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New दीपक सिंह का बिरहा Quotes, Status, Photo, Video

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P S Jha

स्वतंत्रता का दीपक by गोपाल सिंह नेपाली #कविता

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Deepali Singh

दीपा का दीपक Happy Birthday Deepa #कविता

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खुशियों का दीपक लिए
गम हम मन में छुपा लिए
नमी आँखों में दबाये रखे
तो होठों पर मुस्कान खिले
जियूँगी अब मैं हरदम ऐसे
जैसे अब तक आ रही जीते
तु भी जीले अब मन भर के
जीले ये ज़िंदगी पल पल रे

©Deepali Singh दीपा का दीपक
Happy Birthday Deepa

दीपक सिंह दिनकर

दीपक सिंह दिनकर.

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उसने मेरे जख्मो का कुछ यूं किया इलाज..
मरहम भी लगाया तो कांटो की नोक पर..।। दीपक सिंह दिनकर.

deepak singh

उसने एक दीपक जलाया,, उसने एक" दीपक" जलाया,,।। न उसने "उस दीपक "का दर्द समझा, न उसने" इस दीपक "का दर्द समझा,,।। दीपक सिंह,,,,,

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उसने एक दीपक जलाया,,
उसने एक" दीपक" जलाया,,।।
न उसने "उस दीपक "का दर्द समझा,
न उसने" इस दीपक "का दर्द समझा,,।।
दीपक सिंह,,,,, उसने एक दीपक जलाया,,
उसने एक" दीपक" जलाया,,।।
न उसने "उस दीपक "का दर्द समझा,
न उसने" इस दीपक "का दर्द समझा,,।।
दीपक सिंह,,,,,

deepak singh

उसने एक दीपक जलाया,, उसने एक" दीपक" जलाया,,।। न उसने "उस दीपक "का दर्द समझा, न उसने" इस दीपक "का दर्द समझा,,।। दीपक सिंह,,,,,

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Mihir Choudhary

बिरहा

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तुमने तो हँस के पूछा था  बोलो न कितना प्रेम है 

बोलो कैसे मैं बतलाता
बोलो ना कैसे समझता 

जब अहसास समंदर होता है 
तो शब्द नही फिर मिलते हैं 

उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं  बतलाता 
बोलो न कैसे  दिखलाता बोलो न कैसे  समझता 

 तब भी हिसाब का कच्चा था
अब भी हिसाब का कच्चा हूँ

 जो था वो ना मेरे बस का था
अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं

अब अंदर -अंदर सब जलता है
लावा जैसा सा कुछ पलता है

धीमे धीमे  कुछ रिसता है
कुछ टूट-टूट के पीसता है

नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है
धड़कन बिजली सा दौड़ता  है

अब बेहिसाब ये यादे है 
बस बेहिसाब ये चाहत है 

बोलो क्या वो प्रेम ही था 
बोलो न क्या ये प्रेम ही है

मिहिर... बिरहा

Deepak singh meena

दीपक सिंह मीणा करौली

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आज नजर अंदाज करने वाले लोग वेखबर है इस बात से,
की आने वाले TIME मे ये हमारे हर अंदाज के दीवाने हो जायेगे,....!!!

©Deepak singh meena दीपक सिंह मीणा करौली

Rajesh rajak

फागुन का बिरह,

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सखियां करती फागुन की बातें,
ये सखी,कैसे कटें ये तन्हा रातें,
आ गया बसंत,दुख भए अनंत,
दिन तो बीता प्रियतम की बाट जोहते,
कैसे बीतें बैरन रातें,
यार मिले कोई तलबगार,कसक मिटे मन की,
राग मल्हार फगुआ गाए,प्रीत मिले न यौवन की,
मन मतंग,करता है तंग,फीका सा लागे मोहे लाल रंग,
हे कंत,कर बिरह का अंत,पुलक उठे मोरा अंग अंग,, फागुन का बिरह,

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता प्रेम बिरह

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तेरे बिन बहते अश्रुजल।
गा रहे बिरह की एक गजल।
प्रेम- प्रणय के प्रेम -भंवर में प्रेम -रस बरसाते हैं।
कितने ग़मों सितम सह जाते हैं।
तुम क्या जानो अपने दिल को कितना समझाते हैं।
 तुम क्या समझो तुम बिन कैसे रह पाते हैं।
प्रेम ताप में तपे हुए तेरे बिन नहीं जीना है ।
बढ़ता जाता दर्दो गम पहले से ज्यादा दूना है
रातें दिन कटते नहीं घर आंगन सूना है।
चाहे हों कितने लाख सितम तेरे बिन नहीं रहना है।
कवि:- शैलेन्द्र सिंह यादव

 #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता प्रेम बिरह

Deepak Dixit

#दीपक दीक्षित 'दीप "

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आसां नहीं है यूं किसी के इश्क़ में फना हो जाना,बड़ी मुश्किलों से इश्क़ नसीब होता है । #NojotoQuote #दीपक दीक्षित 'दीप "
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