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Manish Tusham Panipat
World Emoji Day बहुत गीन रहें हैं दूसरों के गुण और दोष, अपनें अंदर भी देख लो उड़ जाएंगे होश। Suraj Verma Soumya Jain Ritu shrivas Amit Kumar Yadav Pooja जबसे मन मरा ..कोई दुश्मन प्रतित नहीं होता, कोई हमारा दूश्मन नहीं, हम ही अपने म
Rashmi Hule
भाव गहिरे डोळे,डोळ्यात त्या स्वप्ने किती आर्त हाक हृदयाची, डोळ्यातून प्रतित होती... आँखों में गहरे एहसास, कितने ही ख्वाब है दिल से दिल की पुकार,आँखों में नज़र आती है... *प्रतित :- व्यक्त
Kavya Goswami
रश्मिरथी कभी पढ़ती नही थी मै ऐसे रचनाओं के पन्ने को आज प्रखर इच्छा जगी है जी भर-भर कर पढने को । ये कमाल उस 'महाकाव्य' का है या 'दिनकर' के शब्द है बाँध रहे "कुन्ती तनय होकर भी कर्ण क्यूँ अनवरत यूं अपमान सहे?" कहीं सुना था मैने की 'दिनकर जी' अपने काव्य 'रश्मिरथी' में कर्ण के चरित्र का अच्छे से वर्णन नही किये है । ये बिल्कुल गलत है... जहाँ तक मेरे अ
Archana Kumari
प्रेम की बूंद से रूह का जलना दिल को खोल कर भी मोह में ना बंघना किसी को चाहने में चाहत का ना तौलना एक उम्र का गुजरना जिन्दगी का हिसाब ना रखना बिना ख्वाहिश के सपनों में चलना बिना सबूत के किसी को अाखों में रखना किसी जगह जैसे थम जाना ठहर जाना धड़कन में कोई बदलाव ना होना बिना कोशिश के प्रेम में संवरना बिना जरूरत के अासमान के तारे गिनना हर लहरों में एक जैसा प्रतित होना बिना साथ के साथ जैसे ढलना सोच से अागे प्रेम में बहना नमक को चख कर चीनी कहना बिना उछले हर पड़वा को पार करना प्रेम की बूंद से रूह का जलना बिना मांगे इच्छाओं को देना प्रेम की भाषा शब्दों से नहीं समझा जा सकता प्रेम की बूंद से रूह का जलना दिल को खोल कर भी मोह में ना बंघना किसी को चाहने में चाहत का ना तौलना एक उम्र का गुजरना जिन्दगी का हिसाब ना रख
amar gupta
जीवन-पथ पर तुझे पाया हैं तू आँगन की तुलसी जैसी, करुणा मे ढूँढू मूरत जो तू हैं उस देवी के जैसी। जीवन की जय-जयकार कोई, तू मर्म ह्रदय का तार कोई। जीवन-पथ पर तुझे पाया हैं तू आँगन की तुलसी जैसी, करुणा मे ढूँढू मूरत जो तू हैं उस देवी के जैसी। जीवन की जय-जयकार कोई, तू मर्म हृदय का तार को
Shruti Gupta
जीवन-पथ पर तुझे पाया हैं तू आँगन की तुलसी जैसी, करुणा मे ढूँढू मूरत जो तू हैं उस देवी के जैसी। जीवन की जय-जयकार कोई, तू मर्म ह्रदय का तार कोई। जीवन-पथ पर तुझे पाया हैं तू आँगन की तुलसी जैसी, करुणा मे ढूँढू मूरत जो तू हैं उस देवी के जैसी। जीवन की जय-जयकार कोई, तू मर्म हृदय का तार को
Satyam Kumar
" लाल धब्बा " ( अनुशीर्षक में पढ़े ) दिसंबर का महीना था , रात के पौने 11 बजे रहे थे , मेरी फोन की घंटीयाँ रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी , मैंने हड़बड़ाहट में जैसे-तैसे फोन उठाई
आयुष पंचोली
क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?