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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। उद्गीतमेतत्परमं तु ब्रह्म तस्मिंस्त्रयं सुप्रतिष्ठाऽक्षरं च। अत्रान्तरं ब्रह्मविदो विदित्वा लीना ब्रह्मणि तत्परा योनिमुक्ताः॥ उपनिषदों में स्पष्ट रूप से परम ब्रह्म की घोषणा की गयी है। यह त्रिपक्षीय है। यह सुदृढ़ आश्रय तथा अविनाशी है। इसके आन्तरिक सारतत्व को जानकर वेदज्ञ ऋषि उसमें लीन हो गये और जन्म से मुक्त हो गये। This is expressly declared to be the Supreme Brahman. In that is the triad. It is the firm support, and it is the imperishable. Knowing the inner essence of this, the knowers of Veda become devoted to Brahman, merge themselves in It, and are released from birth. ( श्वेताश्वतरोपनिषद् १.७ ) #श्वेताश्वतरोपनिषद् #उपनिषद् #ब्रह्मा #मुनि #मोक्ष #ज्ञान
Sanjeev Jain
मेरे गुरदेव नमोस्तू नमोस्तू नमोस्तू मुनि श्री विशोक सागर जी महाराज
v. k
जैन मुनि श्री विकसंत सागर जी गुरूदेव लोहारिया जिला वासवाडा राजस्थान
विकास शाक्य
शाक्य मुनि भगबान गौतम बुद्ध 🙏🙏नमो बुद्धाय🙏🙏
विकास शाक्य
क्या आप लोग भी शाक्य मुनि भगबान गौतम बुद्ध को मानते हो।
Ek villain
हमारे ऋषि-मुनियों ने शुभ और सुखद सुनने की कला बताइए जब व्यक्ति श्रेष्ठ जनों और गुरु की बातें सुनता है तो शब्द रूप ही ब्रह्मा कानों में प्रवेश कर सकते उसे मस्तिक में रसायनिक परिवर्तन करते हैं मस्ती कुछ बनाते हैं बुरी बातें सुनने के बाद झगड़े फसाद होते हैं घर से दूर हो गए व्यक्ति को सीधे बुरी खबर नहीं दी जाती प्रेम की शुरुआत शब्द और युद्ध की भी शुरुआत भी शब्द से ही होती है हमारे ऋषि-मुनियों ने इसलिए आध्यात्मिक ग्रंथों में अच्छे विचारों को अच्छे शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है प्राचीन काल में गुरुकुल में रितु ज्ञान की व्यवस्था ही रही सुनने के बाद जिज्ञासा बढ़ती है और जो अध्ययन की इच्छा जागृत होती है जिसके पास जितना गहरा ज्ञान उसकी उतनी मेहता ज्ञान से चिंतन मनन का भाव पैदा होता है ©Ek villain हमारे ऋषि मुनि ने शुभ और अशुभ सुनने की कला बताई है
विकास शाक्य
गर्व से कहो हम शाक्य मुनि भगबान गौतम बुद्ध के बंसज है।