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प्रेम शंकर "नूरपुरिया"

उत्पत्ति

उत्पत्ति #कविता

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परमेश्वर के वचन का प्रचार

1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। 
उत्पत्ति 1:1

2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था। 
उत्पत्ति 1:2

3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। 
उत्पत्ति 1:3

4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। 
उत्पत्ति 1:4

5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:5

6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए। 
उत्पत्ति 1:6

7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:7

8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:8

9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:9

10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:10

11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:11

12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:12

13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:13

14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों। 
उत्पत्ति 1:14

15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:15

16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया। 
उत्पत्ति 1:16

17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें, 
उत्पत्ति 1:17

18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:18

19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:19

20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें। 
उत्पत्ति 1:20

21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:21

22 और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें। 
उत्पत्ति 1:22

23 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया। 
उत्पत्ति 1:23

24 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:24

25 सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
उत्पत्ति 1:25

26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। 
उत्पत्ति 1:26

27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। 
उत्पत्ति 1:27

28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। 
उत्पत्ति 1:28

29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: 
उत्पत्ति 1:29

30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया। 
उत्पत्ति 1:30

31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया॥ 
उत्पत्ति 1:31

©परमेश्वर के वचन का प्रचार उत्पत्ति

उत्पत्ति #जानकारी

6 Love

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Bhupendra Padhara

रेजर की उत्पत्ती ।#हास्यगीत

रेजर की उत्पत्ती ।#हास्यगीत

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Amartya Bharadwaj

#प्रेम की उत्पत्ति

#प्रेम की उत्पत्ति

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Vinod Machhar

उत्पत्ति 43 15

उत्पत्ति 43 15 #प्रेरक

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कवी - के. गणेश

त्या शाळेतल्या बाकावर
'वाटतं' जाऊन बसावं..
ती समोर नसली तरीही
तिला आठवून हसावं..! शाळेची आठवण

शाळेची आठवण

15 Love

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Riya

#हनुमान चालीसा की उत्पत्ति।

#हनुमान चालीसा की उत्पत्ति। #Motivational

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Shubham singh Rajput

भगवान शब्द की उत्पत्ति

भगवान शब्द की उत्पत्ति

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Shivraj Solanki

दोहा 
बारम्बार सोचत तब ,उपजे  मन  कामना
क्रोध रूप ले लेत है,  बाधित  हो कामना


शिव सुन्दर सोलंकी ( शिवराज खटीक) #दोहा क्रोध की उत्पत्ति

#दोहा क्रोध की उत्पत्ति

13 Love

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Vinay Sonawane

जात धर्म गोत्र सूत्र आणि मातृत्व - मराठी
बोली चाली रीती परंपरा आणि सत्व - मराठी
काळीज काया प्रेम माया आणि ममत्व - मराठी 
अक्षर जाण , स्वाभिमान ,जीवनाचे तत्व - मराठी 
जेव्हा केव्हा कोणी उच्चारला लिहिला त्या पहिल्या शब्दाच्या दिनाचे महत्व - मराठी

©Vinay Sonawane मराठी भाषेचा दिन 
#मराठीप्रेम #मराठीकविता #मराठीविचार #भाषा
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Kiran Sabale

जिवा भावाची मैत्री,,हिच तर देवानं दिलेली देणगी होय

©Kiran Sabale
  जिवा भावाची

जिवा भावाची #मराठीविचार

108 Views

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riaa tiwari dewaria India

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©riaa tiwari dewaria India
  #पैसा सम्पत्ती #

#पैसा सम्पत्ती # #जानकारी

27 Views

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Axar

हनुमान चालीसा की उत्पत्ति।

#Nojoto

हनुमान चालीसा की उत्पत्ति। #Mythology

2.35 Lac Views

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राजेंद्रभोसले

राष्ट्रातील अस्पृश्यतेच्या निर्मूलनाचा सण
की प्रगत जाती सत्ताकनिर्मितीचा  वण।।धृ।। 

स्वराज्याला चोऱ्याहत्तर वर्ष जरी उलटली
अजून विषारी नजरेची पिलावळ बाळगली
माकडांची पिले  आधुनिक माणूस झाली  
की माणसाचीच पिलावळ माकड जहाली
घटनाशिल्पी बाबासाहेबांचं  केवढं ऋण।।१।।

