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Shaikh Shabbir
खुशी क्या होती है इस पेड़ से पूछो जब तक इसके पास हरियाली थी तब तक ये भी हरा भरा था आज देखो सुख कर जमीन का बोझ बना पड़ा है इस पेड़ से हमे एक बात मालूम पड़ती है जिंदगी में हर इंसान से मोहब्बत करो सबसे मिलते जुलते रहो आप अगर किसी को रोज कोसेंगे क्या पता वो भी अंदर से टूट जाए और आपको पता तक ना चले जब तक वो पेड़ हरा था अपने आस पास को हरियालियो से भरा पड़ा था वैसे ही जिस इंसान से आप मोहब्बत करते हो उसे मत कोसो क्या पता कभी वो भी आपको छोड़ जाए इसलिए हर इंसा की कद्र करनी चाहिए ©Shaikh Shabbir शब्बीर शेख
Shaikh Shabbir
क्यू कि तू अपनी खुबिया ढूंढ खामियां निकाल ने केलिए लोग है ना अगर कदम रखना है तो आगे रख पीछे खींचने केलिए लोग हैं ना सपने देखना है तो ऊंचा देख नीचा दिखाने के लिए लोग है ना तू अपने अंदर की चिंगारी भड़का जलने केलिए लोग है ना प्यार करना है तो खुद से कर नफरत करने केलिए लोग है ना जिंदगी को आगे बढ़ाते चल कब्र में लेजाने केलिए लोग हैं ना शब्बीर शेख ©Shaikh Shabbir I am शब्बीर बाबा #Mic
Abdul Gani shabbiri
Tammar Naqvi Rizwan
شبّیر کے خیمے میں اک شور قیامت ہے دل غم سے نہ پھٹ جائے عبّاس کی رخصت ہے رضوان حیدر تمّار . ©Tammar Naqvi Rizwan शब्बीर के ख़ेमे में इक शोर ए क़यामत है दिल ग़म से ना फट जाए अब्बास की रुख़सत है
Ashok Mishra Comedian (9833241897)
तुमसे मिलकर ना जाने क्यों, जब हम जवां होंगे fame great singer शब्बीर कुमार जी के साथ नागपुर शो के दौरान
Shaikh Shabbir
वो नहीं आती पर निशानी भेज देती है; ख्वाबों में दास्ताँ पुरानी भेज देती है; कितने मीठे हैं उसकी यादों के मंज़र; कभी-कभी आँखों में पानी भेज देती है। शेख बाबू शब्बीर वो नहीं आती पर निशानी भेज देती है; ख्वाबों में दास्ताँ पुरानी भेज देती है; कितने मीठे हैं उसकी यादों के मंज़र; कभी-कभी आँखों में पानी भेज दे
pinkcity voice
Sangeeta Patidar
कवि सा मन सोचे जब तुम्हारे लिए तहरीर बन जाती है, यादों में यूँही डूबके अक्सर तुम्हारी तस्वीर बन जाती है। याद तुम्हीं को करती हूँ जब-जब लिखना भूल जाती हूँ, आड़ी-तिरछी लकीरों से भी जैसे तक़दीर बन जाती है। तन्हा लम्हों में ख़ुद को बहलाती हूँ ख़यालों के शोर से, मुश्किल ख़ुद-ब-ख़ुद जैसे उम्दा तदबीर बन जाती है। तुम्हारी बे-ख़याली से भी जाने क्यों दिल रूठता नहीं, होती नहीं है मुलाक़ात, फिर भी तशहीर बन जाती है। कुछ न कुछ ख़ास तो ज़रूर होगा हमारे दरम्याँ 'धुन', यूँ ही तो नहीं बे-वजह ये ग़ज़ल शब्बीर बन जाती है। तदबीर- तरकीब तशहीर- रुसवाई शब्बीर- सुन्दर ♥️ Challenge-671 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
अज्ञात
पेज-4 उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में आसमान की ओर निहार रहे थे हाथ में कागज़ कलम शोभायमान थी, मानो कोई रचना की प्रेरणा हो रही हो... आगे बढ़ते हुये कथाकार ने देखा जे पी साहब जो अपनी प्रकृतिवादी कविताओं के लिये नोजोटो में ख़ासी पहचान रखते हैं वो प्रकृतिप्रेम में निमग्न अपने आँगन की फुलवारी में लगे पुष्पगुच्छों को संवार रहे हैं, कथाकार आगे चला तो चंद्रवती जी सुबह सुबह देव आराधना में निमग्न "राम रक्षा स्त्रोत" का पाठ कर रहे थे जो बरबस ही कथाकार के पैरों को बढ़ने नहीं दे रहा था, किन्तु समयाभाव के कारण कथाकार ने दूर से ही प्रभु वंदना कर आगे बढ़ चला.. वहीं साधना जी अपने टेबल पर शैक्षणिक गतिविधियों में रत दीख पड़ीं.. अब कथाकार अपने राजदुलारे मानक के घर तक आ पहुंचा.. मानक जो गऊ सेवा में तत्लीन रहता है, जिसे अपने घर में ही वैकुण्ठ नज़र आता है सुबह उठते ही अपने घर को चमकाते हुये बार बार अपना चन्द्रमुख शीशे में देख रहा है.. कहीं कोई पिम्पल तो नहीं आ गया, शायद वैवाहिक स्वप्न अब मानक को सताने लगे हों...! कथाकार जोर से हंस पड़ा और आगे बढ़ता चला..एक के बाद एक अपने सभी अपनों हिमांशु ,आनंद,संदीप जी शब्बीर,शाम्भवी,अर्श जी, रूह जी, प्रिया गौर, प्रिया दुबेके साथ नवागंतुक रचनाकार जिन्होंने भी इस कॉलोनी में अपना निवास चयन किया उन तमाम रचनाकारों के फ्लेट से विचरण/ निरीक्षण कर अंततः कथाकार अपनी कालोनी का दिव्य आनंद लेते हुये अपने निवास तक आ पहुंचा। अब आगे-5 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज-4 उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में आसम