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mau jha
उठी नजरें जब बैदेही पर, सर्वनाश हुआ उस अहंकारी का, अब कौन राम शस्त्र उठाएंगे देख हाल कलयुग की नारी का चीर बढ़ाकर द्रोपदी का बचाई थी उसने लाज कहां हैं कान्हा सुनकर बच्चीओ की चिखती आवाज... ©Mau Jha हैवानियत
J P Lodhi.
#RIPPriyankaReddy जमाना खराब है,हैवानियत का है राज। इंसान बन गया हैवान, आएगा न बाज। मचा रहा है अत्याचार,पहनने को ताज। दिखाकर हैवानियत करता अपने काज। नहीं सुरक्षित कोई ,यह है आतंकराज। मानवता की हो रही हत्या ,है गुंडाराज। अब्लाओं पे होते हमले है दुसाशन राज। हैवानों की चली आरी, इंसानों पर आज। हथियारों की धुन पर ,अपराधों की साज। बाज आएगा तब ,गिरेगी जब इस पर गाज। **हैवानियत**
J P Lodhi.
#RIPPriyankaReddy हैवानियत का है यह दौर, चारो ओर मचा है शोर। इसने मचा रखा कोहराम, जीना हो गया है हराम। छीना झपटी लूटमार, दंगे झगड़े आगजनी, यही है रोज की कहानी। हवा में घोल दिया जहर, इस से बचा न कोई शहर। सहन कर रहे होकर ख़ामोश, जगाना होगा हमको जोश। इसके के खिलाफ छेड़ो क्रांति, तभी मिटेगी यह अशांति। ***हैवानियत***
GANI KHAN
हैवानियत इंसा है तो इंसा नज़र, क्यूँ नहीं आता हैं । हैवानियत का चोला पहन,शैतान नज़र क्यूँ आता हैं।। ज़ुल्मों की काली स्याह,नफरतों से घिर। सफ़ेदपोश इंसा आख़िर, ग़ैर क्यूँ नज़र आता हैं।। जात-पांत, ऊँच-नीच,मज़हबी जुल्मों से घिरा। इंसा -इंसा के खूं का प्यासा,क्यूँ नज़र आता हैं।। मोहब्बत की फिजां में,नफरतों का ज़हर घोल। ये पाकीज़ा दिल आख़िर, ग़ैरत में क्यूँ नज़र आता हैं।। सबके दिलों में आबाद हैं, वतनपरस्ती। तो तिरंगे की आड़ में, ये हैवान क्यूँ नज़र आता है।। चाहत है सब मानस की, नैया पार लगे। तो हर क़िरदार मझधार ,में क्यूँ नज़र आता हैं।। अमनो -अमां,तरक्की की दुआ मांगने वाले। तेरे हाथों में खंजर,क्यूँ नजर आता है।। कायनात को संवारने की मिसाल देने वालें। इंसानियत तज हैवानियत, पर सवार नजर क्यूँ आता है।। है सब की ख़्वाहिश, दामन अपना पाक रहे। तो कलुषित राजनीति से घिर,वो बेदार नजर क्यूँ आता है।। 'गनी' इंसा है तो इंसा नज़र, क्यूँ नहीं आता हैं। हैवानियत का चोला पहन,शैतान नज़र क्यूँ आता हैं ©GANI KHAN # हैवानियत
Manoj chawda
एक दर्द वह साधु थे सन्यासी थे, थे ईश्वर के अनुयायी। निकले थे अपने साथी को देने अंतिम विदाई।। कॉल खड़ा था उन्हें घेरने वो थे बिल्कुल अनभिज्ञ। अपने साथी के देवगमन से वह तो वैसे थे भावभीन।। कई भेड़िए खड़े हुए थे राह रोकने के खातिर। रक्षक बन धकेला जिसने था वो बड़ा ही शातिर।। होड़ मची थी उन भेड़ियों में रक्त उनका पीने को। मानवता शर्मसार खड़ी थी जब लहू उनका गिरा तो।। धरा पर वह तड़प रहे थे, मौत से वह जूझ रहे थे। कोई बचाने उन्हें ना आया सब दूर खड़े घूर रहे थे।। दहशत में है आज मानवता यह कैसी है दानवता । लहू बहा जब संतों का तो कांपी होगी भारत मां।। *मनोज चावड़ा* हैवानियत
Dhananjay(dhanuj) Sankpal
कवी'धनूज. जंगल में सन्नाटा है इंसानियत सा शहरों में घमासान मचा हुआ है हैवानियत का -लेखक'कवी- (धनंजय संकपाळ) #धनूज | रंग मनाचे.. #हैवानियत
Sam Khan
तुम्हारे ज़रा चोट लग जाने पर मां सहम जाती है सोचो जिसकी बेटी के साथ हैवानियत हुई उसका क्या हाल हो रहा होगा!! हैवानियत
Ruchika
#RIPPriyankaReddy लोगों का कोई ईमान, धम॔ ना रहा, इंसान अब इंसान ना रहा। ज़ुल्म और हैवानियत, अब सीमा लांघ गई, कोई अछूता ना रहा, हर एक आत्मा डर गई। रूह काँप गई सब की, हर कोई, दद॔ और शर्मिन्दगी से जल गया, कितना सुकून मिलेगा दिल को सुनकर, उन दरिंदों को भी वैसे ही जलाया गया। जो सज़ा दी उन्होंने एक मज़लूम को, उन्हें भी उस हैवानियत से रूबरू कराया गया। कब तक सहते रहेंगे, खौफ के साए में जिऐंगे..... कब तक गुस्से की घूंट, हर बार, दिल पर पत्थर रख, पिऐंगे..... #हैवानियत