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Priyanka Mazumdar

नारीवाद, क्या आपने कभी सोंचा है " नारीवाद" नामक इस शब्द का जन्म कहाँ से हुआ? दरसल बहुत कम ही ऐसे लोग हैं जो नारीवाद शब्द के अंतः स्थल को समझ पाये हैं। कोई भी स्त्री जब अपने हितों के बारे में बात करे उसे नारीवादी कहा जाता है। स्त्री जब अपने अधिकारों कि माँग करे , जब अपने उपर अत्याचार सहने बंद कर दे, जब अपने विचार बेपरवाह होकर दूनिया को बताने लगे , वो नारीवादी हो जाती है। 
 आखिर क्यों पुरुष वर्ग के लिए पुरूष वादी शब्द का प्रयोग बार - बार नहीं किया जाता? क्यूँ पुरूष को अपने हक के लिए किसी समाज समुदाय और दूनिया से नहीं लड़ना पड़ता? शायद इसलिए क्यूँ कि इस संसार में एक ही जाति है, पुरूष जाति। और इसलिए पुरूष नें अपनी सहुलियत के अनुसार सारे नियम बनाये। मनुष्यता के सभी अधिकारों पर पहले पुरूष का अधिकार है। फिर अगर वो चाहे तो स्त्री को उसमें साझा बना ले। या फिर कुछ दान करने जैसा सुख अनुभव करने हेतु स्त्री को कुछ अधिकार दान में दे दे। 

ये ठीक वैसा ही है जैसा कि जातिवाद। ऊँची जाति के एक तबके ने सब अपने अधिकार में कर लिया और फिर दान स्वरूप जीवन काटने के कुछ संसाधन तथाकथित नीची जाति को दे दिया । 
 अब जब तथाकथित नीची जाति के व्यक्ति ने इसका विरोध किया तो पहले उसे समझाया - बुझाया गया। फिर अत्याचार किया गया। जो फिर भी ना माने तो उन्हे आंदोलन कर्ता, जन विरोधी ..... अादी नामों से संबोधित कर समाज से बेदखल कर दिया गया। 
और फिर जातिवाद शब्द कि उपज हुई। और ये हमारे देश कि एक बड़ी समस्या है। पर इसका कोई हल नहीं, क्यूंकि इसी पर तो राजनीति है। आरक्षण है, और भ्रष्टाचार है। खैर अब आते हैं मुद्दे पर, अब तक आप समझ ही गये होंगे कि नारीवाद में नीची जाति कौन है। 
अब अगर कोई अपने हक पर लड़ने आये तो वो तब तक लड़ता है जब तक उसकी पूर्ण समस्या का हल ना हो जाये। अब आप उसे नारीवाद कहें या जातिवाद। 
 
साभार - प्रियंका मजुमदार।

©Priyanka Mazumdar #नारीवाद

Annu jain

एक वक्त के बाद तो वो उस घर में भी बोझ बन जाती है जहा वो जन्म लेती हैं
और जहा वो जाती है अपना सब छोड़ कर वहाँ से उसे कभी भी निकला जा सकता है 

कहाँ जायगी वो??

जब वो अपने मन से जीना चाहे तब भी रह सके
जब उसे कोई रखने तैयार ना हो
वो तब भी रह सके जब वो शादी ना करना चाहे

©Annu jain #नारीवाद

#covidindia

Abhi Oli

आज फिर जनता के दिल मे जुनून सवार था,
आज फिर सबके सिर पर खून सवार था।
खिंच निकाला उस बलात्कारी को थाने से,
आज कोई नहीं रोक सकता इसे सज़ा पाने से।
आज कानून नहीं पापी का फ़ैसला जनता करेगी,
देंगें सब ऐसी मौत की मौत भी आज डरेगी।।


लटका दिया उसे करके नंगा,और मारे पत्थर भरे ज़माने मे,
अब ना आएगा ख्याल बलात्कार का किसी को भी अनजाने मे।
छोड़ दी फिर रस्सी और मजा आया सबको उसे गिराने मे।।
फट गया शरीर,टूट गईं हड्डियाँ,लगा वो पापी रोने और चिल्लाने मे,
पर पाप की सज़ा काफ़ी ना थी,बांदा गाड़ी के पीछे नंगा,
और ले गए घिस के शहर के हर एक कोने मे,हर एक घराने मे।।


मर गया पापी,हुईं कानून की कार्यवाही शुरू,
अदालत मे मुकदमा,सभी पक्षों की गवाही शुरू।
फैसला आया मुद्दा बलात्कर का नहीं,झूठे नारीवाद का था,
महिला सुरक्षा कानून के गलत इस्तेमाल के विवाद का था।
ले ली जान एक मासूम की,
मुद्दा जो तड़पाती हर रात एक माँ को उसके बेटे की याद का था।।


क्या गलत नहीं महिला सशक्तिकरण के नाम पे झूठा नारीवाद फैलाना?
क्या गलत नहीं अपनी झूठी शान के लिए किसी मासूम का जान गवाना?
मैं पूरे दिल से साथ महिला सशक्तिकरण के,
पर क्या गलत नहीं पुरुषों का महिला से बात करने तक से डर जाना??
और क्या गलत नहीं इन चंद झूठी महिलाओं की वजह से,
एक पीड़ित महिला को शक की निघाओं से देखा जाना? #झूठा #नारीवाद

पूनम रावत

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Mantu Mantu Turi

BC pdf pdf #ज़िन्दगी

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पूनम रावत

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Vansh Batar

समाजवादी नारीवाद #Nojoto #Hindi

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लड़की के जब तक तीन-चार
 बच्चे पैदा नही हो जाते
 तब तक उसके विचार गंदे होने का
 भय बना रहता है।


- हरिवंश त्यागी #NojotoQuote समाजवादी नारीवाद 
#nojoto #hindi

पूनम रावत

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पूनम रावत

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Roopanjali singh parmar

प्रिय नारियों,
नारीवाद अत्यंत ख़ूबसूरत शब्द है। और उससे ज़्यादा ख़ूबसूरत है इसका अर्थ, जो कि पुरुषों का हर एक बात पर विरोध करना बिल्कुल भी नहीं है।
क्योंकि केवल नारी होना ही आपको पुरुष से योग्य नहीं करता। नारी और पुरुष दोनों को ही सृष्टि ने पूरक बनाया है, और साथ ही अपूर्ण रखा है। ये दोनों ही एक-दूसरे को पूर्ण करते हैं.. और मेरे अनुसार योग्यता जन्म के आधार पर नहीं बल्कि उसके पश्चात स्वयं के कर्मों के आधार पर होनी चाहिए।
इसलिए नारीवादी सोच से उठा विषय सम्मान से परिपूर्ण होना चाहिए, अभिमान से परिपूर्ण नहीं।
#रूपकीबातें 
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