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Mili Saha
// भस्मासुर को शिव का वरदान // पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस, समस्त विश्व में राज करने की प्रबल इच्छा जिसमें भरकस, इसी प्रयोजन हेतु करने लगा, भगवान शिव की घोर तपस्या, शिव ने तब प्रसन्न होकर उसकी गहन तपस्या का फल दिया, वर मांगने कहा जब, भस्मासुर ने मांगा अमरत्व का वरदान, शिव बोले नहीं दे सकता यह वर, है यह सृष्टि विरुद्ध विधान, अमृत्व के अतिरिक्त जो मांगना मांग लो बोले शिव भगवान, तब भस्मासुर ने, दौड़ाई बुद्धि और बदल कर मांगा वरदान, जिसके भी सिर पर मैं, हाथ रखूँ, वो वहीं पर भस्म हो जाए, दीजिए मुझे यही एक वरदान जिससे मेरा कल्याण हो जाए, भगवान शिव से वरदान लेकर, उन्हीं को भस्म करने चला, भ्रष्ट हुई बुद्धि भस्मासुर की, त्रिकाल देव को ही हराने चला, जैसे -तैसे खुद को बचा कर, शिव पहुंँचते नारायण के पास, संपूर्ण कथा सुनाकर नारायण को मदद करने की कही बात, तब विष्णु भस्मासुर का अंत करने को मोहनी रूप बनाते हैं, भगवान नारायण अपने रूपजाल में भस्मासुर को फंँसाते हैं, देख रूप मोहिनी का भस्मासुर रखता है विवाह का प्रस्ताव, उसी से विवाह करूंँगी जो नृत्य जाने मोहनी देती है ज़वाब, नृत्य नहीं जानता था भस्मासुर मांगी उसने मोहनी की मदद, तुरंत तैयार हो गई मोहनी, भस्मासुर की थी यह बेला सुखद, मोहनी ने अपने सर पे रख दिया हाथ नृत्य सिखाते सिखाते, भस्मासुर भूल गया शिव से मिला वरदान, नृत्य करते-करते, रख दिया उसने अपने सर पर हाथ, भस्म हो गया भस्मासुर, भगवान विष्णु की मदद से शिव की विकट समस्या हुई दूर। ©Mili Saha भस्मासुर को शिव का वरदान // भस्मासुर को शिव का वरदान // पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस, समस्त विश्व में राज करने की प
Ek villain
इस दृष्टांत का उपयोग अध्यात्मिक क्षेत्र में कर कर देखा जाए तो किसी से किसी भी तरह का सहयोग लेकर कोई व्यक्ति धनसंपदा में वृद्धि करता है या यश प्राप्त करता है यह अन्य किसी प्रकार की उपलब्धि हासिल करता है और बदले में जिन से मदद की है उसके सहयोग को भूल जाता है वक्त पर उसकी मदद के बदले मदद करना तो दूर उसकी जगह निंदा करता रहता है तो सहयोग लेने वाला अपने पुणे की पूंजी गंवा देता है इससे सहयोग देने वाले का पुण्य प्राप्त बढ़ने लगता है समाज में सहयोग देने वाले को चाहिए कि बिना हिचकी में सहयोग पद पर चलते रहें भगवान शंकर ने भस्मासुर को वरदान दिया और भस्मासुर उन्हें ही मारने की कोशिश करने लगा ©Ek villain #brokenlove #कृष्ण भगवान ने भस्मासुर को वरदान दिया और भस्मासुर उन्हें ही मारने लगा
HP
एक बार पाँच असमर्थ और अपंग लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे, यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो बहुत बड़ा परमार्थ करते। अन्धे ने कहा— यदि मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं अनुपयुक्त देखता वहीं उसे सुधारने में लग जाता। लंगड़े ने कहा— पैर होते तो दौड़-दौड़ कर भलाई के काम करता। निर्बल ने कहा— बल होता तो अत्याचारियों को मजा चखा देता। निर्धन ने कहा— धनी होता तो दीन दुखियों के लिए सब कुछ लुटा देता। मूर्ख ने कहा— विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता। वरदान
HP
👉 Vardaan वरदान एक बार पाँच असमर्थ और अपंग लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे, यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो बहुत बड़ा परमार्थ करते। अन्धे ने कहा— यदि मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं अनुपयुक्त देखता वहीं उसे सुधारने में लग जाता। लंगड़े ने कहा— पैर होते तो दौड़-दौड़ कर भलाई के काम करता। निर्बल ने कहा— बल होता तो अत्याचारियों को मजा चखा देता। निर्धन ने कहा— धनी होता तो दीन दुखियों के लिए सब कुछ लुटा देता। मूर्ख ने कहा— विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता। वरुण देव उनकी बातें सुन रहे थे। उनकी सचाई को परखने के लिए उनने आशीर्वाद दिया और इन पाँचों को उनकी इच्छित स्थिति मिल गई। अन्धे ने आँखें, लंगड़े ने पैर, निर्बल ने बल, निर्धन ने धन और मूर्ख ने विद्या पाई और वे फूले न समाये। परिस्थिति बदलते ही उनके विचार भी बदल गये। अन्धा सुन्दर वस्तुएँ देखने में लगा रहता और अपनी इतने दिन की अतृप्ति बुझाता। लंगड़ा सैर-सपाटे के लिए निकल पड़ा। धनी ठाठ-बाठ जमा करने में लगा। बलवान ने दूसरों को आतंकित करना शुरू कर दिया। विद्वान ने अपनी चतुरता के बल पर जमाने को उल्लू बना दिया। बहुत दिन बाद वरुण देव उधर से लौटे और उन असमर्थों की प्रतिज्ञा निभी या नहीं, यह देखने के लिए रुक गये। पता लगाया तो वे पाँचों अपने-अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए थे। वरुण देव बहुत खिन्न हुए और अपने दिये हुए वरदान वापिस ले लिए। वे फिर जैसे के तैसे हो गये। अन्धे की आँखों का प्रकाश चला गया। लँगड़े के पैर जकड़ गये। धनी निर्धन हो गया। बलवान को निर्बलता ने जा घेरा। अब उन्हें अपनी पुरानी प्रतिज्ञायें याद आईं और पछताने लगे कि पाये हुए सुअवसर को उन्होंने इस प्रकार प्रमाद में क्यों खो दिया। समय निकल चुका था, अब पछताने से बनता भी क्या था? 📖 अखण्ड ज्योति अगस्त 1964 वरदान
Kavita Vijaywargiya
आज मेरी वजह से एक सच्चे , भोले और ईमानदार शख्स के दिल को इतनी गहरी चोट लगी है कि उसका दर्द बयां करने के लिए उसके पास शब्द तक नहीं है । जिसकी मुस्कान और हंसी ने मुझे हंसना और जीना सिखाया..... आज उसकी उस प्यारी हंसी को मैंने अपने शब्दों से घायल कर दिया । ईश्वर का वरदान किस रुप में आपके पास आये ये तो ईश्वर ही जानता है , मैं बस इतना जानती हूं कि.......... ❤️ " मुझे वो वरदान मिल गया " ❤️ 😇 #वरदान