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@The unstoppable wind
असतो प्रत्येकाचा फुलण्याचा मौसम चैत्रात पालवी फुटते कळीवर फुलपाखरू हळूच बसते पहिल्या सरीने माती गंधित होते कस्तुरीच्या शोधत हरिणही भटकते तसाच मी वाऱ्याप्रमाणे भटकंती करणारा पवन आहे असतो प्रत्येकाचा फुलण्याचा मौसम चैत्रात पालवी फुटते कळीवर फुलपाखरू हळूच बसते पहिल्या सरीने माती गंधित होते कस्तुरीच्या शोधत हरि
Ganesh Phapale
सौंदर्याची निशाणी तु.. 💕 लुकलुक पाणीदार डोळे, नजरेत भाव किती ग सुंदर भोळे... उंच उंच माथा त्यावरती उज्वल भविष्याचे लेख,अलेख, काळेशार ते घनदाट केस जणू गर्द राईच एक... चाफेकळी टपोरे रूबाबदार नाक त्याला लटक्या रूसव्याची धाप.. लाल गोरे गाल,त्यावर पडते खळी कमाल... गुलाब पाकळी सम गोड गुलाबी ओठ, हस्य सदा त्यावर गोड,शब्दांत ते मांडाव तरी कसं थेट...? नयन नक्षी जणू जिवंत मुर्तीच तु गोंडस हणुवटी, त्याला सुंदर तीळाने करून सोबत झाली परिपूर्ण सौंदर्यवतीच तु... नाजुक मऊ मखमालीचे कापसा सम ते गोरे पान हात, सहज भिजताय छान सुबक मेंहदीच्या रंगात... सौंदर्य परी तु, सुंदरतेची निशाणी तु. जलबुट्टीवार वेलीदार कंबर,जणू हरिणीची ग त्याला चाल... मखमालीचे पाय नाजुक-नाजुक त्याला पैंजणाच्या छुनछुन घुंगरांचा ताल.... ! एक प्रेमवेडा/"शब्दवेडा" गणेश फापाळे...✍🏻 ©Ganesh Phapale सौंदर्याची निशाणी तु.. 💕 लुकलुक पाणीदार डोळे, नजरेत भाव किती ग सुंदर भोळे... उंच उंच माथा त्यावरती उज्वल भविष्याचे लेख,अलेख, काळेशार ते
Bhaurao Palekar
sandy
#सोंदर्य_आणि_स्वभाव.... बायको कशी असावी? एक सामान्य प्रश्न ... परंतु उत्तर कठीण आहे, कारण जितका प्रश्न सोपा तितकं उत्तर कठीण. हजारो-लाखो उ
Vikas Sharma Shivaaya'
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली का त्योहार आमतौर पर दो दिनों का होता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है जिसे धुलण्डी भी कहा जाता है। हिंदुओं के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है :- भक्त प्रह्लाद की भगवान विष्णु में आस्था की कहानी भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। प्रह्लाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। यह कथा इस बात का संकेत करती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। कामदेव को किया था भस्म होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी ओर गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है। महाभारत की ये कहानी महाभारत की एक कहानी के मुताबिक युधिष्ठर को श्रीकृष्ण ने बताया- एक बार श्रीराम के एक पूर्वज रघु के शासन मे एक असुर महिला धोधी थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा संरक्षित थी। उसे गली में खेल रहे बच्चों, के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि- उसे मारा जा सकता है, यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दें। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दे, नृत्य करें, ताली बजाएं, गाना गाएं और ड्रम बजाएं। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम दिल की जीत का प्रतीक है। श्रीकृष्ण और पूतना की कहानी होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। वहीं, पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा। पूतना को स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था। लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 957 से 968 नाम 957 प्रणवः जिनके वाचक ॐ कार का नाम प्रणव है 958 पणः जो व्यवहार करने वाले हैं 959 प्रमाणम् जो स्वयं प्रमारूप हैं 960 प्राणनिलयः जिनमे प्राण अर्थात इन्द्रियां लीन होती है 961 प्राणभृत् जो अन्नरूप से प्राणों का पोषण करते हैं 962 प्राणजीवनः प्राण नामक वायु से प्राणियों को जीवित रखते हैं 963 तत्त्वम् तथ्य, अमृत, सत्य ये सब शब्द जिनके वाचक हैं 964 तत्त्वविद् तत्व अर्थात स्वरुप को यथावत जानने वाले हैं 965 एकात्मा जो एक आत्मा हैं 966 जन्ममृत्युजरातिगः जो न जन्म लेते हैं न मरते हैं 967 भूर्भुवःस्वस्तरुः भू,भुवः और स्वः जिनका सार है उनका होमादि करके प्रजा तरती है 968 तारः संसार सागर से तारने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा
नितिन कुमार 'हरित'
नितिन कुमार हरित ©नितिन कुमार 'हरित' हरित वाणी | नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit