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New रोटी छोटू की रोटी Quotes, Status, Photo, Video

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DHARMVEER KASNIYA

छोटू की मस्ती #कॉमेडी

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JogiRupSon Sant

छोटू #छोटू #Chotu WOD #poem

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Chotu छोटू 

ये छोटू बडा सुन्दर गुनगुनाता है,
रोज़ सुबह चाय की प्यालियां लाते लाते,
बम्बैय्या भाषा मे सुनाता है कहानियां,
ठिठक जाता है वापस जाते जाते, छोटू
#छोटू #chotu #WOD

Dimple Kumar

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तृप्ति

छोटू

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छोटू  कुछ तो है उसकी मजबूरी
 वरना इतनी छोटी सी उम्र में
 यूं ही कौन करता है मजदूरी
 जरा सोचो.......
कैसे वह इतने काम करता है
 आखिर  वो भी तो एक बच्चा है |
 ग्राहकों को चाय पिलाना उसका काम है
 सबके लिए छोटु उसका नाम है |
 मुमकिन हो वह कोई  बेसहारा है
 या किसी के लिए एक अकेला सहारा है 
 जो अपने साथ साथ किसी
 और का पेट पालता है |
 बाल मजदूरी गलत है 
ऐसा लोगों का कहना है
  पर क्या करेंगे वह लोग
 आखिर उन्हीं भी तो जीना है |
 ऊंची  उड़ाने  तो वो भी भरना चाहते हैं
 पर पास  उनके पंखों की कीमत नहीं
 पूरी कर दे  उनके ख्वाबों को
 किसी ऐसे का  सर पर है हाथ नहीं | छोटू

Sumit Kumar

#छोटू

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छोटू छोटी -छोटी दुकानों और होटलों में जो छोटू होता है ना, 
वो अपने घर का बड़ा होता है.. #छोटू

Pooja Mehra poetry

छोटू #OpenPoetry

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#OpenPoetry छोटू 
पुकारते है सब मुझे छोटू 
बस यहीं अब मेरी है पहचान 
बनना तो चाहता था बड़ा 
पर कमा ना सका कोई नाम 
पिता ने छुड़वाया किताबें व स्कूल का बस्ता 
कहा "नहीं है ये सब हमारे बस का"
माँ मेरी करती थी घर घर जाकर 
जूठे बर्तन साफ 
पिता पीते थे दिन भर कच्ची शराब 
मुझे दुःख है पिता मेटे ने नहीं दिया हमारा साथ 
करता क्या मैं, नहीं था घर में आटा दाल 
वो वक्त भी देखा मैंने 
जब हम भूखे ही सो जाते थे 
माँ को पापा दिन रात सताते थे 
उस वक्त का ग़म आज भी है 
चाहता हू अब माँ को हर सुख दूँ 
ग़मो की छाया उस पर फटकने ना दूँ 
क्या हुआ जो पढ़ लिख ना सका 
पर माँ कहती है तू तो वो भी पढ़ गया
 जो कभी सीखा ना था 
@पूजा मेहरा छोटू

Dr. PRAMILA TAK

छोटू....

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मै वही छोटू हूं  ..
 जिसने अपने सपनो को,
 चूल्हे पर जला कर तुम्हे चाय पिलाई़...




हां मै वही छोटू हूं..

 जिसने अपने सपनो की चमक
  तुम्हारे गंदे बर्तनो मे लाई....
 छोटू....

तृप्ति

छोटू

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छोटू कुछ तो है उसकी मजबूरी
 वरना इतनी छोटी सी उम्र में
 यूं ही कौन करता है मजदूरी
 जरा सोचो.......
कैसे वह इतने काम करता है
 आखिर  वो भी तो एक बच्चा है |
 ग्राहकों को चाय पिलाना उसका काम है
 सबके लिए  उसका नाम है |
 मुमकिन हो वह कोई  बेसहारा है
 या किसी के लिए एक अकेला सहारा है 
 जो अपने साथ साथ किसी
 और का पेट पालता है |
 बाल मजदूरी गलत है 
ऐसा लोगों का कहना है
  पर क्या करेंगे वह लोग
 आखिर उन्हीं भी तो जीना है |
 ऊंची  उड़ाने  तो वो भी भरना चाहते हैं
 पर पास  उनके पंखों की कीमत नहीं
 पूरी कर दे  उनके ख्वाबों को
 किसी ऐसे का  सर पर है हाथ नहीं | छोटू

Saurabh Baurai

रोटी की कीमत #कविता

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किल्लत रोटी की तब जानी
जब रोटी ने नाता तोड़ा।
कीमत खुद की तब पहचानी
जब अपनो ने हाथ ये छोड़ा।।

भटक रहे थे खाली पेट तो
अश्रुनीर से प्यास बुझाई।
थाम रहे थे जब खुद को तो
हर दहलीज़ से ठोकर पाई।।

गगन में उड़ना चाहा जब भी
जंज़ीरों से लिपट गए।
छाव की चाह में जब भी बैठें
वृक्ष भी बहुधा सिमट गए।।

दर्द भी पहले आंशू बनकर
हर क्षण टपका करते थे।
पूरे जग से होकर अक्सर 
मुझपर अटका करते थे।।

विवश का आंगन छोड़ के इक दिन
पृथक सा बनना ठान लिया।
झूठे गणित के विश्व मे मैंने 
खुद को शून्य सा मान लिया।।

ना जाने क्यों अब हर कोई
मेरा साथ यूँ चाहते है।
जग के बड़े अंक भी देखो 
शून्य से जुड़ना चाहते है।।

जान गया हूँ जग से इतना
रक्त तो यहां बहाना है।
यहाँ से पाई हर रोटी का
मोल ये सबको चुकाना हैं।। रोटी की कीमत

Neelam bhola

संतुष्टि की रोटी #कविता

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ज्यादा की चाह में थोड़ा मत खो,
जो है पास संभाल,पीछे मत रो,

 तीन वक्त खाना तो मजदूर भी खाता है,
तू क्यों दिखावे के लिए चांदी के थाल सजाता है,
दूसरे की थाली पे नज़र,अपना निवाला भूल जाता है,

 प्यास पानी से ही बुझती है जानवर की भी,
 क्या वक्त है तू पानी की कीमत चुकाता है,
मेहनत कर पानी चख,कुछ अलग मजा आता है,

 तिनके चुन चिड़िया घोसले बनाती है,
 मिट्टी की झोपड़ी महलों से भाती है,
क्यों तू किसी के महल को आह! लगाता है,

सोना गहना,सब क्षणभंगुर है सारे,
ख्याति रहती है,ये सब छूट जाता है,
 ये चीजें भला कौन साथ ले जाता है,

कर अपनी मेहनत पर यकीन,
 क्यों दूसरे की मेहनत पर नजर लगाता है,

कह गए हैं संत-जितनी चादर पैर उतने फैलाओ,
 संतुष्टि की रोटी हो,चाहे एक वक्त ही खाओ!!!!
-नीलम भोला संतुष्टि की रोटी
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