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Parasram Arora
आसमान मे विशाल हाथियों की शक्लमें मेघ आते हैँ गरज बरस कर तपती धरती की प्यास बुझाते हैँ. वायुमंडल की परतें कई हैँ और उन परतों मे बनने वाले मेघ भी कई प्रकार क़े होते हैँ सभी बरसते नहीं कुछ कड़कते है कुछ गरजते हैँ और कुछ ही बरसते हैँ और उस बरसात मे केवल पौधो. पर ही फूल नहीं खिलते बल्कि इंसान क़े मन मे भी मुहब्बत क़े फूल खिलने लगते हैँ ©Parasram Arora मेघा रे मेघा.....
Parasram Arora
बहुत दिनों से वे मेघ गरज रहे है. पर बरस नहीं रहे हैँ शायद हल्के फुल्के होने क़े कारण हवा पर स्वार होकर सैर सपाटे क़े लीए निकले होंगे हा यही मेघ अगर भरे पूरे होते और रंग भी उनका घना होता तों वे बरसते भी गरजते भी और बिजली भी कड़कड़ा रहे होते इसलिए ऐसे बादलों की पूजा भी की जाती है ताकि वे जम कर बरसे लेकिन कुपित होकर उन किसानो क़े कच्चे मकानॉ और खेत खलिहानो को बहा कर न ले जाय बादल तों वही मन भावना और प्रीती योग्य होते हैं ज़ो बूँद बूँद कर रिस्ते हैँ और किसान क़े खेतोँको अच्छे से सींच कर उन्हे. उम्दा फसल क़े योग्य बनाते हैँ ©Parasram Arora मेघा रे मेघा.....
Meggi
वरना तुम्हे ये किसी के ख्यालों में रोज जगाएगी।🌼 ©Meggi #शायरी #कविता #शायर #मेघा #राइटर #न्यूज़ #लव
Raviraj Sharma
मेरे हृदय का तुम तक सन्देश पहुँचा रहा है । तनिक देखो प्रिय , मेघा तुम्हे मेरा हाल बता रहा है ।। #मेघा
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
जब-जब मेघा बरसे थे,ये नैना तुम बिन तरसे थे, मस्त,मधुर मन के सावन,रिमझिम बारिश में तडपे थे। यादों के वो कटुर तीर,मन को छलनी कर जाते थे, जब-जब बादल संग मस्त हवा,बालों को छू कर जाते थे। हाथों में वो हाथ तुम्हारा,कदम-कदम संग साथ तुम्हारा, नैनों से बातें होती और हर दम मिलता प्यार तुम्हारा। जब-जब बादल गरजे थे, तुम बिन हम कितना तरसे थे, बूंद- बूंद नभ से गिरकर, मेरे मन पर जमकर बरसे थे। ©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal #मेघा
SAKSHI JAIN
तेरे इश्क़ के छीटे आज हम पे पड़ गए देखो ना आज हम कितने निखर गए मेघा दी हो जब साथ हमारे मेघा दी हो जब साथ हमारे बोलते सब हमारे भाव ही बदल गए ©SAKSHI JAIN #मेघा दी
आरती राय
क्यों तरसाये कारी बदरिया आँख मिचौली खेले भरी दुपहरिया झूला झूलावन मोहे आये सँवरिया आ जाओ अब कारे-कारे बदरिया। मोहे भा रही अब हरी-हरी चुड़ियाँ वन उपवन हरियाली ले आओ रे प्यारे मेघा नभ छा जाओ रे मस्त मल्हार सखियन गाओ रे। बरसो मेघा