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anil prajapati
कभी किसी ने सोचा था एक दिन ऐसा भी आएगा। पशु पक्षी होंगे स्वच्छंद विचरते मानव कैद हो जाएगा। प्रकृति खेल रही धरती माँ के गोदी में निर्मल जब मानव हुआ कैद कंक्रीट के पिंजरों में। खग मृग,घूम रहे निर्भय होकर वन, उपवन दिखे न मानव सब देखत कौतूहल नजरों से। नदिया अपने पाप धो, हो रही मुक्त दूषण से, इस धरती पर फिर जब हरित वन लहराएगा कभी किसी ने सोचा था एक दिन ऐसा भी आएगा। पशु पक्षी होंगे स्वच्छंद विचरते मानव कैद हो जाएगा। हुआ आकाश धुंआ रहित, ऊगा चाँद दूधिया, बह रही स्वच्छ पवन शीतलता युक्त वादी है । धूल रहे शाहिल अब निर्मल सागर की लहरों में हुआ कैद जब मानव, प्रकृति की आजादी है । करने को न्याय पशु,पछी,नदी,वन,वायुमंडल संग वायरस का रूप धर फिर केशव धरती पर आएगा। कभी किसी ने सोचा था एक दिन ऐसा भी आएगा। पशु पक्षी होंगे स्वच्छंद विचरते मानव कैद हो जाएगा। #lockdown #corona कभी किसी ने सोचा था एक दिन ऐसा भी आएगा। पशु पक्षी होंगे स्वच्छंद विचरते मानव कैद हो जाएगा। प्रकृति खेल रही धरती माँ के गोद
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
मैं और मेरे जहन में विचरते ये शब्द चल पड़ते हैं साथ साथ दूर यात्रा पे हाथों में हाथ डाले मेरे थकने पर ये थके दिखते हैं मेरे उत्साह में उत्साहित लगते हैं मैं इन्हें और ये मुझे लिखते हैं कोई दुराव नहीं कोई छिपाव नहीं दिल खोल कर बात करता हूँ इनसे कभी जब ये मुझसे दूर हो जाते हैं तो पढ़ लेता हूँ उन पन्नों को जिनमें मैंने इन्हें सहेज रखा है और जी लेता हूँ फिर से कुछ कुछ बिसरे लम्हे ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) मैं और मेरे जहन में विचरते ये शब्द चल पड़ते हैं साथ साथ दूर यात्रा पे हाथों में हाथ डाले मेरे थकने पर ये थके दिखते हैं मेरे उत्साह में
Sunita D Prasad
पर.. यही *पर* ही तो शायद.. जीवन है। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #प्रेम शरणार्थी.... सुख संग लाता है दुख के आने का संशय या भय वहीं दुख लाता है सुख की आस
दीपा साहू "प्रकृति"
तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। तुम तो प्रीत हो हृदय में समाहित। लाल रक्त कणिकाओं संग तुम भी हृदय से मस्तिष्क तक विचरते रहते हो! कभी होंठो पे मुस्कुराहट बनकर, ओस की बूंदों सा कभी ढलकर! कभी बहती नदियों सा कल-कल, हृदय की दीवारों पर चित्र उभरकर इन चित्रों को धोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। मिलो-न-मिलो प्रीत तुमसे रहेगी, जीवन अंतिम क्षणों तक, तुम्हें रोना नहीं चाहती! तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में, तुम्हें खोना नहीं चाहती। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Hope #Prakriti_ #deepliner #tum #love #intejar #Yaad #Nozoto तुम्हारे प्रेम को अश्कों में भिगोना नहीं चाहती तुम्हें पा लेने की लालसा में
xyz
