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#mai_bekhabar
क्या खरीदोगे? बोलो तुम क्या खरीदने आये हो... बताओ कितने पैसे लाए हो... (पूरी कविता अनुशीर्शक् मे ज़रूर पढ़े बोलो तुम क्या खरीदने आये हो बाज़ार यहा सब चीज़ का लगा है नशा करना है? हो जायेगा प्यार चाहिए? मिल जायेगा बीवी भी मिलेगी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- पहले जैसे अब नहीं , होते मयके मान । पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।। इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती । भाई-भाभी मातु , उसी के घर को डसती ।। सौहर है चुपचाप , बीवियाँ होती दहले । इसीलिए तो आज ,बीवियाँ बोले पहले ।। बिटिया का घर द्वार वो , पाता नहीं उबार । देती रहती मातु जो , पग-पग नये विचार ।। पग-पग नये विचार , कलह भर घर में होता । मिलता नहीं सकून , बैठकर सौहर रोता ।। मिले नही उपचार , दर्द की खाता टिकिया । खुश होते वो लोग , वहम में रखकर बिटिया ।। पहले कसकर बाँध ले , तू अपने हर छोर । छूट न पाये फिर कभी , जीवन की ये डोर ।। जीवन की ये डोर , हाथ में अपने लेकर । देना सुख की छाँव , यहाँ जो भी हो बेघर ।। लेकिन रख लो याद , नही बनना तुम नहले । ये जग भोलेनाथ , तभी सौपेंगे पहले ।। नहले पे दहला बनो , तभी बनेगी बात । मानेगा संसार भी , तभी तुम्हें दिन रात ।। तभी तुम्हें दिन रात , प्रेम सबसे तुम भरना । बदी करे जब लोग , अँगुलियाँ टेढ़ी करना । बनकर भोले नाथ , करो फिर तांडव पहले ।। फिर मिले समाधान , बनोगे जब तुम दहले ।। सरसों के वह फूल सी , नाजुक लगती आज । करना चाहे हम सदा , दिल में उसके राज ।। दिल में उसके राज , यही हम अभी छुपाएँ । सोच रहा हूँ आज , उसे हम क्यों न बताएँ ।। मन में इतनी चाह , छुपाए कैसे बरसों । आ जाए जो पास , लगे वह नाजुक सरसों ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- पहले जैसे अब नहीं , होते मयके मान । पर लड़की तो आज भी , इन सबसे अंजान ।। इन सबसे अंजान , खुशी से मयके रहती ।
Jyotshna Rani Sahoo
हर एक सांस वरदान है पर हम सोचते है आम उसे क्यूं की उसके लिए कभी ना तरसे। पूछो उनको जो गिनते है सांस होता है पल पल जीने की आस। कुछ तमन्ना अधूरा सा खिटके फिर भी मौत का साया पास भटके। ऐसे तो हम जो करते गुरूर मोहताज होता है जिंदगी सांस के, और हम तो नसे में रहते सौहरत के। गर कुछ लम्हे जी लेंगे सांस के बिना तो जान जाएंगे होता है क्या जीना। जो मिला है उसका कदर हो जाएगा तो एक एक पल खुदा का वरदान लगेगा। हर एक सांस वरदान है पर हम सोचते है आम उसे क्यूं की उसके लिए कभी ना तरसे। पूछो उनको जो गिनते है सांस होता है पल पल जीने की आस। कुछ तमन्ना अध
JALAJ KUMAR RATHOUR
विधवा..... वो हरे थे खुशियों से भरे थे उसके दिन, छीन लिया तूने उसका सौहर, मुझको आज बता दे खुदा ,कैसे जियेगी वो उसके बिन, वो छोटे छोटे बच्चे अब पापा किसको बुलाएँगे, किसके साथ अब वो टहलने जायेंगे, जमाने के लिए पहले थी वो लड़की, जब उठी उसकी डोली, पहनी उसने साड़ी, तो लोग कहने लगे उसको नारी, ज्यों जुदा हुआ उससे उसका हमनवा, तो लोग कहने लगे उसको विधवा, अब तू ही मुझको दे बता ए खुदा, औरत का अस्तित्व है कहाँ, अब वो अकेली है, ना कोई अब उसका है साथी, ना ही अब कोई उसकी सहेली है, तेरे इस पत्थर दिल के जमाने की बदसूलुकी को , वो झेलती अकेली है, उस पर हुए अत्याचारो का, कौन अब गवाह है, दुनियां दे रही प्रताड़नाये उसको, क्युकी अब वह एक विधवा है, उसके फूल जैसे बच्चों को मैंने देखा है, तेरे लिए उनके दिल मैं एक अनूठा विश्वास रहता है, जैसे कीचड़ मैं भी कमल है खिलता, क्यूँ नही ए खुदा तू,उनकी मुश्किलों में उनसे है मिलता... .. #जलज_राठौर #CupOfHappiness विधवा..... वो हरे थे खुशियों से भरे थे उसके दिन, छीन लिया तूने उसका सौहर, मुझको आज बता दे खुदा ,कैसे जियेगी वो उसके बिन,
Prakash
क्या इंसान है तू मर्द कहे जाने वाले नामर्द क्या खूब तरक्की कर रहा है तू , हैवान बन कर इंसानियत को खुलेआम शर्मसार कर रहा है तू , झांक अपने अंदर और झकझोर कर जगा उस मरे अपने ज़मीर को तू , देख कैसे बेरहमी से चंद महीनों तक की बच्चियों को अपना शिकार बना रहा है तू | जब भी किसी युवती ,बच्ची या बूढ़ी की इज्ज़त लूटता है तू , तो किसी एक मज़हब ,जाती या धर्म को निशाना बना उन्हें तोड़ता है तू , माना की उस मासूम ,उस नन्ही सी कली को अपना नहीं मानता था तू , पर क्या उसकी चीख ,उसके दर्द ,उसके आँसू से नहीं पसीझा था तू | लड़कियों पर आरोप लगाने वाली कतार में सबसे आगे होता है तू , ऐसा कुकर्म करने के बाद घर जाकर कैसे चैन से सोता है तू , बोल खुल कर कि बात कपड़ो की नहीं ,देर रात घुमने की नहीं बल्की वहशी दरिन्दा है तू , पता है मुझे चाहे निकाले जुलूस हम या करें विरोध पर ना शर्मिन्दा था ,ना है और ना होगा तू | क्यूँ एक स्वच्छ समाज को अपनी हरकतों से गंदा कर रहा है तू ? बहन को भाई पर नहीं ,बीवी को सौहर पर नहीं भरोसा ,ऐसा बीज बो चुका है तू , नज़रों को बना पाक, अपनी माँ ,बहन ,बेटी ,बहू की आँखों में देख तू , हाथ जोड़कर कहता तुझसे मैं कि सोच बदल अपनी वरना छोड़ जा ये दुनिया तू | © प्रकाश #NojotoQuote क्या इंसान है तू क्या इंसान है तू #NojotoMumbai4 #PrakashPoetry #PrakashPoems #PrakashHindiPoems #PrakashQuotes #PrakashHindiCompositions #K