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roshan
आना है तॊ आ जाना है तो जा.... घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना मुझे शोभा देगा क्या? पानी का नही नाम साब्जी को नही दाम बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे? कुवा सुख गया है नदी नाला रुख गया है बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा.... बेजान सहै पत्थर पर बिना कुछ चडाये बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे? भावनिक मै बहोत हू दिल मे तुम्हेहीं रखता हू पानी बचाते बचाते बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा..... ....रोशन देसाई.... 12/02/20 इन हिंदी
मलंग
🌹जहां धूमिल हो जाते सारे मस्तिष्क - तृष्णा के द्वंद, एक असीम मौन में। जहाँ देखते देखते क्षण भर में, दहक उठता हैं देह अनेकों चिताओ में। जहाँ सारे स्वांग नष्ट हो जाते हैं भ्रम - अभिमान के, चीर अग्नि में। जहाँ आँसू सूख कर गिर जाते हैं अथक सुलगती राख़ में। जहाँ सबकुछ बह जाता है ठीक सीढ़ियों के नीचे गंगा के प्रवाह में। जहाँ विलीन हो जाते हैं पंचतत्व, किसी अनंत निराकार में। जहाँ शेष बचती धुँआ ही धुँआ और प्रकट होता है सिर्फ़ "शाश्वत सत्य"... #𝓜𝓪𝓷𝓲𝓴𝓪𝓻𝓷𝓲𝓴𝓪#V𝓪𝓻𝓪𝓷𝓪𝓼𝓲🙏🏻🔱 ©मलंग #मणिकर्णिका
YASHVARDHAN
एक दिन गंगा किनारे मणिकर्णिका घाट पर जला दिया जाऊँगा, मेरी सारी अमानतों को ज़मीदोज़ कर दिया जाएगा, मेरी पीढ़ी मेरे मौत का जश्न मनाएगी.. --YASHVARDHAN #मणिकर्णिका 💞
Explorer
इसे मणिकर्णिका कहते हैं, यहां की राख में बहुतों का घमंड मिला हुआ है, वो जो सोचते थें कि उनके जैसा कोई नहीं है इस धरा में, उनका भी अस्तित्व यहीं राख में मिला पड़ा है ©Explorer #Manikarnika #मणिकर्णिका
Nikhil Sharma
जब भी मैं तुम्हारा ध्यान करता हूं, छिरक देता हूं, कुछ बूंदे हवा में अभिषिक्त करके। इस प्रकार मेरा कुछ अधिकार बढ़ जाता है तुम पर। या तो हम दोनों संगम सा पवित्र हो जाएंगे। या मणिकर्णिका के जैसे हमारा सब कुछ भस्म हो जाएगा।। ©Nikhil Sharma बनारस मणिकर्णिका
Vishal Charan
Sabra kar mere bhai udenge lekin Waqt per ©Vishal Charan शायरी इन हिंदी ,#shyari
Ibrat
काशी के हर घाट हर्ष की गूँज और रंगों से रंगे हैं, एक उसे छोड़ कर जो चिताओं के राखों से सजे है, खूबसूरती उसकी की वो हर अंतिम सफ़र देखती है, वहाँ लोग सज कर आते और वो सुंदर शववस्त्र देखती है, देखा तो ढेरों लकड़ियों के में तराजू भी रखा जाता है, किसके हिस्से कितनी लगी हर वो हिसाब रखा जाता है , कोई शोक नहीं बस मृत्यु से मोक्ष तक का सफ़र देखा है, कल से पहले तक खुद को इस सच्चाई से बेख़बर देखा है, सोचा था ये सब देखना मेरे लिए आसान नहीं होगा, मगर देखा करीब से तो अपना हर डर बेअसर देखा है, मणिकर्णिका की सुबह और मैंने चिताओं को जलते देखा है, किसी अपने के लौट आने का विश्वास हर पल में मरते देखा है, अच्छा था महा श्मशान में अंतिम सफ़र का हिस्सा बन जाना , इस कभी ना खत्म होने के दौर का एक छोटा किस्सा बन जाना। -Shubhra Tripathi :) ©Ibrat मणिकर्णिका महा श्मशान