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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
कागज तो होता बस बेजान सा , जान तो उसमें शब्द डालते हैं , शब्दों के लिखते ही , बिखर जाती हैं एक खुशबू , यादों की , वादों की , अहसासों की , पढते ही शब्द सब कुछ चलचित्र सा चलने लगता हैं , आँखों के सामने एक अहसास सा , शब्दों से बनती जाती रचनाएं , हर एक के मन की उथल - पुथल की , वो बातें जो हम कहने मे होते हैं असर्मथ , पुर जाती हैं माला सी वो शब्दों के जरिए , भावों को वय्क्त करते शब्द , कोरे कागज पर रंग बिखरते शब्द । ©Ankur Raaz #शब्दो #की #शक्ति #शब्द
manoj kumar jha"Manu"
मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्, मा स्वसारमुत स्वसा। सम्यञ्च: सव्रता भूत्वा वाचं वदत भद्रया।। (अथर्ववेद 3.30.3) भाई, भाई से द्वेष न करें, बहन, बहन से द्वेष न करें, समान गति से एक-दूसरे का आदर- सम्मान करते हुए परस्पर मिल-जुलकर कर्मों को करने वाले होकर अथवा एकमत से प्रत्येक कार्य करने वाले होकर भद्रभाव से परिपूर्ण होकर संभाषण करें। भ्रातृ दिवस
Prakash Gamare
मना खंत नाही अन उसंत नाही शब्द सोबत असताना मला कसलीही भ्रांत नाही
अल्पेश सोलकर
शब्द दूर नेतात शब्दच जवळ आणतात.. कितीही मोठ्या दुराव्यास शब्दच बळ देतात... शब्द दूर नेतात शब्दच जवळ आणतात.. कितीही मोठ्या दुराव्यास शब्दच बळ देतात... #yqtaai #alpeshsolkar
Dayal "दीप, Goswami..
मौसम बदला ,बदल गया हवाओं का रुख, तर धरती का आंचल सूखा, सूख चुका नयन जल, मन मेरे जो मिलन आश बची, अब वो भी हुईं निर्जल, कौन देश तुम सिधार गए, आज भी ढूंढे तुमको नयन । ये कैसा था, नीति का खेल निराला, उज्जवल तन भी पड़ गया जिसमें काला, भोर से सांझ हो गई, पर कैसे मुख जाए निवाला, विरह वेदना की जब सुलग रही हो इस मन में ज्वाला। ©Dayal "दीप, Goswami.. भ्राता विरह वेदना,
RK SHUKLA
प्रभु किन्हा भल एक उपाई। दिन्हि आशीष राम सम भाई।। भ्राता को समर्पित prk भ्राता के लिए
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
शब्दों को पढ़ा है ! बोला है! महसूस किया है क्या कभी? किसी शब्द की गर्दन पर उंगली रख कर सहलाया है कभी? किसी शब्द के सीने पर कान लगाकर धडकनें सुनी है उसकी? तुम कहोगे एक शब्द की इतनी हस्ती ही नहीं! शब्द ही तो है! कितने शब्दों पर तुमने ठहाके लगाए हैं! कुछ पर रोये भी होगे शावर में खड़े होकर! पर कभी किसी पन्ने पर लिखे ‘आं+सू’ को छूने से उंगलियों में नमक लगा है? ‘बा+रि+श’ पढ़कर सर पोछने का मन करता है? पैरों में कीचड़ महसूस होता है? ‘ब+च+प+न’ को अपने सीने पर रख कर देखो! कोई नंगा सा बच्चा घंटो चीटियों से खेलता हुआ दिख रहा है? क्या कभी ‘त+न्हा+ई’ को पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे तुम्हारा कोई बेहद ख़ास तुम्हारे सीने में सरिया घुसाकर हंस रहा है तुम्हे देखकर और वो जगह आज तक न भरी हो?” ‘श+म+शा+न’ पढ़कर कान के पीछे से ठंडी हवा गुज़रती है? वो बचपन का सपना दिखता है जिस पर कोई तुम्हारे सीने पर बैठ गया था और तुम उठ नहीं पा रहे थे? ‘भू+त’ पढ़ते हो तो अपने अगल बगल देखते हो तुम? कि इस रात में कोई पीछे से तुम्हारी स्क्रीन पर तो नहीं देख रहा? पीछे मत देखना मैंने कहा! ‘या+द’ सुनकर क्या तुम किसी भूले हुए शक्श की चेहरे की खाल को अपने नाखूनों से कुरेदते हो परत दर परत? उसे दर्द हो रहा है छोड़ दो उसे! क्या कभी ‘वि+ध+वा’ पढने पर तुमने उसके साथ बैठ कर अपनी चूड़ियाँ तोड़ी? ‘बाँ+झ’ पढ़कर उसके रोने के ठन्डे सुरों से सुर मिलाएं हैं कभी? ‘प्या+र’ सुनते हो तो कैसा महसूस होता है? मुझे लगता है तुम्हे घिन आती है! उबकाई सी! अपना नाम सुनते हो तो कैसा लगता है? कोरापन? ऐसा लगता है जैसे कोई खाली डब्बा रोड पर किसी कबाड़ी के इंतज़ार में है? तुमने याद किये है बहुत से शब्द! कुछ शब्द है जो तुम भूल गए! कुछ शब्द जो तुम भूलना चाहते हो पर भूल नहीं पा रहे! जो ‘वो’ कहती थी तुमसे तुम्हारे कंधे पर सर रख कर! तुम्हारे कानों में फुसफुसाती थी! कितने कमज़ोर हो तुम एक उस एक अदने से 'शब्द' से हर रात हारते हो! “तुमने शब्द पढ़े है! महसूस किया है कभी?” ©Ankur Mishra #तुमने #शब्दो #को #पढ़ा #है #मेहसूस #किया #है #कभी..... #शब्द
Ankit Dixit Mohan
@vijendrakrmaurya
शब्द बयां कर देते हैं, दुरियां दिल की... पर, शब्दों के लिए, अब, शब्द कहां.... @Vijendra £b💓दिल से दिल तक राधेकृष्णा #शब्द #शब्द #Nojoto
Hasanand Chhatwani
शब्द कमाल के होते है, शब्द बेमिसाल होते है, शब्दो का हार भी बनता है, और शब्दो से घाव भी लगते है, मीठे शब्द सुकून दिला देते है, और नफ़रत के शब्द नींद उड़ा देते है, तलवार से गहरे होते है शब्दो के घाव, और गहरे से गहरा जख्म भर देते है ये शब्द, प्यार के दो शब्द उम्मीद जागते है, और ताने के दो शब्द तिरस्कार कर जाते है, तीर भी चलाते है शब्द, दिल को छलनी कर जाते है शब्द, और मरहम लगा जाते है शब्द, दिल मे प्यार जगा जाते है शब्द..!!! शब्द कमाल के होते है, शब्द बेमिसाल होते है शब्दो का हार भी बनता है, और शब्दो से घाव भी लगते है, मीठे शब्द सुकून दिला देते है, और नफ़रत के