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Krati Singh
तेरे बाद,,, मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मुझमें भी कोई दिलचस्पी नहीं रही।,,, #कृति सिंह #दिलचस्पी
Parasram Arora
ठहरा हुआ समय. लम्बायमान हो रहा है और एक नींरस सा अलाप वातायान मे गूँज रहा है ज़ो कल मैंने सोचा था वो आज अभी टूटा है. टूट कर बिखरा है मैं आज भी उसी बरगद क़े नीचे. वक्त बदलने की प्रतीक्षा मे खड़ा हूँ और अपनी तथाकथित संशोधित ऊब और विवशता को विश्लिष्ट करने मे अपनी पूरी दिलचस्पी से जुटा हूँ ©Parasram Arora दिलचस्पी......
Parasram Arora
मैं पूछू इससे पहले ही जवाब मिल गया था मुझे दिल क़ो दिल से चिलचिस्पी वाकई दिलचस्प लगी मुझे मैं आइनो से हमेशा दूरी बना कर रखता हूं आज भी अपने बेनक़ाब होने का अक्सर डर लगता रहा है मुझे इतनी सजाये पाने के बावजूद भी मौत मेरी घटी नही समझ में नही आता आखिर इस नर्क ने कैसे झेला होगा मुझे ज़ो चिराग जलाया था अंधेरों में रौशनी के लिये मैंने उन चिरागो से भविष्य में सूरज का काम भी लेना था मुझे ©Parasram Arora दिलचस्पी....
Pratishtha Sharma
रिश्ता खत्म किया जिससे कैसे भूलें उनके उस बहाने को कैसे कर जाऊं मैं फिर से मौहब्बत उनको बताने को टूटा है दिल पहले ही मेरा फिर क्यों ना डरूं दिल लगाने को कहते हैं दिलचस्पी नहीं रही हमारी अब यही बाकी था उनके सुनाने को #दिलचस्पी
sidpoetryclub
प्यार में कभी खुली किताब मत होना लोग दिलचस्पी खो देते है पढ़ने के बाद, दिलचस्पी
S K Sachin उर्फ sachit
कितने दर्द और कितने जख्म हैं जामाने में ! किसी को दिलचस्पी नहीं है मरहम लगाने में !! ©S K Sachin #दिलचस्पी #fourlinepoetry
BANDHETIYA OFFICIAL
चस्पा दिल हो पाये, दिलचस्पी हो जाये। आंखों वो नजारा कर, नजरों से इशारा कर, मेरा दिल तेरा दिल, तेरा दिल मेरा दिल , कुछ है दिल गंवारा कर, चप्पा -चप्पा हाए, चस्पा दिल हो पाये । ©BANDHETIYA OFFICIAL #दिलचस्पी #SAD
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
दिलचस्प है दिल का सफर, हर वक्त एक दिलकश नजर, है छोडती मीठा असर, अब ऐ मेरे दिल कर गुजर, दे इश्क का मीठा जहर, पलकें खुलीं शामो-शहर, हर चीज लगती बेअसर, तेरे प्यार का जादू-कहर, अब बन चुकी मद्धम लहर, सुन चल पडूँ तेरे शहर ? जहाँ इश्क का मेरा है घर. जहाँ इश्क का मेरा है घर. #दिलचस्प
Neophyte
वीरानगी हो या हो लाखो की भीड़ मैं तो सिर्फ ढूँढता हु तुम्हे जब लोग सारे सवालों के जवाब देने लगे तो फिर एक सवाल में मैं पूछता हु तुम्हे कितने दिलचस्प और हसीन लोग है जहां में मैं किसी को देखता हु तो देखता हु तुम्हे कितनी तकलीफ देती है ये यादें तुम्हारी फिर भी ना जाने क्यूँ मैं सोचता हु तुम्हे अब ना कोई वास्ता है ना ही कोई उम्मीद तो फिर किस हक़ से मैं रोकता हु तुम्हे लाखों किस्से,कहानियां मेरे ज़हन में है मगर कलम उठाता हु तो मैं लिखता हू तुम्हे छोड़ो सारी बातें बस एक बात बतादूँ अभी भी मैं दिल मे रखता हू तुम्हे ©क्षत्रियंकेश दिलचस्प!