आपकी रियायत।
सांसों पे पहरा कैसा लगा है
कानों से बंधा
होठों को छुपा
बस आंखें दिखा
बाल कटा #Hope#khnazim
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vasundhara pandey
आज तुमने सोचा है तुम हार गयी हाँ तुम हार गयी
कठिन शिशिर में वो देवदार का वृक्ष अड़ा रहा!
बिना पोषण के बर्फ की परत के नीचे,
अपनी इक्षाशक्ति
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vasundhara pandey
आजकल लिखती बहुत हूँ मगर कुछ लिख नहीं पाती....कुछ ऐसा जो कि तुम्हें जीत लाये... खैर हम हैं ही सूरज और पृथ्वी की उस मनगढंत कहानी के जैसे जिसम #StoryTeller#yqstory