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ज़िंदादिल संदीप
#OpenPoetry जिस शहर में कहीं जब भी तेरा नाम होगा .. जरूरी तो है ज़िंदादिल भी बदनाम होगा.. सवालों की किताब सा बन गया हूं..अब मैं.. जवाबों को बता भी दो अब क्या शीला होगा .. जाओ बेशक ही ठुकरा कर इश्क़ को मेरे.. हंस के सह लूंगा हर इक ज़ुल्म अब तेरे.. तोड़ दिया था अकड़ मैंने सिर्फ तेरा होने के खातिर.. आ देख लेे अब कई ज़िंदादिल है फ़िदा यार पे तेरे... ज़िंदादिल
ज़िंदादिल संदीप
फ़िरदौस की इक झलक मिली सब यहां बेनूर हो गया.. करता रहा मैं लालसा..अपनों से मगर दूर हो गया.. हिज्र की है हवा चली..पर मशहूर मैं हो गया.. ज़िंदा कहा था मैं अब तक ..ज़िंदादिल भरपूर हो गया।।। भरपूर ज़िंदादिल
ज़िंदादिल संदीप
चलते है किस सफ़र में? जाने कौन सी मंजिलें हमें बुलाती है? अपनी हर बेफ़िक्री की ख़ामोशी क्यों शोर ये मचाती है? दफ़न पड़ा था जाने कितने अरसे से रूह होकर तन्हा। तेरी इश्क़ में देख खुदाई ख़ुद ख़ुदा को यहां बुलाती है। नाम का क्या करूं? इक दिन वो भी साथ छोड़ जाती है। रहेंगे मीठे से बोल तेरे, तुझको कोई नया नाम जो दे जाती है। छोड़ देते है तुझे वो भी जिनसे सीखा तूने ये हुनर। चल देखते है उनके दुआओं से किस्मत तुझे कहां लेे जाती है? ज़िंदादिल #alonesoul
ज़िंदादिल संदीप
ज़ख्म गहरा है अभी ..मरहम तो होने दो.. रातें बांकी है अभी ..शबनम तो होने दो.. चले जाएंगे हम तेरी बस्ती से मायूस ही सही .. ज़िंदादिल के दिल को हमेशा के लिए ख़तम तो होने दो ।।।।। ज़िंदादिल की विदाई
ज़िंदादिल संदीप
ना जमीं में दफनाना हमें..ना दरिया के किनारे जलाना हमें.. ना आंसूओं में छुपाना हमें..बढ़ जाना तुम ..बेवक्त भूल जाना हमें.. गर इश्क़ मेरी रूह से हो सच्चा तेरी रूह की खुदाई का.. बांट देना रोटी खिलौने और खुशियां दिल से.. आख़िर मुझमें ही है इक ना इक दिन समाना तुम्हे.. ज़िंदादिल का आखिरी ख्वाहिश...
Anushka Anand (nush gupta)
कल तकलीफ़ थी, आज शरीक हूं कल फिर खड़े होंगे कुछ मसले । ज़िन्दगी बस दो पल के लिए आ रही ज़िंदादिल बन और दिल खोल के हंस ले ।। ©Anushka Anand #ज़िंदादिल #Nojoto #nojotoshayari #Hindi #MahaKumbh2021
ज़िंदादिल संदीप
लौ जलाता हूं मैं ..नाम ही कुछ ऐसा पाया.. सूरज की गर्मी से कई दीप मैं जलाया आया.. मुझे ऐतबार है खुदा तेरी रेहमतो पे बेपनाह.. इसलिए तो संदीप ने भी नाम ज़िंदादिल कमा लाया.. मेरी छोटी सी ही तो इक कहानी हैं.. दुनिया के नज़रों में जो अक्सर बेईमानी हैं.. इश्क़ की तलब थी बचपन से मुझको.. कहते रहे लोग मुझे .."संभल जा ये तेरी नादानी हैं".. कब मैंने कुछ भी कभी तुरंत पाया.. ना जाने फिर भी है किसका मूझपे बुलंद साया.. जीवन की इस दौड़ में मैं सदा धीरे ही चला.. तभी तो जा कर मैं अपना सिकंदर खुद बन आया.. आज रोज़ी रोटी की कोई हवस नहीं.. मिलता हूं सबसे ..दिल में कोई असमंजस नहीं.. मेरी नाकामियों का सदा है बोध मुझे .. इसलिए तो ज़िंदादिल ही बना ...कोई स्ववस नहीं.. ज़िंदादिल हूं.. स्ववश(selfish) नहीं
ज़िंदादिल संदीप
तरकश में मेरे अभी और हथियारों का जखीरा है.. मर गया तो भी गम नहीं ज़िंदादिल..तुझमें ही तो तज़किरा है.. इस जिस्म पे ना इस मोह माया का इल्म तुझे .. बढ़ता चला सिना ठोके ..बाखुदा तू ही तो ज़िंदादिल फ़कीरा है।।। #ज़िंदादिल संदीप तजकिरा - a biographical memoir
ज़िंदादिल संदीप
खुशनुमा वो भी क्या दिन हुआ करते थे.. जब हम ना जाने कितनों पे मरते थे.. ना मिले कभी भी दिल तो क्या गिला.. किताबों में छुपा कर हम भी यारो कई ख़त लिखा करते थे.. ठुकरा देने का ग़म तो था..पर कब हम शिकायत करते थे? ना पता चला उनको कभी कितनी चाहत में उनके मरते थे.. वो साइकिल की जो दौड़ थी.. यू ही उनके इक नजर मिल जाने को.. बेइंतहा हम हस्ते हस्ते उनके अदाओं पे बेवजह मरा करते थे.. हर मेज पर स्कूलों की नाम बस उन्हीं के कलमा पढ़ते थे.. यारों के हर बातों में बस .. इश्क़ को जीत जाने के चर्चे करते थे.. इक इक जज्बात बयां करने को ..हर इक हालात सुनाने को.. ना जाने कितने बेमतलब बचकानी किस्से गढ़ते थे.. गर पूछ लिया फज़ल उन्होंने बस यूहीं ..ना जाने कैसे घबरा के डरते थे.. उनके सपने देख देख अक्सर ..हर रोज़ उन्हीं से इश्क़ नया करते थे.. आज जीता हूं सारी यादें समेटे अपनी छोटी सी हथेली की लकीरों में .. अक्सर हमारे खत पहुंचाने कई हरफनमौला इंतजाम किया करते थे.. ज़िंदादिल वो प्यार..मेरे दोस्त मेरे यार..