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Maa Brahmani Devi

सुबह का मनोरम दृश्य

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देख रहा हूं दृश्य मैं
डरे सहमे अंधेरे का
भाग रहा जो तेजी से
देख किरण सवेरे का
तारे भी अब टीम- टीम करते
हो रहे नभ से गायब
चांद कि चांदनी फीकी पड़ीं.. 
खग -विहग कर रहे हैं गायन 
मधुकर भी बागों को चलें
सुघं सुगंध सब पुष्पों का
देख रहा हूं सुबह का मनोरम दृश्य

vks Siyag

🌺प्रकृति का मनोरम दृश्य 🌺 #शायरी

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"चंहुओर छाये इन फलकों -सा कहीं ओर नजारा नहीं था, 
सुरराज ने ऐसा मनोरम दृश्य धरा पर कभी उतारा नहीं था।।"
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
--Vimla Choudhary 
24/8/20 🌺प्रकृति का मनोरम दृश्य 🌺

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है । जिया कहता यहीं रुक जा तू , यही ईश्वर लेखा है ।। मिला है संग किस्मत से तो , इसे भी भाग्य जानें #कविता

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मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है ।
जिया कहता यहीं रुक जा तू , यही ईश्वर लेखा है ।।

मिला है संग किस्मत से तो , इसे भी भाग्य जानें हम ।
मानकर हम अब इसे अपना ,इसे पहचान मानें हम ।।
चलो स्वीकार लो सब मिलकर ,जो अब तक अनदेखा है ..
मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है।।

देखो नदियों के ऊपर ही , चमकता वह सवेरा है ।
दूर पर्वत के पीछे वहाँ , वही करता बसेरा है ।।
वही अद्भुत शक्तियों का मैं , सुनो संचार देखा है ।
मनोरम दृश्य यह मनभावन , प्रकृति का आज देखा है 

धरा के  शीश हैं यह लगते  , यहाँ ऊँचे सभी पर्वत ।
इन्ही पर्वत से बहता नीर , लगता सबको अब शर्बत ।।
बुझाने प्यास पथिक को यहाँ , अब तक हमने देखा है ।
मनोरम दृश्य यह मनभावन , प्रकृति का आज देखा है ।।

अभी तक भटके अँधेरों में  ,सवेरा आज देखा है ...।
यही पंचतत्व सितारे है , यह सुगम रूपरेखा है 
मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है।।

१६/०१/२०२३         महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनोरम दृश्य यह मनभावन,प्रकृति का आज देखा है ।
जिया कहता यहीं रुक जा तू , यही ईश्वर लेखा है ।।

मिला है संग किस्मत से तो , इसे भी भाग्य जानें

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

माता के दरबार की , यात्रा भी थी खूब । देख मनोरम दृश्य वह , अखिया जाती डूब ।। अखियां जाती डूब , मातु के दर्शन करके । जिया न उठती हूक , मातु #कविता

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माता के दरबार की , यात्रा भी थी  खूब ।
देख मनोरम दृश्य वह , अखिया जाती डूब ।।
अखियां जाती डूब , मातु के दर्शन करके ।
जिया न उठती हूक ,  मातु की महिमा सुनके ।।
जयकारे की गूँज , भक्त के मन हर्षाता  ।
व्यथा सुनाने भक्त , द्वार ही जाता माता ।।

२१/०४/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR माता के दरबार की , यात्रा भी थी  खूब ।
देख मनोरम दृश्य वह , अखिया जाती डूब ।।
अखियां जाती डूब , मातु के दर्शन करके ।
जिया न उठती हूक ,  मातु

Vandana

यह तस्वीर मैंने अपने फोन से ली टेरेस से🥰 मैं सुबह और शाम प्रकृति के करीब रहती हूं प्रकृति को महसूस करती हूं मेरा मेडिटेशन ही यही है,,, यह प #loveNature

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आज पंछी भी मेरे नाम के अक्षरों की वर्णमाला बना रहे है,,,
देखो कितने मस्त गगन में गा रहे हैं,,,, यह तस्वीर मैंने अपने फोन से ली
टेरेस से🥰
मैं सुबह और शाम प्रकृति के करीब रहती हूं प्रकृति को महसूस करती हूं मेरा मेडिटेशन ही यही है,,,

यह प

Preeti Karn

#अनकही #स्वीकारोक्ति #yqdidi #yqhindi #yqhindiquotes #wallpaper : my click अनुभूति में जैसी उतरती हैं विशुद्ध अनछुई कल्पित वैसी कहां व्यक्त

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अनुभूति में जैसी उतरती हैं
विशुद्ध अनछुई कल्पित
वैसी कहां व्यक्त  
कर पाती  हूं
निर्जन बंजर बीहड़
बियाबान से 
सूदूर रेगिस्तान तक 
उदधि तडाग झील झरने
मनोरम दृश्य से 
हृदय विदारक  घटनाओं का
 साक्षी मन
साक्ष्य नहीं रख पाता।
सहेज कर रखी हैं
स्मृतियों ने
तितलियों के चटख रंगों की 
नैसर्गिकता का सम्मोहन
महुआ  की भीनी 
मादक मिठास की खुशबू
नासिका रंध्रों से होकर 
मस्तिष्क तक व्याप्त
उद्वेलित करती तरंगें....
आम के बौर से गंधाते
हवाओं की ठिठोलियां और
अमिया की महक का मादक स्पर्श....
मेरे शब्दकोष की अक्षमता
सहज स्वीकार्य है मुझे
क्योंकि मैं नहीं उतार पाती
भावों  को यथावत.....!!

          प्रीति



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