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yogesh kansara

#SadStorytelling #संकल्प#हिंसा#संकल्पितजीवन #अहिंसा
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Vidhi

देश की सीमाएँ तो समय काल के अनुसार बदलती रहती हैं मगर इंसानियत की सीमाएं निश्चित होती हैं। उन्हें तुम अगर एक सीमा से ज्यादा पीड़ा पहुँचाओगे तो वे भी तुम जैसा बनने में देर नहीं लगायेंगे। तुम ज़ुल्म करोगे, तो प्रतिरोध तो वो भी करेंगे। और इस लड़ाई में जीत किसी की भी हो हार तो निश्चित रूप से इंसानियत की होगी। #अहिंसा #हिंसा #देश #इंसानियत #YQbaba #YQdidi
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Ek villain

अहिंसा का सामान्य अर्थ हिंसा ना करना परंतु व्यापक अर्थ में मन वचन और कर्म से किसी प्राणी को सिटी ना पहुंचाना अहिंसा है गांधी को अहिंसा का सही अर्थ स्वीकार्यता इनके अनुसार अहिंसा जीवन की साधना है और प्रेम उसकी पूर्णता का साधना अहिंसा का प्रतिफल संवेदन प्रेम से होता है क्यों त्याग के बिना संभव नहीं है इसलिए अहिंसा सदैव त्याग की अपेक्षा रखती है अहिंसा को प्रेम का प्रयास भी कहा जा सकता है इसके विपरीत अहिंसा का अर्थ ग्रहण के पराकाष्ठा है इसलिए इंसान जहां जीवन का आधार है वही इंसाफ विनाश का द्वार है गांधीजी के लिए सत्य ईश्वर का रूप है था किंतु हिंसा कहीं उस से बढ़कर थी क्योंकि सत्य की प्रतीक्षा के बिना संभव नहीं इसी प्रकार उनके ब्रह्मचारी अस्तेय अपरिग्रह आदि मुद्दों की सिद्धि के मूल में भी अहिंसा अहिंसा के विलक्षण प्रभाव को देखकर ही का जीजी ने इसी अदा आजादी के प्रति अस्त्र बना लिया था अहिंसा से प्राप्त आजादी उन्हें स्वीकार नहीं थी इसलिए अहिंसा का भाव उनके आंदोलन में सर्वोपरि है

©Ek villain #अहिंसा का सामान्य अर्थ है हिंसा ना करना

#gandhijayanti

#अहिंसा का सामान्य अर्थ है हिंसा ना करना #gandhijayanti #Society

6 Love

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Parasram Arora

खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

पर्यायवाची...... #शायरी

7 Love

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Jogendra Singh writer

आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची  क्या है
Answer in comment section

©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची

#Light

nojoto ka पर्यायवाची #Light

19 Love

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md shadab

आज मेरा देश हिंसा की आग मै जल रहा है ,

ये हिंसा जिसने भी फ़ैलाई है वो घर बैठ कर मजे ले रहा है,
इस हिंसा मै हिन्दु मुस्लिम नहीं एक इंसान जल रहा है  ,
अगर गोर से देखो तो आपस का भाईचारा जल रहा  है, आज मेरा देश हिंसा की आग मै जल रहा है,
 ये हिंसा जिसने भी फ़ैलाई है वो घर बैठ कर मजे ले रहा है, 
इस आग मै सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे देश वासी जल रहे हैं, 
ना हिन्दु जल रहा है ना मुसलमान जल रहा है . #हिंसा
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Ajay kumar Singh

विरोध करने के बहुत से तरीके हैं! गाँधी के देश में विरोध प्रदर्शन के नाम पर इस तरह का उन्माद और उत्पात असहनीय है ।इस तरह के हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौर में गाँधी जैसे महात्मा की कमी आज यह देश महसूस कर रहा है । #हिंसा
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kapil

हिंसा

हिंसा

80 Views

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chandan Awasthi

#हिंसा
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KUMAR JEET

छोड़ अहिंसा कभी-कभी,
हिंसा को लाना पड़ता हैं..!

त्याग के बंशी श्रीकृष्ण को भी,
चक्र उठाना पड़ता हैं..!!

