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Raj 94myfm
Rakesh Dwivedi
*शहद और दालचीनी से करे उपाय ,जानिए इनके खास गुण और अपनाए आप_* *जानिए शहद और दालचीनी के बेहतरीन सेहत लाभ* 1 हृदय रोग - हृदय को स्वस्थ बनाए रखने और हृदय रोगों पर नियंत्रण रखने में दालचीनी सहायक होती है, क्योंकि यह हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल को जमने से रोकती है। प्रतिदिन शहद और दालचीनी का गर्म पानी के साथ सेवन करें। आप दालचीनी और शहद के मिश्रण को रोटी के साथ भी खा सकते हैं। इसके अलावा दालचीनी को चाय में डालकर भी ले सकते हैं। 2 मोटापा - मोटापे के लिए दालचीनी का सेवन एक रामबाण उपाय है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करती है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता। इसके लिए दालचीनी की चाय बहुत फायदेमंद है।एक चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास जल में उबालकर आंच से उतार लें। इसके बाद उसमें दो बड़े चम्मच शहद मिलाकर सुबह नाश्ता करने से आधा घंटा पहले पिए 3 जोड़ों में दर्द - जोड़ों में दर्द होने पर दालचीनी का प्रयोग आपको राहत देता है। इसके लिए प्रतिदिन दालचीनी का गर्म पानी में सेवन तो लाभप्रद है ही, इसके अलावा इस हल्के गर्म पानी की दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से भी जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है 4 सर्दी-खांसी - सर्दी, खांसी या गले की तकलीफों में दालचीनी बेहद असरकारक दवा के रूप में काम करती है। इसे पीसकर एक चम्मच शहद के साथ एक चुटकी मात्रा में खाने से जुकाम में लाभ मिलता है। आप गर्म या गुनगुने पानी में दालचीनी के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं। दालचीनी के पाउडर को पिसी हुई काली मिर्च के साथ सेवन करने से भी राहत मिलती है 5 पेट के रोग - अपच, गैस, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी समस्यों में भी दालचीनी का पाउडर लेने से आराम मिलता है। इससे उल्टी-दस्त की समस्या में भी लाभ होता है, और भोजन का पाचन भी बेहतर होता है। 🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸♾️🌸 ©Rakesh Dwivedi *शहद और दालचीनी से करे उपाय ,जानिए इनके खास गुण और अपनाए आप_* *जानिए शहद और दालचीनी के बेहतरीन सेहत लाभ* 1 हृदय रोग - हृदय को स्वस्थ बन
Mukesh Poonia
N S Yadav GoldMine
अखरोट का सेवन दूध के साथ किया जाए तो यह सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है पढ़िए यह उपाय सेहत के बारे में !! 🍶🍶 अखरोट का सेवन :- दूध में उबालकर करें अखरोट का सेवन, मिलेंगे ये 5 बेहतरीन फायदे 🍇 सेहत के लिए ड्राई फ्रूट का सेवन कितना जरूरी है यह बात तो हम सभी जानते हैं। वहीं, कुछ ड्राई फ्रूट ऐसे भी हैं जिनका दूध के साथ सेवन करने से बेहतरीन फायदे मिलते हैं। यहां पर एक ऐसे ही ड्राई फ्रूट के बारे में बताया जा रहा है जिसका सेवन दूध के साथ किया जाए तो यह सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है। खाने-पीने की आदतों पर अगर हम विशेष ध्यान ना दें तो कई प्रकार की बीमारियां बड़ी आसानी से शरीर को अपनी चपेट में ले लेती हैं। 🍇 हमारे शरीर को प्रतिदिन कई प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है जो हमें विभिन्न फूड्स से मिलती है। वहीं, कभी-कभी हमें कई प्रकार के पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं जिसकी पूर्ति के लिए ड्राई फ्रूट्स का सहारा लिया जाता है। अखरोट एक ऐसा ही ड्राई फ्रूट है जो विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका सेवन दूध में उबालकर करने से कई इसके कई गुणकारी और बेहतरीन फायदे शरीर को मिलते हैं। दूध में उबालकर अखरोट का सेवन करने से होने वाले