Find the Latest Status about शिवलेल्या अमृत from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, शिवलेल्या अमृत.
Vikas Dhaundiyal
उसे मिलने था बुलाया क्या बोलूँगा सोच ना पाया वो आयी, मैं कुछ ना बोला उसने अपना हाल ए दिल बताया वो चाहती थी मुझे, मैंने तो जैसे बिन मांगे अमृत को पाया अमृत
Kirtesh Menaria
अमृत की हसरत मे भटके दर दर पर हर किनारे जहर का प्याला ही पाया ©kirtesh #अमृत
Vivek
आंखों में समुन्दर लिए लबों में लिए अमृत साथ तुम रहोगी तो हर पल अमर होती रहेंगी यादें ज़रूर ही कुछ मीठी सी...!!! ©Vivek # अमृत
Babli Gurjar
पानी है जहां वहां प्यास नहीं होती सुख सुविधाएं ही खुशी की बिसात नहीं होती मटकों में ढ़ोते हुए अमृत का मोल जानते हैं साधन सुलभ अमृत को ही नहीं पहचानते हैं इस अमृत की कमी में मरूभूमि सोना नहीं उगलती सखी रात में लगे ठण्डी रेत दिन में रहे तेज जलती बबली गुर्जर ©Babli Gurjar अमृत
Zakir Qadri
दरवाज़ा कई चेहरे वीरान है इस धरती पर अब हम सबके मन को भा जाए कोई अमृत थोड़ी है ©Zakir Qadri अमृत
Parasram Arora
बहुत बाँट चुके हो अपने हिस्से का अमृत तुम वजी अमृत अब विष बनकर लौटा हैं थोड़ा चख कर देखो तों ©Parasram Arora अमृत
Laxmi Yadav
आज आराधना बहुत रोमांचित थी। उसकी वंदना दीदी बरसों बाद मुंबई आ रही है। उनका ऑपरेशन करवाना है पर इसी बहाने दोनों बहनें का मिलन तो होगा। मुंबई की होते हुए भी दीदी की शादी गाँव मे हुई थी। उस की दीदी रौब्दार, जिद्दी और सख़्त मिजाज की थी, पर दिल की भली थी। आराधना को थोडी फिक्र अपनी विजातीय बहु मानसी को लेकर थी। पर दीदी के लिए कमरा सजाने का आनंद उस पर हावी था। मानसी शहर की पढ़ी- लिखी समझदार नौकरी पेशा लड़की थी। इसीलिए रौनक ने उसे पसंद किया था। आखिर दीदी आई। उनका ऑपरेशन भी सफलता पूर्वक हुआ। बहु मानसी ने भी खूब सेवा की। रौनक को समय ना भी हो तो खुद वंदना दीदी का चेक उप करवाने ले जाती। सारी दवाएं समय समय पर देती, बिना भूले फल लेकर आती। आराधना भी खुश थी। वंदना दीदी के साथ बचपन व माइके की मधुर स्मृतियाँ परम आनंद देती थी। वंदना दीदी की दो बहूँए थी।बड़ी बहु सुमन ग्रैजुएट थी। उसे दो बेटी थी। पर दीदी उसे नीचा दिखाने का एक मौका नहीं छोड़ती ।छोटी बहू विमला की आगे पढ़ने की बहुत इच्छा थी, पर दीदी ने इजाजत नही दी। मजाल है दोनों के सर से पल्लू हट जाये,बहुत सख्ती रखती थी। पर ना जाने क्या मानसी की सेवा का मोह जादू चला । आराधना ने वंदना दीदी को मानसी से ये कहते सुना की तुम्हारे जैसा सूट मुझे अपनी बहुओं के लिए भी लेना है। फिर बोली छोटी बहु विमला को आगे पढ़ाई का फारम भरने को कह दिया है। वंदना दीदी रोज़ धार्मिक ग्रंथ पढ़ती थी। आज वो ' अमृत मंथन ' अध्याय पढ़ रही थी। आराधना ने हँस कर पूछा " इस अध्याय मे क्या पढ़ा? आपने "वंदना दीदी ने मुस्कुरा कर कहा " पुराने और नये विचारों का मंथन हुआ। उसमें से नये विचारों का अमृत प्राप्त हुआ। तुमने और तुम्हारे बहु मानसी ने मेरे पुरानी मानसिकता के विष को निकाल डाला। "आराधना इसका गूढ़ रहस्य समझ कर बस मुस्कुरा दी। ©Laxmi Yadav # अमृत मंथन
95ra_ja
अब क्या बात करे इस ख़ामोशिकी जो अकसर तुम्हे मिलने के बाद इन लबों पे छा जाती है। -अमृत #खामोशी #अमृत