©KUMAR JEET हिंसा और अहिंसा
#vasudev_yadav
#Krishna 
#Truth
#Kumarjeet691 Yogmaya Megha Malik Suman7296 cutty janvi Jyoti Gupta

हिंसा और अहिंसा #vasudev_yadav #Krishna #Truth #Kumarjeet691 Yogmaya Megha Malik Suman7296 cutty janvi Jyoti Gupta #विचार

14 Love

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Vivek Raj Parakh

हो गया इश्क़ तुमसे
इसमें क्या खता है
मजहब और जात की
देदो चाहे जो सजा है।
नजरे चार हो गयी तो
कोई गलती नही हुई
हमने क्या गुनाह किया
इश्क़ किया हिंसा नही। इश्क़ किया हिंसा नही।
#इश्क #हिंसा #दिल्ली

इश्क़ किया हिंसा नही। #इश्क #हिंसा #दिल्ली #कविता

10 Love

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पूर्वार्थ

प्रेम कभी गर करना तुम,
थोड़ा सा ठहरना तुम।
पढ़कर दो - चार खोखली बातें इश्क़ की,
प्रेम कभी न करना तुम।

लोग कहतें हैं प्रेम में परखा नहीं जाता,
इस पर विश्वास न करना तुम,
प्रेमी हो या प्रेयसी गर प्रेम है तो,
जरूर परखना तुम।

कहनें को किसी को प्रेमी या प्रेमिका,
एक उम्र का इंतज़ार करना तुम।
गर लग नहीं रहा रिश्ते में कुछ सही,
तो इससे ज़रूर निकलना तुम।

गर प्रेम पाश विष जैसा है,
सब दिखता धूमिल सा है।
ऐसी घड़ी में,
अपनों को सब बतानें से न हिचकना तुम।
प्रेम कभी गर करना तुम,
थोड़ा सा ठहरना तुम।।

©पूर्वार्थ #प्रेम
#हिंसा
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विश्वदीप(शिक्षक)

मुल्क का ये हाल क्यो है 
काली सड़के लाल क्यो है 
जो देश का कत्ले आम कर रहें है
उन्हीं के हाथो में तलवार क्यो है 
देखोगे तो हर मोड पे मिल जाएगी लाशे
जवाब खुद हो,फिर ये सवाल क्यो है 
शहर खाक हो चुका,अब भी सुकुन नही
जो दोस्त थे अभी अभी वो दुश्मन क्यो है 
एकदिन मिल जाना है इसी देशकी मिट्टी  मे
फिर ये फसाद तेरे  मेरे दरमियां क्यो है 
विश्वदीप
 सियाशती हिंसा

सियाशती हिंसा

7 Love

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गौरव दीक्षित(लव)

तेरी मौत पर कोई आंसू नहीं बहायेगा,
ना ही तेरी मौत के चर्चे होंगे,
क्युकी...
तेरी कोई जात जो नहीं थी 😔 दिल्ली हिंसा

दिल्ली हिंसा

12 Love

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TeachLearnTogether

दिल्ली दंगो और हिंसा से
किसका फायदा हुआ
फायदा उनका जिन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता, फ़ायदा उनका जिनका अपना कोई दुनिया से अलविदा नहीं हुआ,  जिन्हें कोई शारीरिक मानसिक पीड़ा नहीं हुई....जिन लोगों पर बीती हैं वहीं जानते हैं ये दर्द...हम तो बस महसूस कर सकते हैं☹️☹️#ज़िया #दिल्ली #हिंसा
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Akash Patel

एक भी जमाती छूट गया।

समझो सुरक्षा च्रक टूट गया।।



......Akash Patel मुरादाबाद हिंसा

मुरादाबाद हिंसा #Talk

37 Love

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Kavita jayesh Panot

#हिंसा

#myvoice
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VNC Classes

घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा

126 Views

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Firdaus Fatima

घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा #Society

46 Views

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Hemant Samadhiya

हिंसा
#violence

हिंसा #violence

996 Views

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nehabsoulte sonī

नारी हिंसा

क्यों तुम सहती हो हर हिंसा को?
जब नहीं होता तुम्हारा सम्मान फिर भी 
तुम सह जाती बार-बार अपमान को,,

शाब्दिक प्रताड़ना हो या शारीरिक अत्याचार, 
हर हिंसा को सहन कर जाती हो, 
घर पत्नी हो तब भी पराई औरत को दिये जाते है
सारे हक,फिर भी चुप चाप सहन कर जाती हो,, 

मन व्याकुल हो या व्यथित लेकिन किसी को 
ना बता सकती,न दुख जता सकती हो,
स्वयं अपमानित होती हो,इसलिए नहीं की तुम कमजोर हो,
बल्कि इसलिए क्योंकि तुम हर रिश्तों बखूबी निभाना जानती हो,, 

आदमी तुम्हें अपने पैर की जूती समझता है, 
इसलिए हर औरत को उसकी जूती वक्त-वक्त
पर साफ करते चलना पड़ता है,इसलिए नहीं की 
तुम उसके दवाब में हो बल्कि इसलिए क्योंकि 
तुम्हें अपने हर रिश्तों को बचाना पड़ता है,,

हुई अब बहुत हिंसा,बहुत खेल लिए तेरे स्वाभिमान से,
बहुत जी लिया दुसरों के लिए,
अब बारी तेरी!जगा अपने अंदर के अभिमान को 
और पा लें हर एक सम्मान को,, 

हर नारी को देना चाहती हूँ संदेश!
मत सहना इतना अपमान 
कि तुम भूल जाओ खुद के अस्तित्व को,
जब-जब हो अपमानित उठाओ अपने शस्त्र को, 
ओर बचा लो अपने अस्तित्व को,,

© Neha soni नारी हिंसा.....

