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Sanjeet Kumar

दुनिया में दोस्ती का ही एक ऎसा रिश्ता है जिसे हम अपनाते नहीं, चुनते है.. जिंदगी का हर रिश्ता, हमसे जन्म से ही स्वतः जुड़ जाता है, परंतु दोस

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दिल से यूँ किसी को उतारते नहीं.. 
दोस्ती हरपल जताते नहीं.. 
याद रखने कि बात क्या...!? 
हम दोस्तों को कभी भुलाते नहीं...! दुनिया में दोस्ती का ही एक ऎसा रिश्ता है जिसे हम अपनाते नहीं, चुनते है..  जिंदगी का हर रिश्ता, हमसे जन्म से ही स्वतः जुड़ जाता है, परंतु दोस

vibrant.writer

#patekibaat 👈 touch on this and scroll up... ☺️ {15} सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... 💰 पैसा कमाने को रिश्वतखोरी 💰 💪 सत्ता में आने को दगाख #lifelessons #lifequotes #lifestyle #yqdidi #yqhindi #vibrant_writer

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{15}
सुनो, पते की बात बतलाता हूं.....

💰 पैसा कमाने को रिश्वतखोरी 💰
💪 सत्ता में आने को दगाखोरी 💪
🕸️ झूठी शान बचाने को झूठ का जाल 🕸️
👊 अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल 👊
🦎 जरूरत हो तब तक रिश्तो का मान 🦎
🤬 प्रतिष्ठा पाने को दूसरों का अपमान 🤬

अपने फायदे के लिए किए जाने वाले, 
सारे काम नर्क की सीढ़ी बनाते हैं,
जो कहीं ऊपर आसमान में नहीं पर, 
हमारी जिंदगी को ही नरकागार में बदलते हैं।  #patekibaat 👈 touch on this and scroll up... ☺️ 
{15}
सुनो, पते की बात बतलाता हूं.....

💰 पैसा कमाने को रिश्वतखोरी 💰
💪 सत्ता में आने को दगाख

Geet Misha

रिश्ते होते हैं कितने अजीब। जो हर पल हमको हंसाते हैं, जो हर पल हमको रुलाते हैं, जो हर पल हमको बताते हैं, जो हर पल हमसे छुपाते हैं, रिश्ते ह #Rishtey #yourquotedidi

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रिश्ते होते हैं कितने अजीब।
जो हर पल हमको हंसाते हैं, जो हर पल हमको रुलाते हैं, जो हर पल हमको बताते हैं, जो हर पल हमसे छुपाते हैं, 
रिश्ते होते हैं वो धागे जो झटके में टूट जाते हैं, 
कोशिश हज़ार करने के बाद भी, ये जुड़ नहीं पाते हैं, उन रिश्तों का एक नाम होता है, 
जो ऊपर से बन के आते हैं, 
मां-बाप, भाई-बहन ऐसे नाम इनको दिए जाते हैं। 
और कुछ रिश्ते हम ज़मीं पर बनाते हैं जो दोस्त कहलाते हैं।
 रिश्ते होते हैं कितने अजीब।
जो हर पल हमको हंसाते हैं, जो हर पल हमको रुलाते हैं, जो हर पल हमको बताते हैं, जो हर पल हमसे छुपाते हैं, 
रिश्ते ह

Vidya Jha

शिक्षक का अर्थ है जो कुछ सिखाये हमे कुछ व्यर्थ नहीं है जो हमे अज्ञान से ज्ञानी बनाते हैं जो हमे अंधकार से उजाले में ले जाते हैं जो हमे गलत #poem #teachersday2020

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शिक्षक 🙏

Full poem in caption

©विद्या झा शिक्षक का अर्थ है
जो कुछ सिखाये हमे
 कुछ व्यर्थ नहीं है 
जो हमे अज्ञान से
ज्ञानी बनाते हैं
जो हमे अंधकार से
उजाले में ले जाते हैं
जो हमे गलत

रजनीश "स्वच्छंद"

