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Rahul Banait

हाँ मै डरता हूँ

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हाँ मैं डरता हूँ 
भूतो से ना ही प्रेतो से
मै तो डरता हूं ह बस
अपनों के बदलते रितो से!! हाँ मै डरता हूँ

गुनेश्वर

हाँ मै रजस्वला हूँ #poem

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हाँ मैं रजस्वला हूँ 
स्त्री होने का सुख यह रज ही तो है 
तुम्हें आकार देकर सार्थक करने का 
दिव्य दायित्व मुझ पर है 
पर मुझे अपवित्र करार दिया गया
ऋषिपंचमी की कथा और कब तक बांचोगे ??? 
क्या तुम इस बात से डरते हो 
अगला जन्म बैल का न हो जाये 
अगर यही सोच है तो अब क्या हो ????
हाँ मैं रजस्वला हूँ 
गर्व है मुझे, 
पर तुम मेरे इस प्रेम के 
उन्माद को न समझ पाओगे 
और तुम पेड़ के सड़ जाने का ज्ञान बाँटते फिरो 
और बताओ की मैं अपवित्र हूँ 
अपवित्रता 2-3-4 दिनो मे सीमित कर 
फिर मुझे पवित्र कर देने की आत्म-संतुष्टि मे जियो
हाँ मैं रजस्वला हूँ 
और पुजा मेरे लिए वर्जित है 
इष्ट की मूर्ति भी नहीं छु सकती 
दूध मुहे बच्चे को दुग्ध पान तो करवाती हूँ 
फिर वह अपवित्र नहीं होता वह मुरझाता नहीं 
और बच्चे तो भगवान स्वरूप है ,,मुझे छूते है 
छाती से चिपके रहते हैं ,, उफ़्फ़... पर मैं अपवित्र हूँ 
हाँ मैं रजस्वला हूँ 
हाँ उस दौरान कुछ थकी रहती हूँ 
बुजुर्गो ने मेरे आराम के लिए 
निर्धारित किए थे वे दिन 
पर तुमने ????????????????
हाँ मैं रजस्वला हूँ 
तुम्हारी दमनवादी सोच की पक्षधर नहीं 
रूढ़िवादिता से रीढ़ कमजोर न होने दूँगी 
रजस्वला होती रहूँगी 
नैसर्गिक सुंदर बंधन को नहीं त्यागती 
पाखंडों का गुणगान मुझसे न होगा 
क्षमा करना 
कभी आओ 
सार्थक्ता के नीड़ के नीचे 
सच को स्वीकारें निर्विवाद 
दमनकारी सोच को पीछे छोडते हाँ मै रजस्वला हूँ

Geeta Sharma pranay

हाँ मै विशेष हूँ #

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"हाँ, मैं विशेष हूँ,,"
न मैं प्रथम की गिनती में हूँ, 
न द्वितीय की गिनती में, हूँ
क्योकि मैं तो 'अद्वितीय' हूँ, 
'नदी' नहीं मैं तो बस!
'एक बूँद जल" की हूँ 
जो 'प्यासें समन्दर' के लिए 
अमृत-धारा की 'बूँद' हूँ, 
मैं तो बस! सबके लिए 
"विशेष"हूँ
हाँ!  "मैं विशेष हूँ,,,;;;"
गीता शर्मा 'प्रणय" हाँ मै विशेष हूँ #