ऐसे 5 बेहतरीन फायदों के बारे में यहां बताया जा रहा है, इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें। कैंसर का खतरा कम करे:- 🍇 अखरोट का सेवन अगर दूध में उबालकर किया जाए, तो इससे शरीर में पनप रही कैंसर सेल्स को नष्ट करने में भी काफी मदद मिलती है। अखरोट में एंटी कैंसर गुण पाया जाता है जिसके कारण इसका सेवन इस जानलेवा बीमारी के जोखिम को कई गुना तक कम कर देता है। हृदय रोगों के खतरे कम करे:-🍇 अखरोट में मौजूद कार्डियोप्रोटेक्टिव एक्टिविटी मुख्य रूप से दिल की बीमारियों का खतरा कम करने के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करती है। इसकी क्रिया कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित बनाए रखने से लेकर दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार जोखिम कारकों को निष्क्रिय करने के लिए कार्य करती है। इसलिए दिल की बीमारियों का खतरा कम करने के लिए आप दूध के साथ अखरोट का सेवन कर सकते हैं। एंटी एजिंग प्रभाव:-🍇 बढ़ती हुई उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए लोग तरह-तरह के स्किन केयर टिप्स और डायट को फॉलो करते हैं। वहीं, दूध और अखरोट दोनों ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनमें एंटी एजिंग गुण पाया जाता है। इनका एक साथ सेवन करने से नई कोशिकाओं के निर्माण में काफी मदद मिलती है और त्वचा में कसाव भी बना रहता है। मस्तिष्क के लिए बेहतरीन फूड:- 🍇 मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को तेज बनाए रखने के लिए अक्सर दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है। जबकि अखरोट और दूध का एक साथ सेवन किया जाए, तो इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व दिमाग की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाए रखने और मेमोरी पॉवर को बूस्ट करने के लिए भी प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं। {Bolo Ji Radhey Radhey} डायबिटीज का खतरा कम होता है:-🍇 ड्राई फ्रूट्स का सेवन करने के कारण डायबिटीज का खतरा वैसे भी काफी हद तक कम हो जाता है। दूध और अखरोट का एक साथ सेवन करने से भी इस स्वास्थ्य जोखिम से बचे रहने में काफी मदद मिल सकती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि दूध और अखरोट का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जिससे डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है। ©N S Yadav GoldMine अखरोट का सेवन दूध के साथ किया जाए तो यह सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है पढ़िए यह उपाय सेहत के बारे में !! 🍶🍶 अखरोट का सेवन :- दूध में उबा
khamosh khat
हम सभी स्वस्थ आैर स्वच्छ रहना चाहते हैं। अपने शरीर की बाहरी सफाई का ध्यान तो हम रख लेते हैं लेकिन शरीर के भीतर की सफाई का काम हमारी किडनी (गुर्दा) संभालता है। यह हमारे शरीर की विषाक्तता आैर अनावश्यक कचरे को बाहर निकालकर हमें स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं लेकिन केवल एक किडनी ही सारी जिंदगी सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में अकेले ही सक्षम होती है। हाल के वर्षों में डायबिटीज आैर हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों की संख्या में तेजी हो रही वृद्धि भविष्य में किडनी रोगियों की संख्या में तेजी से होने वाली वृद्धि को दर्शाता है। यही वजह है कि दुनिया भर के सैकड़ों लोगों जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, को प्रभावित करने वाले किडनी रोग के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हर साल मार्च के दूसरे बृहस्पतिवार को वल्र्ड किडनी डे मनाया जाता है। इस साल 10 मार्च को वल्र्ड किडनी डे मनाया जाएगा है। यह