एक अलग दर्पण बनाते हैं।। एक दर्पण बनाते हैं, जो अन्तर्मन को दिखलाए। सूरत ही नहीं जिसमे, सीरत भी नज़र आये। निज को देखकर मानव, #Poetry #kavita #tourgurugram

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एक अलग दर्पण बनाते हैं।।

एक दर्पण बनाते हैं,
जो अन्तर्मन को दिखलाए।
सूरत ही नहीं जिसमे,
सीरत भी नज़र आये।

निज को देखकर मानव,
कहीं कुछ तो बदल जाये,
जो बोली लग रही रिश्तों की,
पहले ही सम्भल जाए।

ये अक्स जो दिखता उसे,
क्या शख्स सच वो है,
कहो जो बांवला बन झूमता,
क्या रक्स सच वो है।

कहीं टोपी कहीं चन्दन, 
ये कारोबार कैसा है।
भोंपुओं पे टिकी जो आस्था,
त्योहार कैसा है।

रंगों में बांट जो बैठे,
लहु की अब तो बारी है,
लगी जो आग जंगल मे,
झुलसती सृष्टि सारी है।

कहाँ चलना कहाँ रुकना,
बताए मौन क्या कोई,
कहर का दर्द है उसको,
कि जिसने जान है खोई।

कहाँ मंथन कहाँ चिंतन,
कहाँ निज का अवलोकन है,
ये दर्पण तुम अब जरा बदलो,
ये दर्पण मनमोहन है।

चलो अब तोड़कर धरती,
अलग हिस्सा बनाते हैं।
बसा इंसान की बस्ती,
अलग किस्सा बनाते हैं।

छद्मावरण का कोढ़ ये,
अबतक छुपा जीते रहे।
चलो कोई मरहम बने,
क्यूँ ज़ख्मों को सीते रहे।

एक सुबह उस पार है,
थी जिस सुबह की लालसा।
ये आईना जो दीख रहा,
है छद्म माया जाल सा।

एक परत उखाड़ देखो,
देखने को कुछ नहीं।
एक बार मन मे झांक लो,
तुम हो बली हो तुच्छ नहीं।

हुंकारते जो तुम रहे,
वो आईने में मूक था।
कब वो कह सका तुम्हे,
सच जो दो टूक था।

निहारते रहे कहाँ,
कस्तूरी नाभी में बसी।
करो आत्मा स्वतंत्र तुम,
जो जाने है कहाँ फंसी।

मैं सत्य तो बताऊंगा,
न आईना, मैं शब्द हूँ।
हूँ पन्नों में पड़ा हुआ,
पर मैं ही प्रारब्ध हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" एक अलग दर्पण बनाते हैं।।

एक दर्पण बनाते हैं,
जो अन्तर्मन को दिखलाए।
सूरत ही नहीं जिसमे,
सीरत भी नज़र आये।

निज को देखकर मानव,

AK__Alfaaz..

पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे है.. #मेरा_मकान... गली के नुक्कड़ से, ​चौराहे का चौथा मकान, ​चाहरदीवारी से घिरा, ​ #yqbaba #yqdidi #bestyqhindiquotes

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गली के नुक्कड़ से,
​चौराहे का चौथा मकान,
​चाहरदीवारी से घिरा,
​
​खिड़की इक,
​जो झाँकती है,
​जिंदगी की तलाश में,
​बेतहाशा दौड़ती सड़कों पर,
​
​तन्हाई में,
​दहलीज पर,
​दरवाजा शीशम की लकड़ी का
​मकान के लोगों का,
​है विश्वास बनकर,
​अरसे से खड़ा,
​
​मकान में है,
​तीन चारपाई,​चार कुर्सियाँ और एक मेज,
​बिस्तर हैं चादरों संग,
​तकिए हैं गिलाफ़ ओढ़े सिरहानों पर मौन, पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे है..

#मेरा_मकान...

गली के नुक्कड़ से,
​चौराहे का चौथा मकान,
​चाहरदीवारी से घिरा,
​
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