vivek singh

मै हिंदू हूँ हाँ हिंदू हूँ मैं

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इतिहास के पन्नो मे अंकित गौरवशाली  एक बिंदु हुँ मैं,
उत्पत्ती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै |
जब पृथ्वी थी शुन्य से भरी हुई,
अंधकार से भरी हुई,
जग का हाथ पकड़ ज्ञान का दिप जलाया हमने,
दिनकर की लाली दे कर के अंधकार मिटाया हमने,
 पीड़ा वसुधा का हरने को अध्यात्म का तंत्र दिया,
वेदों का उपहार दिया " ॐ" नाम का मंत्र दिया ,
जब भ्रमित हुआ पार्थ रण मे
तब गीता का मार्ग दिखलाया है,
सर्वत्र मुझी से निकले हैं 
मुझमे ही सकल समाया है,
मै राम कृष्ण मै अनंत विशाल 
मै दुर्गा चंडी माहकाल,
मै इन्दु,प्रभाकर से प्राचीन 
रग-रग मे लिप्त अनुभुती नवीन,
आदि से अनंत का संपूर्ण सिन्धु हुँ मै ,,
उत्पत्ती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
रक्त की एक -एक बुंद राष्ट्र पे भर-भर नेवछावर कर दूँ,
जब मै खोलुँ आंख तिसरी तो मरघट मे धुंआधार हर-हर कर दूँ,
राष्ट्र भुमी के कण-कण मे जो माँ देखे वो हर दृष्टि हिंदू है,
धू-धू  कर जलती ज्वाला मे जौहर की प्रवृत्ति हिंदू है ,
व्यक्तित्व हिंदू है,अस्तित्व हिंदू है ,
अन्तर्मन के कण-कण की अभिव्यक्ती हिंदू है ,
स्वयं का नही अपितु संपूर्ण विश्व का कल्याण हो जाये,
हिंदुत्व वही जिसका मनुष्यता मात्र पे नेवछावर प्राण हो जाये,,
त्याग, पराक्रम और मानवता का विशिस्ट संगम हुँ मै ,
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
मै गीता का ज्ञान अमर 
मै कुरुछेत्र का महा समर 
मै माधव का चक्र सुदर्शन हुँ 
मुख मे तीनो लोक का दर्शन हुँ 
पल भर मे प्रलयंकर हुँ मै 
आदि पुरुष हुँ शंकर हुँ मै 
रौद्र हुँ श्रृंगार भी मै, ढाल भी हुँ प्रहार भी मै 
मै वचन बध्ह मै मृत्यु द्वार पे कवच-कुंडल का दान करूँ,
समस्त के उद्धार हेतु मै ही तो विष का पान करूँ
मै प्रकृति का हुँ दृश्य अकाण्ड
समाहित मुझमे अनन्त ब्रह्माण्ड
सकल धरा के परिधि का केंद्र बिंदु हुँ मै 
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
सृष्टि के माथे का चंदन हुँ मै 
मानवता का अभिनंदन हुँ मै 
जग को जीना सिखलाया हमने 
शुन्य से अनन्त तक बतलाया हमने 
सब मे सम्लित हो जाता हुँ मै 
गैरों को भी अपनाता हुँ मै 
प्रेम पुष्प का प्रतिक हुँ मै 
सभी धर्मों का अतीत हुँ मै 
मृत्यु मात्र से भयभीत नही,अमरत्व का अमिट एक गीत हुँ मै !
आकाश से पाताल तक,गत और अनागत काल तक ,
संपूर्ण सृष्टि के संस्कृतियों का सिन्धु हुँ मै ,
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
नही सीमा का विस्तार किया,
मैने बस प्रेम प्रसार किया
ज्येष्ठ नही अपितु श्रेष्ठ भी हुँ 
पर अन्यथा न शस्त्र उठाया है 
हिंदू बन जाने को कहो कब किसका रक्त बहाया है 
कितनी मजारेँ दफ़न किया 
कितने मिनार गिरायें है 
मानवता के आड़ मे कहो कब धर्म को दिवार बनायें है 
सर्व धर्म सम्भाव यही मात्र मुल मेरे हैं 
मंदिर के निर्माण हेतु बोलो कब मस्जिद तोडे है 
पर मेरे सरल स्वभाव पे तुम अपनी मर्यादा भुलो ना 
गले लगाया है तुमको तो पीठ पे शूल हुलो ना 
पद्मवती का प्रण तुम भूलो ना
महाराणा का रण तुम भूलो ना 
भूलो ना गोरा-बादल के तलवरों का तुम प्रहार 
धड़ मात्र यम के दूत बने करते सत्रु का तर-तर संहार
भूलो ना विर शिवाजी को जब भगवा ध्वज ले निकले थे
मराठी रक्तों के शोलों से औरंगजेब जब पिघले थे
केशरिया ध्वज मे लिपटा जलती ज्वाला का सिन्धू हुँ मै ,
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
रात्रि से प्रभात का प्रारंभ हूँ मैं,
ब्रह्माण्ड के सृजन का आरंभ हूँ मैं,
एक जननी, एक ईश्वर
पृथक नहीं अखंड हूँ , 
गंगा सी अविरल अनंत
हिमालय सा प्रचंड हूँ ,,
मै बुद्ध मे, महावीर मे मै
साई और कबीर मे मै,
उत्साह मे मै, पीर मे मै,
हिन्द के हर नीड़ मे मै,,
हो गया जहाँ सर्वस्व अंतिम
वहाँ से शुरू हूँ मैं,
अखंड भारत का हूँ अटल संकल्प
 पुरातन काल से ही विश्व गुरु हूँ मैं,,
भारत के आभामंडल का इंदु हूँ मैं,
उत्पत्ती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै || #NojotoQuote मै हिंदू हूँ हाँ हिंदू हूँ मैं

Ankit yaduvanshi

#HopeMessage हाँ मै वही हूँ

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संघर्ष  मे  रातों  को  भी 

                   जागा  हूँ !

किताबों  के  हर  कोने  में 

                     भागा  हूँ !

बुनते  है  सपने  जिससे  हाँ

             मैं  वही  धागा  हूँ  !!



             *  अंकित यादव  * #HopeMessage हाँ मै वही हूँ

Arun kumar

#humanrights हाँ गलत हूँ मै . #Thoughts

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जिन लोंगों को लगता है
गलत हूँ मैं ....
उनको सही लगता है 
उनके लिये गलत ही हूँ मै ...

©Arun kumar #humanrights 
हाँ गलत हूँ मै .
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