Find the Latest Status about टोल टैक्स के नियम 2019 from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, टोल टैक्स के नियम 2019.
SHOAIB STATUS
Fact Factory
SK Poetic
एक अमीर आदमी एक गरीब और मध्य वर्गीय लोगों से ज्यादा पैसे कमाता है। परंतु वह इन दोनों से कम टैक्स चुकाता है।जबकि एक गरीब और मध्यवर्गीय लोग कम कमाते हुए भी बहुत ज्यादा टैक्स चुकाते हैं। उन्हें हर चीज के लिए टैक्स देना पड़ता है जैसे "जब वह कमाते हैं तब उन पर टैक्स लगता है। जब वह खर्च करते तब उन पर टैक्स लगता है जब वह बचाते हैं तब उन पर टैक्स लगता हैं।और तो और जब वह मर जाते हैं तब भी उन पर टैक्स लगता है।" ©S Talks with Shubham Kumar टैक्स #Twowords
Vinod Umratkar
बिनधास्त येत जा, स्वप्नात माझ्या मी कुणालाही काही सांगत नाही। तसेही माझ्या स्वप्नात येण्यासाठी कोणताही टोलटॅक्स लागत नाही। #टोल #yqmarathi #टोलटैक्स 😄😄😄
SuRaJ ThAKuR (loverboygullu)
2019 के मेरे आखिरी शब्द...... साल 2020 में कुछ लोग नए रिश्ते बनाएंगे.... अगर जच नहीं पाया तो 2021 में किसी और से नए रिश्ते बनाएंगे, और एक मैं हूं कि एक ही रिश्ते को निभाने में लगा हूं, अब क्या करे यार हम हैं ही ऐसे जिससे एक बार रिश्ता जुड़ गया तो क्या फर्क पड़ता है ओ लोग हमारे साथ रहे या ना रहे, पर मैं तो निभा रहा हूं ना...? क्योंकि जब भी उसे देखता हूं, तो पता नहीं ऐसा क्यों लगता है जैसे खुद को देख रहा हूं मैं.. पर ओ साथ नहीं है, इसी कारण मैं पुरी तरह टूट चुका हूं....💔💔 सब मोह मया के शिकार हुए हैं यहां। क्योंकि मैं भी हो गया हूं।😣💔😭 2019 के मेरे आखिरी शब्द है #nojoto #nojotohindi #2019
Anamika
अंतिम तिथि थी भरने की टैक्स से, फिलहाल फाइल बंद है सबकी मास्क से। #टैक्स #फाइल #मास्क #येजीवनहै #तूलिका
Kumar Manoj Naveen
अजीब दास्तां है सुनाए न बने, पर बिन कहे भी दिल कैसे रहें। बच्चे थे तब सोचते थे कब होंगे हम बड़े, अब सोचते है क्यों हुए हम बड़े? न होते बड़े,न होती जिम्मेदारी, रोजी-रोटी के संघर्षों से सदा होती दूरी। ना आफिस की होती चिंता, न बास शब्द कोई जानता? होती नही हमारी शादी, न होते बीबी- बच्चे, नहीं होती रोज किच-किच। घर में शांति होती। क्या नजारा होता? बस अपना ही राज होता। घर तब हमारा होता। मां-पापा, भाई-बहन सब साथ होते, एक-दूसरे संग हिल-मिल दिन बिताते। मां के हाथ की रोटी का स्वाद होता, पापा के डांट का बस अख्तियार होता। पर प्रकृति के नियमों पर जोर चलता कहां है? होता वही है जो विधना ने लिख दिया है। ***नवीन कुमार पाठक (मनोज)***** ©Kumar Manoj प्रकृति के नियम#