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Nilam Jat
मैने तुम्हें पकड़ा ही कब था। जो छोड़ने की जरूरत पढ़े।। ©Nilam Jat #छोड़ने की जरूरत पढ़े
Ek villain
कोविड-19 री लहरा में एक चीज खास रही वह है टेलीविजन चैनलों पर सरकारी अस्पताल और संस्थाओं के डॉक्टरों तथा वैज्ञानिक ज्ञान बांटते नजर आए उसके पीछे की वजह स्वास्थ्य मंत्रालय की शक्ति रही मंत्रालय का मानना है कि कोविड-19 के दौरान दिन भर दिन बड़े सरकारी अस्पतालों के कुछ डॉक्टर और वैज्ञानिकों की तरफ से टेलीविजन चैनलों और अलग-अलग विचार रखे जाते हैं जिससे लोगों के बीच को भी लेकर भ्रम फैलता है और उनके बीच एक राय नहीं बन पाती कोविड-19 तो आलम यह था कि बड़े डॉक्टर और वैज्ञानिकों को यह न्यूज़ चैनल वालों की लाइन लगी रहती थी तीसरी लहर की शुरुआत में भी कुछ ऐसा ही माहौल बन रहा था लेकिन मंत्री जी की शक्ति एक दिन ऐसी हुई कि एक बड़े सरकारी अस्पताल के सबसे बड़े डॉक्टर को एक चैनल पर चर्चा बीच में ही छोड़कर उठना पड़ा इसके बाद से तो सरकारी डॉक्टर और वैज्ञानिकों के लिए चैनलों पर चेहरा दिखाना आसान नहीं ©Ek villain #डिबेट छोड़ने की मजबूरी #Thoughts
Hasanand Chhatwani
#Pehlealfaaz *साथ देने की क्या बात करते हो साहब...* *हमने तो उनके साथ छोड़ने में भी उनका साथ दिया...* *साथ देने की क्या बात करते हो साहब...* *हमने तो उनके साथ छोड़ने में भी उनका साथ दिया...*
Shailendra Singh Yadav
रहेंगे साथ साथ न छूटेगा साथ। मिलें हैं हाथ से हाथ न छूटूंगे हाथ। हौसला साथ में है उम्मीदें साथ में हैं। दो दिलों का साथ जनम जनम का साथ। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी रहेंगे साथ साथ।
vahid ali
दिल के चर्चे हजारो हो गये तब कोई न मिला इश्क और प्यार के मरे हो गये धोखा दे कर वो किनारे हो गये और हम दोस्तों के गली के सहारे हो गये दिल की बात शायरी के साथ
सम्राट
ग़मों ने छोड़ा नही साथ ज़िन्दिगी का मैं कैसे पेश कर गीत कोई ख़ुशी का अगर कहोगे तो यूंही मुस्कुरा देंगे सुना देंगे कोई शेर बेबसी का आँखों को अँधरों की आदत सी हो गई है चुभता है नज़रों को मेरी मंज़र रौशनी का औरों की तरह मेरे कई ख़्वाब हैं मगर मंजूर नही क़िस्मत को साथ चाँदनी का न होता पेश अगर मैं हुजूरे ख़ुदा , इरादा किया था मैने भी खुदकुशी का मुहब्बत से निकलके इश्क़ में हम मुंतक़िल न हुए उल्फ़त में ये आलम है, आलम क्या होगा आशिक़ी का वक्ते नज़र में ख़त आया के अब न मिल सकेंगे कब से मुंतज़िर था मैं उनकी हाज़री का ग़मों के अय्याम में बता रही है तुम्हारी बेख़ुदी "सम्राट" तुम समझे नहीं फलसफा ए ज़िन्दगी का दिल की बात शायरी के साथ
सम्राट
नहीं इतना ज़रूरी कभी हुआ ही नहीं मैं, पर इस रिश्ते की ख़ातिर वो लड़ेगा क्या उसकी ख़्वाहिश थी के मैं न उलझू उससे, गर मैं पीछे भी हट जाऊँ वो बढ़ेगा क्या उसको कहाँ कोई ख़ुशी थी मेरे होने से, मेरी गैरमौजूदगी में फिर वो तड़पेगा क्या सब भूलाकर मेरा उसके पीछे पड़े होना, और अब बातें तक न करना उसको खलेगा क्या बगैर उसके मैं खुश हूँ मेरा ऐसा जताना, उसके एहसास को मेरे लिए बदलेगा क्या बचकानी मेरी बातें, उस पर हँसना मेरा, तकलीफ़ मुझको भी थी वो समझेगा क्या वो कहता था उसको ज़रूरत नहीं है मेरी, आख़िर इस ग़ैर के साथ वो करेगा क्या (सम्राट) दिल की बात शायरी के साथ
Shailendra Singh Yadav
कोई जुदा नहीं कर पाएगा साथ साथ जिन्दगी बिताएंगे। राजदार हैं एक दूजे के दिल के राज दिल में रहेंगे किसी को न बताएंगे। हर लहर में दास्तां है दिल की दो दिलों के मिलन की। जुदा नहीं होंगे कभी फिदा तुम पर पल पल उम्र भर तुमको चाहेंगे अपनाएंगे। शायरः- शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी साथ साथ जिन्दगी बिताएंगे।