सर्वस्व न्योछावर कर देंगे हम ग़र करना पड़े इस देश की ख़ातिर, त्याग, बलिदान और शौर्य के दम पर है हमारी जान भी हाज़िर। यही जोश और ऊर्जा लिए विचरते हैं जीवन की कठिन राहों पर, मेलजोल और सद्भाव के ज़रिए आँच न आए विश्वास के धागों पर। वतन की मिट्टी की है सौंगन्ध हमें 'इसके दामन पर दाग़ कोई न लगने देंगे', जब करेगा कोई भारत माँ से ग़द्दारी तो उसे उसका दंड भी जरूर देंगे। यह हमारा प्यारा भारत देश महान हमें जान से भी प्यारा है, 'तेरा' 'मेरा' जैसा यहाँ पर कुछ भी नहीं; जो कुछ भी है वो "हमारा" है। सत्यमेव जयते।🇮🇳 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सर्वस्व न्योछावर कर देंगे हम ग़र करना पड़े इस देश की ख़ातिर, त्याग, बलिदान और शौर्य के दम पर है हमारी जान भी हाज़िर। यही
Nir@j
गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।। दादा-दादी से कहानी सुनते रहना। हमेशा ही उनकी देखभाल करना।। खेतों में गेहूँ के फ़सल कट रहे होंगे। कहीं पटवन हेतू रहट चल रहे होंगे।। महुआ का वो पेड़, लटकते हुए आम। सुबह में डाल-पात, गुलिडण्डा शाम।। चरती हुईं गायें, वो विचरते हुए भैड़। झड़ते हुए पत्ते, रंग बदलते हुए पेड़।। दोस्तों के साथ खेलना, छत पर सोना। आँधी आ जाने पर बिस्तर नीचे ढोना।। चने के खेत से, जाकर चना उखाड़ना। खेलने जाने के लिए दोस्त को पुकारना।। कुल्फ़ी वाले का आना, बर्फ़ देकर जाना। बर्फ़ ख़त्म हो जाने पर भी डंटी चबाना।। गाँव घर की शादी, वो पत्तल पर खाना। दोस्तों के साथ मिलकर मौज उड़ाना।। गाँव घर में ढेर सारे, मेहमानों का आना अजनबी रिस्तेदारो को परिचित कराना।। #yqdidi #yqbaba #yqlove #gaav #गाँव #गाँव_की_यादें #छूटता_हुआ_बचपन #nirajnandini गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।।
Broken_Feather
हो गया हूँ मैं गलत तेरी नजरों में आज इस तरह, एक सफेद शर्ट पर कोयले के निशान जिस तरह रहा नहीं मैं पाक अब, बहुत नापाक हो गया हूँ समझा है अब तूने मुझे बस एक शैतान की तरह बस इश्क़ की गुनाह था जिसे निभा न सका मैं देकर इल्ज़ाम गलत का बताया गलती की तरह कुछ कर्ज़ की मजबूरियों को न समझोगे कभी मैं तो तुम्हें नज़र आया बस एक बेवफ़ा की तरह काश कोई हो वहाँ ऐसा मुंसिफ़ जो फ़ैसला करे गलती पे जहन्नुम,नहीं तो फिर बना इंसां की तरह कभी ज़िन्दगी के कुछ फ़ैसले ठीक वैसे ही लगते हैं जैसे अचानक कुछ गरम निगलने पर न उसे बाहर निकाल पाते हैं और न ही गले के अंदर उतार सकते हैं। किसी
Shikh Lekhni
!!पता नहीं हम कौन सा जीवन जीए जा रहे हैं!! Please Read in caption !!पता नहीं हम कौन सा जीवन जीए जा रहे हैं!! जिन हालातों ने हमें सब कुछ दिया आज वो ही हालात हम से सब कुछ छीनें जा रहे हैं पता नहीं हम कौन सा
Deepak Kanoujia
To good people he used to bless & still blessing, Saying "don't stay here at one place just get lost, be homeless and may you get displaced"... Smiling saint only has the clue of his words rest world remains in dilemma & keep astonishing... संतों की बातों का मतलब तो सिर्फ संत ही जानते हैं...बाबा नानक ने जब ये आशीर्वाद दिया " उजड़ जाओ", वो भी उन लोगों को जिन्होंने उनकी बातों को ध्