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बिलखते अल्फ़ाज़

मास्क से अपना चेहरा ढकना है इंसानियत नहीं #nojotohindi #nojotopoem #OpenPoetry #विचार

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मास्क से
अपना चेहरा ढकना है
इंसानियत नहीं
😷 मास्क से अपना चेहरा ढकना है इंसानियत नहीं
#nojotohindi #nojotopoem #OpenPoetry

Mohit Mudita Dwivedi

आज हमने एक दुनिया बेची और एक दीन ख़रीद लिया हमने कुफ्र की बात की सपनों का एक थान बुना था एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया और उम्र की चोली सी ली #AmritaPritam #कविता #nojotohindi #themodernpoets #nojotovideo #AmritaKaMohit #tmpian #mohitdwivedi

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Tera Sukhi

* कोई * पहचान में नही आता कोई अपना अपना लगता है जैसे कोई सपना सोया तो नही मैं रात भर जागा हूँ चाँद को याद है निगाहों का तपना #gazal #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #terasukhi #terasukhiquotes #पहचानमेंनहींआता

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पहचान में नही आता कोई अपना 
अपना लगता है जैसे  कोई सपना

सोया तो नही मैं  रात भर जागा हूँ
चाँद को याद है निगाहों  का तपना

FULL.READ IN CAPTION 👇👇 * कोई *

पहचान में नही आता कोई अपना 
अपना लगता है जैसे  कोई सपना

सोया तो नही मैं  रात भर जागा हूँ
चाँद को याद है निगाहों  का तपना

yogesh atmaram ambawale

OPEN FOR COLLAB ✨ #ATसबबदलगया • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Collab with your beautiful words.✨ Transliteration: Sab badal gaya #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts

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सब बदल गया हैं,
जीने का अंदाज भी बदल गया हैं|
जब से ए कोरोना आया हैं,
इंसान का इंसान को देखने का नज़रिया बदल गया हैं|
सब बदल गया हैं,
नाज़ हैं जिस चेहरे पे वो भी ढकना पड़ रहा है|
किसी को नजदीक आते देख दूर भागना पड़ रहा हैं|
सब बदल गया हैं,
ऐसे ही ए वक्त भी बदल जाएगा,
दूर भाग रहा हैं जो आज कल फ़िर पास आएगा| OPEN FOR COLLAB ✨ #ATसबबदलगया
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️

Collab with your beautiful words.✨ 

Transliteration: 
Sab badal gaya

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

*मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते खुद से पुछ बैठता हु* मुझे लगता है मेरी कविताएं मेरे एकांत का एकालाप है आजकल मेरे शब्द मुझसे ही उलझ ज #poem #standalon

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*मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते  खुद से पुछ बैठता हु*

मुझे लगता है मेरी कविताएं 
मेरे एकांत का एकालाप है
आजकल मेरे शब्द 
मुझसे ही उलझ जाते हैं
मेरे शब्दों के माया जाल से 
मैं भ्रमित सा हो जाता हूं
जो कहना चाहूं कह ना पाऊं 
जो लिखना चाहूं लिख ना पाऊं
क्या सच में कविता की कोई सीमा है
किसी ने खींचे दी है कोई लक्ष्मण रेखा 
कविताओं के लिए
या समाज ने तय करदी हो कोई सीमा
क्या हमारी कलम सीमा से बंधी है
जिस से बाहर निकलने से तोड़ दी जाएगी
हम बुराई को पूरा हुबहु क्यों नहीं कह पाते
और सच को इतना श्रृंगार से ढक देते हैं 
कि उसके मायने ही बदल जाते हैं
क्यों नग्न सत्य को कपड़े से ढकना जरूरी हैं
क्यों कविता कागज पर उतरते उतरते 
सच को कहीं खो देती है
अपने नाकाफ़ी होने के बोझ से 
कविता कभी मुक्त नहीं हो पाती है 
क्या कविता कोशिश भर कर पाती है
जिसमें कर्म और आकांक्षा सब मिले-जुले हैं

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) *मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते  खुद से पुछ बैठता हु*

मुझे लगता है मेरी कविताएं 
मेरे एकांत का एकालाप है
आजकल मेरे शब्द 
मुझसे ही उलझ ज

Shitanshu Rajat

तुम्हारी तस्वीर के पीछे एक दरकती-सी दीवार है कोई उसकी बात ही नहीं करता कोई बात ही नहीं करता उन दरारों की जो पड़ी हुई हैं तुम्हारी हसीं मुस्क #yqdidi #yqhindi #PoetryLights #yqbesthindiquotes #artlights #yqhindistree

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तुम्हारी तस्वीर के पीछे 
एक दरकती-सी दीवार है

(कविता अनुशीर्षक में)

 तुम्हारी तस्वीर के पीछे
एक दरकती-सी दीवार है

कोई उसकी बात ही नहीं करता
कोई बात ही नहीं करता उन दरारों की
जो पड़ी हुई हैं तुम्हारी हसीं मुस्क

Shashi Aswal

कैसा लगेगा आपको अगर आप नीले आसमाँ के नीचे खुली धरती में हो। यकीनन अच्छा लगेगा। पर जमीं चारों तरफ रेत से भरी हुई हो।थोड़ा बुरा लग सकता हैं। #yqbaba #yqdidi #जिस्म #suspense #तांडव #वहशीपन #volatilesoulquotes

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जिस्म... 

कैसा लगेगा आपको अगर आप नीले आसमाँ के नीचे खुली धरती में हो। यकीनन अच्छा लगेगा। पर जमीं चारों तरफ रेत से भरी हुई हो।थोड़ा बुरा लग सकता हैं।

Bharti Vibhuti

एक औरत के लिए "श्रृंगार" आभूषण के समान है ...पर मेरे मन में यही गहन प्रश्न उठता है कि श्रृंगार किसी को लुभाने के लिए क्यों किया जाए? क्या अप

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Jyotshna Rani Sahoo

अंशु की आसुं बहती नहीं लेकिन उसके अंदर है अनकही दर्द जिसे ढकना चाहता है अपनी हरकतों से।उस दिन बहत रोया अकेले अकेले।अकेलापन बुला लेती है दबी #yqbaba #yqdidi #उन्हेमिलनाथा #upanyasa

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उन्हें मिलना था

भाग - ७

॥ Read in caption॥ अंशु की आसुं बहती नहीं लेकिन उसके अंदर है अनकही दर्द जिसे ढकना चाहता है अपनी हरकतों से।उस दिन बहत रोया अकेले अकेले।अकेलापन बुला लेती है दबी

Namit Raturi

"धर्म ना होता तो क्या होता" कहीं मस्जिद ना होती,कहीं मंदिर ना होता, माथे पे तिलक ना होता,टोपी से ओढा सिर ना होता, सोचता हूँ धर्म ना होता #God #Religion #Hindi #yqbaba #kavita #yqdidi #almighty #noboundations

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"धर्म ना होता तो क्या होता"

 

"धर्म ना होता तो क्या होता"

कहीं मस्जिद ना होती,कहीं मंदिर ना होता,
माथे पे तिलक ना होता,टोपी से ओढा सिर ना होता,
सोचता हूँ धर्म ना होता
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