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New बहुत परेशान Quotes, Status, Photo, Video

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Uttam Bajpai

मैं बहुत परेशान हूं यारो। #शायरी

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Arpit Tiwari

या बहुत परेशान है #ज़िन्दगी

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मनुस्मृति त्रिपाठी

ये बारिश बहुत परेशान करती है

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"वो बारिश का मौसम  वो हम दोनों का संग," पता है साँई यहाँ दिल्ली में बहुत बारिश हो रही है
मैं बाल्कनी में बैठ कर बस यही सोच रहीं हूँ कि 
क्या मैं भी तुम्हारे साथ कभी बारिश में भींग पाऊँगी 
मुझें पता है इस समय आप जाग रहें हैं और अपनी कविताओं को पूरा करने में लगें हैं 
पर ये बारिश बहुत परेशान करती है नर्गिस को ये बारिश  बहुत परेशान करती है

sidpoetryclub

बहुत परेशान हूं में

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बड़ी कश्मकश में चल रही है मेरी ज़िन्दगी..
डिग्री पाने के बेरोजगार घूम रहा हूं 
बड़ी आसानी से मिल जाती है उनको सक्सियत जिनके ऊंचे घराने होते  है ,
हम तो गरीब लोग है साहेब 
बड़ी मुश्किल से कुछ पाते है बहुत परेशान हूं में

Arpit Tiwari

यह बहुत परेशान है

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NEHA tomar

बहुत परेशान हु में #ujala #कामुकता

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ज़िन्दगी और  मत सता
  बहुत परेशान हूं मैं
 खुद से भी और तुझसे भी🙂

©NEHA tomar बहुत परेशान हु में 

#ujala

KARANWEER RAJ

बहुत परेशान रहता हूं🤔🤔 #ChaiAurBaatein

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mukesh kumar barthunia

हिचकियां बहुत परेशान करती है

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Aakash Dixit

बहुत परेशान करती हूं #Shayar #shayad #शायरी

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बहुत परेशान करती हूं
 मैं उसे क्योंकि, मुझे पता है 
वो मुझे छोड़कर नहीं जाएगा...!!

©Aakash Dixit बहुत परेशान करती हूं 
#Shayar #shayad

pramod malakar

#मैं बहुत परेशान हूं आंसू बहाते धरती को देखकर। #कविता

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सुकून अब है कहां
००००००००००००
मैं बहुत परेशान हूं आंसू  बहाते धरती  को देख कर,
सोचता हू चला जाऊं अपना घर शरीर को फेंक कर।
सुकून  अब  है  कहां  भगवान  के  भक्तों  को,
पनाह अब ले कहां , रोके कैसे बहते रक्तों को।
एक पिता का अनेकों नाम रख करअधर्मी लड़ रहा है,
खुद  को  धर्मों  में  बांट  कर  नंगा  मचल  रहा   है।
दहल   रहा   है  अहंकार   से  आसमान भी  आज,
कोई   नहीं   है  सुनने   वाला  ईश्वर  की.  आवाज।
ईश्वर एक है,अनंत है , पत्ते- पत्ते और कण-कण में,
जैसे  सांसे  छुपी  है तुम्हारी  बहते  शुद्ध  पवन   में।
निराकार  तुझमें  है  और   तुम   हो   निराकार   में,
भक्त  वही  है  जो  खो  जाता  है  सबके   प्यार. में।
अभी  वक्त  है  मान  लो  जन्म   दाता  मालिक  को,
जो लगी है दाग. तुझ पर मिटा दो उस कालीख को।
माता - पिता   को   तुम    सम्मान   दे   कर   देखो,
सभी जीवों  में परमात्मा  है इसे तुम पन्ने पर लिखो।
अच्छे कर्म हांथ   का रेखा और नशीब बदल देता है,
परम   पिता   परमात्मा   कुछ   भी   नहीं   लेता है।
मैं  हैरान  हूं  नासमझ  तड़पते  इंसानो  को  देख कर,
मैं बहुत  परेशान हूं  आंसू बहाते  धरती  को देख कर,
सोचता हूं चला जाऊं अपना घर शरीर को फेंक कर।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar #मैं बहुत परेशान हूं आंसू बहाते धरती को देखकर।
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