स्वाभिमानाची चळवळ  पेरली समाजात
कायद्याची कलमं रक्षिते  हक्काची वात
समता बंधुतेचे नियम घटनेच्या ग्रंथात
नेता, प्रशासक बेधुंद  राज्य कारभारात
 ह्या सत्ताधीशाचे कधी पालटेलं मन।।२।। खंत भारत मातेची

खंत भारत मातेची

4 Love

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Pakhi Gupta

विचार से कार्य की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके भाग्य की उत्पत्ति होती है

विचार से कार्य की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके भाग्य की उत्पत्ति होती है

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Anjani Upadhyay

सिंदूर की उत्पत्ति। 
साभार-देवव्रत जोशी

सिंदूर की उत्पत्ति। साभार-देवव्रत जोशी

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Vinay Sonawane

काल मराठी भाषेची उखळी फुटली
सोशल मीडियावर उधळत सुटली
बक्कळ म्हणाले मराठी राजभाषा दिनाच्या शुभेच्छा
तर कोणी मराठी भाषा गौरव दिनाच्या व्यक्त केल्या ईच्छा
आज सकाळी माय म्हणाली पोराला , Good Morning बच्चा
Get up harry ! School बस आली दारावरी
पहिलीतलं गाबडं , न्हाऊ धुवू घातलं
सूट बूट अन गळ्यावर चढवली टाय
See You सोना , झालं टाटा अन बाय बाय
चार चौघात सांगती My Son इंग्लिश शाळेत हाय
असा रोजच मराठीचा सौदा करती मराठीच माय

©Vinay Sonawane मराठी भाषेची माय

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16 Love

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sameer

टैडी डे की उत्पत्ति।

#Nojoto #ValentinesDay #teddyday

टैडी डे की उत्पत्ति। #ValentinesDay #teddyday #Love

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Pramod Kumar

# कोरोना की उत्पत्ति एक नया दृष्टिकोण
#kavita

# कोरोना की उत्पत्ति एक नया दृष्टिकोण #kavita #कविता

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Axar

स्त्री जाती की उत्पत्ती तथा मनुष्यों के जन्म की पौराणिक कथा

स्त्री जाती की उत्पत्ती तथा मनुष्यों के जन्म की पौराणिक कथा #प्रेरक

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

तस्माच्च देवा बहुधा संप्रसूताः साध्या मनुष्याः पशवो वयांसि।
प्राणापानौ व्रीहियवौ तपश्च श्रद्ध सत्यं ब्रह्मचर्यं विधिश्च ॥

तथा 'उसी' से अनेकानेक देवगण उत्पन्न हुए हैं, उसी से साधुगण, मनुष्य तथा पशु-पक्षी उत्पन्न हुए हैं, प्राण तथा अपान वायु, धान तथा जौ (अन्न), तप, श्रद्धा, सत्य, ब्रह्मचर्य तथा विधि-विधानों का प्रादुर्भाव 'उसी' से हुआ है।

And from Him have issued many gods, and demigods and men and beasts and birds, the main breath and downward breath, and rice and barley, and askesis and faith and Truth, and chastity and rule of right practice.

( मुंडकोपनिषद २.१.७ ) #मुण्डकोपनिषद #उपनिषद्  #देव #उत्पत्ति #creation #god #sanatandharm #Hindu
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Dinesh Yadav

विज्ञान शब्द की उत्पत्ति
प्रस्तुतिः दिनेश यादव, विज्ञान प्रशिक्षक

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Dhirendra Kumar Pandey

## हनुमान चालीसा को किसने लिखा और कब इसकी उत्पत्ति हुई##

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Vaishali Patil

मेरी कीउट भाची

मेरी कीउट भाची #लव

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हिन्दू धर्म के अनुसार धरती पर मानव की उत्पत्ति कैसे हुई?

हिन्दू धर्म के अनुसार धरती पर मानव की उत्पत्ति कैसे हुई? #प्रेरक

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Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी
कद इंसान के बौने
,इमारते गगन को छू रही है
कीमतें बे जान चीजो की
आदमियत की फजीहत हो रही
सपने चाँद और मंगल पर बसाने के
जमी पर इंसानियत मर रही है
छीनकर गरीबो की रोजी रोटी
रसूखदारों की चांदी हो रही है
धन बल दुनियाँ का समेटकर
शोषणों से,बाजार की उतपत्ति हो रही है
लोकतंत्र का दम भर कर
लूट राजतंत्र जैसी हो रही है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #City शोषणों से,बाजारो की उत्तपत्ति हो रही
#nojotohindi

#City शोषणों से,बाजारो की उत्तपत्ति हो रही #nojotohindi #कविता

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