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writervinayazad
✍️✍️ जनता के मुंह में गुगली होती है कब पलट जाए कुछ पता नहीं ©writervinayazad ✍️✍️ जनता के मुंह में गुगली होती है कब पलट जाए कुछ पता नहीं #विनय_आजाद ##writervinayazad #जनता #गुगली #Drops
vibrant.writer
एक जैसी गेंदों के बीच एक उल्टी गेंद जिसे कहते है गूगली। गुगली से बचने के चक्कर में सही गेन्दो को ठीक से नहीं खेला जाता, चुनौतियों से बचने के चक्कर में खुशियों को ठीक से नहीं जिया जाता। क्रिकेट और जिंदगी दोनों में अगर आदमी लंबा न सोचें, परिस्थिति के हिसाब से आगे बढ़ता रहे, तो क्रिकेट में रनों की सेंचुरी और जिंदगी में खुशियों की सेंचुरी पक्की है। #googly एक जैसी गेंदों के बीच एक उल्टी गेंद जिसे कहते है गूगली। गुगली से बचने के चक्कर में सही गेन्दो को ठीक से नहीं खेला जाता, चुनौतियों
अज्ञात
पेज -13 अगले दिन जब सुबह हमारी जॉन जॉनी की जोड़ी मॉर्निंग वॉक पर निकली तो लौटते समय अचानक विशाल जी की नज़र उनके आगे रन-अप करते एक सज्जन पर पड़ी.. अब विशाल जी तो अधिकवक्ता थे..चलते फिरते अपने आगे जॉगिंग करने वाले सज्जन से कहा-राधे राधे श्रीमान.. ये सुनते ही उन महाशय ने तत्काल जबाब दिया राधे राधे विशाल जी.. ये सुनते ही वकील साहब के ज्ञानेन्द्रियाँ सक्रिय हो उठी फौरन पलटवार हुआ-अरे वाह श्रीमान जी आपको हमारा नाम कैसे पता..! सज्जन ने कहा- बस, ये सब नोजोटो का कमाल है.. ! विशाल जी ने आश्चर्य से पूछ लिया -ओह्हो मतलब आप भी नोजोटो में ....?? अभी वाक्य पूरा भी नहीं हो पाया था कि सज्जन ने हाजिर जबाब पेश किया- "जी विशाल साहब थोड़ा बहुत कभी कभार बस शौक़ से यूँ ही जब मन किया तो बाकी हम कहां मगर दिल है कि मानता नहीं तो बस... विशाल साहब के दिमाग में विस्फोट से होने लगे.. बाबा रे ये कौन धुरंधर हैं..! इतने में ही नौसाद साहब ने टोंक दिया- बज गई घंटी.. मना करता हूं... कहीं भी स्टेशन मत फसाया करो.. ! विशाल जी-अमा मियां यार जॉनी.. जस्ट चिल्ल्ल..! नौसाद जी-घुइयां चिल...उन्होंने क्या कहा समझ आया.. ! विशाल जी-तो इसमें क्या है उन्हीं से समझ लेते हैं..! ऐं श्रीमान जी आप यहीं कहीं रहते हैं..! सज्जन ने तत्काल जबाब दिया बस आपसे अधिक दूर नहीं हैं..! नौसाद साहब-तुम्हारी सारी वकालत यहीं खत्म ना हो जाये बचाये रखो.. जॉन..! विशाल जी- कैसे जॉनी हो यार तुम मामला गड़बड़ है..! नौसाद जी-गड़बड़ नहीं बड़बड़ है... तुम्हारी.. चलो आगे उनसे..! वरना यहीं सुबह से शाम की वॉक करनी पड़ेगी.. विशाल जी-श्रीमान ये मेरे प्रिय मित्र नौसाद साहब हैं मैं इन्हें प्यार से जॉनी और ये मुझे प्यार से जॉन बुलाते हैं.. सज्जन ने कहा-बहुत अच्छी बात है अब कल मिलते हैं सामने मेरा घर आने वाला है..! नौसाद जी-एक और गुगली...! विशाल जी-ऐं.. जी आपका घर..! यहाँ..! सज्जन ने कहा-जी मैं यहीं शिफ्ट हुआ हूं.. तकरीबन एक सप्ताह पहले.. ! विशाल जी-मगर यहाँ तो हम लोग रह.. मेरा मतलब हमारा घररररर.. क्या आप भी रत्नाकर.. ! सज्जन-जी हाँ विशाल जी..! विशाल जी- ओह्हो हो हो... क्या हम आपका शुभ नाम.. सज्जन-जी मेरा नाम यशपाल सिंह है नोजोटो में आप मुझे पढ़ सकते हैं...! विशाल जी-अच्छा... अच्छा.. वाह वाह... आपका नाम तो सुन रख्खा है.. आपकी पोस्ट भी देखी पढ़ी हैं... पर आप इस तरह यहाँ दर्शन देंगे. 🤔... यशपाल जी- जी चलिए घर में एक एक कप चाय हो जाये..! नौसादजी - चाय... थैंक गॉड... शुभस्य शीघ्रं..! विशालजी-वाह बच्चू.. चाय में यार की चाह भूल गये..! नौसाद जी-अरे अब आओ भी मुझसे ज्यादा तलब तो तुम्हें लगी थी.. दो तीन चाय ठेले जॉगिंग के समय जो निकले फलाँग तक तो उन्हें ही पलट कर देखते रहे.! विशाल जी-अब तुम ना जानोगे तो कौन जानेगा भई जॉनी..! [और तीनों चाय का लुफ़्त उठाते हैं कुछ देर बाद जॉन जॉनी अपने घर को चले जाते हैं..!] पेज-14 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज -13 अगले दिन जब सुबह हमारी जॉन जॉनी की जोड़ी मॉर्निंग वॉक पर निकली तो लौटते समय अचानक विशाल जी की नज़र उनके आगे रन-अप करत