगों पर हाथ रखते वो बोला... तू आराम कर!!! एक हत्यारे इंसान पर थूकती मेरी खुद की आत्मा, मेरे दिल पर वार कर रही थी, पूछ रही थी मुझसे... तुम्हारी सजा कौन तय करेगा??? काश.... मैं उस दिन....!!!!! धन्यवाद, कविता खोसला ©kavita khosla #क्या #पश्चात्ताप #काफ़ी #है? #storytitle #Anhoni
KK क्षत्राणी
जीवन क्या है एक शुरूवात जो हम ने नहीं की एक अंत जो हमे नहीं पता ©KK क्षत्राणी क्यु सोचना क्या है जिंदगी
The SagaR Kurve
माफ करना,मगर लिखु किसके लिये बार बार एक ही बात कहना अच्छा भी तो नही लगता ना और क्या फायदा जो आखों से बात नही समझ सकते उनके लिए कलम की स्याही जाया करना बेवजहा किसी को परेशान करना अच्छा भी तो नही लगता ना #क्यो लिखू #जरुरी है क्या
Jyotsana yadav
एक दिन यूं ही टहलते हुए सोचने लगे कि क्या किया है अब तक कैसे जिया है अब तक इन बातों बस बचपन याद आया जिसे बेशर्त जिया है अब तक। ©Jyotsana Yadav #क्या किया है अब तक