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Mithlessh shaarma
कल क्या होगा कभी मत सोचो, क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल दे….।। #gif काल क्या होगा
Geeta Sharma pranay
काल ये अनदेखा है, विनाश करने ये आया है , बस !एक भूल इसका ग्रास है , ना निकल बाहर तू घर से| बस यही निवेदन है सबसे| पसारे हैं इसने विश्व में अपने पैर , ना जाने कितनों को खा गया है? ना जाने कितनों को खाएगा? बस !एक भूल इसका ग्रास है ना निकल बाहर तू घर से | बस यही निवेदन है सबसे| मानव -जाति को कैद कर दिया , मानव से मानव में खौफ कर दिया, अपनों को अपनों से दूर कर दिया, बस !एक भूल इसका ग्रास है , ना निकल बाहर तू घर से | बस यही निवेदन है सबसे| रखना है हर कदम सोचकर , रहना है अपने ही घर में बंद होकर, वरना देश के साथ, कितनों को बना लेगा अपना ग्रास , बस! एक भूल इसका ग्रास है , ना निकल बाहर तू घर से | बस यही निवेदन है सबसे| दोनों हाथों से कर प्रणाम, यही भारतीय संस्कृति का ज्ञान , हाथों से हाथ ना मिलाना , बस !एक भूल इसका ग्रास है , ना निकल बाहर तू घर से | बस यही निवेदन है सबसे| गीता शर्मा"प्रणय" काल कैसा आया है?
Bhatt Ji pankaj Bhatt
काल भी उसका क्या करेगा जो भक्त है महाकाल का जय महाकाल
sr ku
हमरे लिए महाकाल ही सब कुछ है बाकि सब कुछ मोह माया हा जय महा काल का भगत है बही महा काल
kumaarkikalamse
कुछ सवालों का जवाब, कुछ जवाब ही बन जाते सवाल, बीता वक़्त भी काल, और आने वाला कल भी होता है काल| #Kumaarsthought #kumaarsher #वक़्त #काल कुछ समझ मुझे भी नहीं आया कि क्या लिखा है...
Ek villain
सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश कर जाता है तो तिल गुड़ खाने और गुड़ जैसा ही मीठा मीठा बोलने की परंपरा है यद्यपि हम सब जानते हैं कि सत्य सदा कड़वा होता है और मीठा बोलने तो झूठ के सहारे ही हो सकता है जब सूर्य को भी मकर निकल जाए तो सत्य की क्या औकात कहने का सच और कहने का झूठ कैसा दूध और कैसा पानी यह संक्रमण काल है भाई ना कुछ धवल है ना श्यामल है माफ कीजिए सब गोलमाल है दरअसल मीठी बात तो वही होगी ना जो घुमा फिरा कर की जाए गोल गोल बोलना संक्रमण काल की नरसिंह आवश्यकता है वैसे भी आक्रमण जेल जेल कर हम भारतीय संक्रमण धर्मी हो गए हैं हमें सबसे ज्यादा उदार मान कौन हो सकता है हमारी कला संस्कृति सभ्यता रहन-सहन खान-पान सब आउटडेंट हो गया है संक्रमण के इंजेक्शन लगाए और हमें आधुनिक बनाएं क्योंकि संक्रमण ही नविता ना का जन्मदाता है क्योंकि कहीं प्रकृति का तो ठीक का संक्रमण सिलना ले रखा है जीवन शैली से लेकर संस्कार तक सब आयत्ती हो गया है हम अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व हो गए हैं राष्ट्रीय कान्हा भी हो पाए तो क्या फर्क पड़ता है सुमित रहने का जमाना नहीं है दादा दिन पड़ेगा हमारी संकरण क्षमता की संस्कृत हो या भाषा उस में संक्रमण हमें दूध में शक्कर की तरह मिला ही देते हैं हिंदी से इंग्लिश तक यूं ही नहीं पहुंच गए हम हम तो शुक्रगुजार होना चाहिए इस संक्रमण कलाकार से हमारे संस्कारों को समृद्ध किया गति प्रदान की आप ही बताइए पैर छूने का संस्कार जब टांग खींचने तक पहुंच जाए तो उसे विकास ही कहेंगे ना संक्रमण के इस विकास अभियान ने असंभव को भी संभव कर दिखाया बेहाल मेरे इस संक्रमण बोध से आप उबासी आना लेने लगे ©Ek villain # यह संक्रमण काल है भाई #BookLife