नारी हिंसा.....

39 Love

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TeachLearnTogether

दिल्ली दंगो और हिंसा से
किसका फायदा हुआ
फायदा उनका जिन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता, फ़ायदा उनका जिनका अपना कोई दुनिया से अलविदा नहीं हुआ,  जिन्हें कोई शारीरिक मानसिक पीड़ा नहीं हुई....जिन लोगों पर बीती हैं वहीं जानते हैं ये दर्द...हम तो बस महसूस कर सकते हैं☹️☹️#ज़िया









 #दिल्ली #हिंसा
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kishori jha

 पर्यावाची  स्वाद #yemausam

पर्यावाची स्वाद #yemausam #Thoughts

81 Views

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प्रभाकर अजय शिवा सेन

जग की पर्यावाची मघा😁😁😁😂😄😅

©प्रभाकर अजय शिवा सेन जग का पर्यावाची 

#Roses

जग का पर्यावाची #Roses

8 Love

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Manish Kumar Savita

 आखिर हिंसा क्यों??

आखिर हिंसा क्यों?? #nojotophoto #विचार

0 Love

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Ajay Kumar Dwivedi

जल रही है पूरी दिल्ली अब कब घर से निकलोगे।
क्या दिल्ली को कश्मीर बनाकर 370 लगवाना है।
कुत्ते राज करें शेरों पर क्या ऐसा दिन भी लाओगे। 
अब गीदड़ों के हाथों क्या सिंहों को मर जाना हैं। 

अजय कुमार व्दिवेदी #अजयकुमारव्दिवेदी दिल्ली हिंसा
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Ajay Kumar Dwivedi

उत्तरी पूर्वी दिल्ली को श्मशान बनाने वालों।
गोद में जिसके खेलें थे घर उन्हीं का जलाने वालों।
क्या लगता है हुड़दंग मचाने से सीएए हट जाएगा।
शूरवीर रतनलाल को मौत की नींद सुलाने वालों।
तीन महीने से तुमने रस्ता रोक कर रख्खा है।
धरने के नाम पर तुमनें मजाक बना कर रख्खा है।
जो नौकरी पेशे वालें है और जो पढ़ने वालें बच्चे है।
उन सबको तुम लोगों ने बंधक बना कर रख्खा है।
क्या समझते हो तुम की हम डर कर चुप रह जाते हैं।
अरे तुमको अपना मानते हैं हम इसीलिए समझाते हैं।
हमारी इस खामोशी को कमजोरी नहीं समझना तुम।
अरे हम हिन्दू है आदत है हमारी हम सर्पों को दूध पिलाते हैं।
शाहीन बाग के मंच से प्रतिदिन आग उगलते रहते हो।
हम पंद्रह करोड़ सौ करोड़ पर भारी ऐसी बातें कहतें हो।
पूरी दिल्ली को क्या अपनी खाला का घर समझा है।
जहाँ भी देखों धरने पर तुम रोड़ जाम कर बैठें हो।
देखों ये सब ठीक नहीं ये देश तुम्हारा भी तो है।
सीएए में क्या गलत है सीएए एनआरसी ठीक तो है।
तुम तो भारत के वासी हो सीएए से तुम्हें कोई नुकसान नहीं।
कोई आतंकी हमारे घर में न आये ये फैसला ठीक तो है।
हम ईद तुम्हारे साथ मनाएं तुम होली के दिवाली साथ रहो।
यदि तुम्हें कुछ कहना है तो सही ढंग से अपनी बात कहो।
सरकार सुनेगी हम भी सुनेंगे बात तुम्हारी ध्यान से।
किसी से कुछ कहने के लायक तुम कम से कम इंसान बनों।
अब और नहीं समझा सकता मैं समझाने की एक सीमा है।
मैं शीष नहीं झुका सकता हूँ मेरी भी एक गरिमा है।
अगर समझ गए तो अच्छा है वरना अंजाम खुद भोगोगे।
ये तो तुम्हारी मर्जी है तुम करों तुम्हें जो करना है।
अजय कुमार व्दिवेदी #अजयकुमारव्दिवेदी दिल्ली हिंसा
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