लोगों में किडनी की बीमारियों की समझ, उनकी रोकथाम और उनका जल्द उपचार शुरू करने के लिए जागरूकता उत्पन्न करता है। प्रतिवर्ष यह किसी थीम पर आधारित होता है आैर इस वर्ष की थीम है ‘बच्चों में किडनी रोग : बचाव के लिए जल्द प्रतिक्रिया करें! किडनी डिजीज बच्चों को कई रूपों में प्रभावित करती है जिसमें इलाज किये जाने वाले विकारों के साथ ही जीवन को खतरे में डालने वाले लंबे समय वाले परिणाम शामिल हैं। बच्चों में होने वाले मुख्य किडनी डिजीज- नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम यह एक आम किडनी की बीमारी है। पेशाब में प्रोटीन का जाना, रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं। किडनी के इस रोग की वजह से किसी भी उम्र में शरीर में सूजन हो सकती है, परन्तु मुख्यत: यह रोग बच्चों में देखा जाता है। उचित उपचार से रोग पर नियंत्रण होना और बाद में पुन: सूजन दिखाई देना, यह सिलसिला सालों तक चलते रहना यह नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की विशेषता है। लम्बे समय तक बार-बार सूजन होने की वजह से यह रोग मरीज और उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए एक चिन्ताजनक रोग है। नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में किडनी के छन्नी जैसे छेद बड़े हो जाने के कारण अतिरिक्त पानी और उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन भी पेशाब के साथ निकल जाता है, जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है। श्वेतकणों में लिम्फोसाइट्स के कार्य की खामी के कारण यह रोग होता है ऐसी मान्यता है। इस बीमारी के 90 प्रतिशत मरीज बच्चे होते हैं जिनमें नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का कोई निश्चित कारण नहीं मिल पाता है। इसे प्राथमिक या इडीओपैथिक नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम भी कहते हैं। वीयूआर कई बार बड़े बच्चे भी बिस्तर खराब कर देते हैं। ऐसे में उन्हें वेसिको यूरेटेरिक रिफ्लक्स या वीयूआर की आशंका हो सकती है। यह वह रोग है, जिसमें (वाइल यूरिनेटिंग) यूरिन वापस किडनी में आ जाती है। वीयूआर में शिशु बार-बार मूत्र संक्रमण (यूटीआई) का शिकार होता है आैर इसके कारण उसे बुखार आता है। आमतौर पर फिजिशियन बुखार कम करने के लिए एंटीबायोटिक देते हैं लेकिन वीयूआर धीरे-धीरे आर्गन को डैमेज करता रहता है। वीयूआर नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की आम समस्या है, लेकिन इससे बड़े बच्चे और वयस्क भी प्रभावित हो सकते हैं। सौ नवजात शिशुओं में से एक या दो शिशु वीयूआर से पीडि़त होते हैं। अध्ययन बताते हैं कि वीयूआर से प्रभावित बच्चे के भाई या बहन में से 32 प्रतिशत में यह समस्या देखी गई है। वीयूआर एक आनुवांशिक रोग है। अगर शुरुआती दौर में वीयूआर का इलाज किया जाए तो आसानी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन बाद की स्टेज में यह किडनी फेलियर आैर ट्रांसप्लांट का मुख्य कारण बनता है। यूटीआई बच्चों में यूटीआई को डायग्नोज करना कठिन होता है। उपचार न कराया जाए तो उम्र बढ़ने के साथ लक्षण भी बढ़ने लगते है जैसे नींद में बिस्तर गीला करना, उच्च रक्तचाप, यूरिन में प्रोटीन आना, किडनी फेलियर। लड़कियों में इसके होने की आशंका लड़कों से दुगनी होती है। अगर यूटीआई का उपचार नहीं कराया जाए तो किडनी के ऊतकों को स्थायी नुकसान पहुंचता है, जिसे रिफ्लक्स नेफ्रोपैथी कहा जाता है। जब यूरिन का बहाव उल्टा होता है तो किडनी पर सामान्य से अधिक दबाव पड़ता है। अगर किडनी संक्रमित हो जाती है तो समय के साथ उतकों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे उच्च रक्तचाप और किडनी फेलियर होने का खतरा अधिक हो जाता है। क्रोनिक किडनी डिजीज यह शिशु में बर्थ डिफेक्ट (शिशु केवल एक किडनी के साथ या किडनी की असामान्य संरचना के साथ पैदा हो), आनुवांशिक रोग (जैसे पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज), इंफेक्शन, नेफ्रोटिक सिंड्रोम (ऐसे लक्षणों का समूह जिसमें यूरिन में प्रोटीन आैर पानी का खत्म होना आैर शरीर में नमक प्रतिधारणा जो यह किडनी डैमेज का संकेत दे), सिस्टेमिक डिजीज (जिसमें किडनी के साथ ही शरीर के कई अंग शामिल हों जैसे फेफेड़े), यूरिन ब्लॉकेज आदि शामिल है। जन्म से लेकर चार वर्ष तक बर्थ डिफेक्ट आैर आनुवांशिक रोग किडनी फेलियर का कारण बनते हैं। पांच से चौदह वर्ष की उम्र तक किडनी फेलियर का मुख्य कारण आनुवांशिक रोग, नेफ्रोटिक सिंड्रोम आैर सिस्टेमिक डिजीज बनता है। किडनी रोग के लक्षण चेहरे में सूजन -भूख में कमी मितली, उल्टी -उच्च रक्तचाप -पेशाब संबंधित शिकायतें, झांग आना -रक्त अल्पता, कमजोरी -पीठ के निचले हिस्से में दर्द -शरीर में दर्द, खुजली, और पैरों में ऐंठन – किडनी की बीमारियों की सामान्य शिकायतें हैं। मंद विकास, छोटा कद और पैर की हडिड्यों का झुकना आदि, किडनी की खराबी वाले बच्चों में आम तौर पर देखा जाता है। डॉक्टर सुदीप सचदेव | नारायाणा सुपेर्स्पेसियालिटी हॉस्पिटल गुरुग्रम हम सभी स्वस्थ आैर स्वच्छ रहना चाहते हैं। अपने शरीर की बाहरी सफाई का ध्यान तो हम रख लेते हैं लेकिन शरीर के भीतर की सफाई का काम हमारी किडनी (
Ayurveda Tips
ग्रीन टी पीने के फायदे जानिये जब भी हॉट ड्रिंक की बात आती है तो अक्सर लोग हेल्दी हॉट ड्रिंक ग्रीन टी पीने का सुझाव देते हैं. ग्रीन टी, कॉफ
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
OMG INDIA WORLD
#5LinePoetry . 🕉 *POWER of OM ॐ* *एक घडी, आधी घडी ,* *आधी में पुनि आध।* *तुलसी चरचा राम की ,* *हरै कोटि अपराध।।* 1 घड़ी = 24 मिनट 1/2 घडी़ = 12 मिनट 1/4 घडी़ = 06 मिनट क्या ऐसा हो सकता है कि.. *6 मिनट में किसी साधन से करोडों विकार दूर हो सकते हैं।* उत्तर है-- *हाँ,* हो सकते हैं। वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि.... सिर्फ 6 मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से सैकडौं रोग ठीक हो जाते हैं , जो दवा से भी इतनी जल्दी ठीक नहीं होते। 👉 छः मिनट *ऊँ* का उच्चारण करने से.. मस्तिष्क में विषेश वाइब्रेशन (कम्पन) होता है., और ऑक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त होने लगता है। 👉 कई मस्तिष्क रोग दूर होते हैं , स्ट्रेस और टेन्शन दूर होती है , स्मरण शक्ति बढती है..। 👉लगातार सुबह शाम 6 मिनट *ॐ* के तीन माह तक उच्चारण से , रक्त संचार संतुलित होता है , और रक्त में *ऑक्सीजन लेबल* बढता है। *रक्त चाप, हृदय रोग, कोलस्ट्रोल* जैसे रोग ठीक हो जाते हैं..। 👉 मात्र 2 सप्ताह दोनों समय *ॐ* के उच्चारण से , *घबराहट, बेचैनी, भय, एंग्जाइटी* जैसे रोग दूर होते हैं। 👉 कंठ में विशेष कंपन होता है। *मांसपेशियों को शक्ति* मिलती है। *👉 थाइराइड, गले की सूजन दूर होती है ,* और स्वर दोष दूर होने लगते हैं। 👉 एक माह तक दिन में तीन बार , 6 मिनट तक *ॐ* के उच्चारण से , *पाचन तन्त्र, लीवर, आँतों को शक्ति प्राप्त होती है ,* और डाइजेशन सही होता है। सैकडौं *उदर रोग* दूर होते हैं। 👉 उच्च स्तर का प्राणायाम होता है , और फेफड़ों में विशेष कंपन होता है। *फेफड़े मजबूत* होते हैं , *स्वसनतंत्र की शक्ति* बढती है , *6 माह में अस्थमा, राजयक्ष्मा (T.B.)* जैसे रोगों में लाभ होता है। 👉 आयु बढती है। ये सारे रिसर्च (शोध) विश्व स्तर के वैज्ञानिक स्वीकार कर चुके हैं। *जरूरत है छः मिनट रोज करने की..।* नोट :- *ॐ का उच्चारण लम्बे स्वर में करें।।* 🕉 ©OMG INDIA WORLD . 🕉 *POWER of OM ॐ* *एक घडी, आधी घडी ,* *आधी में पुनि आध।* *तुलसी चरचा राम की ,*