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Ravi Shankar Kumar Akela
प्राकृतिक पर्यावरण में पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवीय एवं अजीवीय दोनों परिस्थितियों को शामिल किया जाता है! भूमि, जल, वायु, पेड़ पौधे एवं जीव-जंतु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण करते हैं! स्थलमंडल,जलमंडल, वायुमंडल एवं जैवमंडल आदि भी प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं! ©Ravi Shankar Kumar Akela #DiyaSalaai प्राकृतिक पर्यावरण में पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवीय एवं अजीवीय दोनों परिस्थितियों को शामिल किया जाता है! भूमि, जल, वायु, पेड़ प
Ravi Shankar Kumar Akela
प्राकृतिक पर्यावरण एक प्रकार का वातावरण है जहाँ मानव प्रभाव या अंतःक्रिया अत्यंत सीमित रही है। एक प्राकृतिक वातावरण में प्राकृतिक रूप से होने वाली सभी जीवित और निर्जीव चीज़ें शामिल होती हैं, जिसका अर्थ इस मामले में कृत्रिम नहीं है। यह शब्द प्रायः पृथ्वी या पृथ्वी के कुछ भागों के लिए प्रयुक्त होता है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #adventure प्राकृतिक पर्यावरण एक प्रकार का वातावरण है जहाँ मानव प्रभाव या अंतःक्रिया अत्यंत सीमित रही है। एक प्राकृतिक वातावरण में प्राकृतिक
Shilpi Kumari
💟👉प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। ये हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी प्रकृति के बिना हमलोग इस काबिल नहीं है कि धरती पर रह सके। धन्यवाद इस्स ख़ुशी के पल के लिए। ❣️तो चलिए अब और देर न करें और कुछ पेड़ लगाएं🌳🌎 #WorldEnvironmentDay2021🌳🌱🌲 ©Shilpi Kumari 💟👉प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। ये हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्म
यशवंत कुमार
स्वार्थी मानव #yqquotes #yqnature #yqselfishpeople स्वार्थी मानव मानव बड़ा ही स्वार्थी है । उसने अपने फायदे के लिए ऐसे नियम और कानून बनाए हैं जो प्रकृति
CK JOHNY
वो प्राकृतिक था प्रकृति के नियम मानने वाला था। बदलना प्रकृति का नियम है सो वो भी बदल गया। वो प्राकृतिक था और मैं प्रकृति से जुड़ा था। अब भी धरा सा अपने कक्ष में घूमता हूँ ढूँढता हूँ चारों ओर उसे नित उदय होता हूँ अस्त होता हूँ सदियों से यही अटल स्वभाव है मेरा किसी के बदलने से कहाँ ये बदलता था। वो प्राकृतिक था और मैं प्रकृति से जुड़ा था। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ प्राकृतिक
Rupam sinha
खूबसूरत इस जहां की परी हो तुम, मेरे सपनों में आती हैं जो वही रानी हो तुम, कलियाँ भी खिलने से पहले खूबसूरती तुमसे उधार माँगे ऐसे सुन्दरता की मल्लिका हो तुम ©Rupam sinha # प्राकृतिक
shivaay shivaay
★★★प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है! ★1- प्रकृति का पहला नियम:- यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं...!! ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेती है.! ★2- प्रकृति का दूसरा नियम:- ●जिसके पास जो होता है...वह वही बांटता है....!! ●सुखी सुख बांटता है...दुःखी दुःख बांटता है.. ●ज्ञानी ज्ञान बांटता है..भ्रमित भ्रम बांटता है.. ●भयभीत भय बांटता हैं......!! ★3- प्रकृति का तिसरा नियम:- आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढते है...! ●पैसा न पचने पर दिखावा बढता है...! ●बात न पचने पर चुगली बढती है...! ●प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है....! ●निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है...! ●राज न पचने पर खतरा बढता है...! दुःख न पचने पर निराशा बढती है...! ●और सुख न पचने पर पाप बढता है...! !!!! मंगलमस्तु !!!! ©shivaay shivaay #प्राकृतिक
Marutishankar Udasi
देख ले हर्ष ज़िन्दगी का क्या कहर है प्राकृतिक का ©Marutishankar Udasi प्राकृतिक
Sunita Bishnolia
पर्यावरण (दोहे) हरी-भरी धरती रहे,नीला हो आकाश, स्वच्छ बहे सरिता सभी,स्वच्छ सूर्य प्रकाश।। पेड़ों को मत काटिए,करें धरा श्रृंगार। माटी को ये बांधते,ये जीवन आधार।। सुनीता बिश्नोलिया©® शुद्ध हवा में साँस लें,कोई न काटे पेड़। आस-पास भी साफ़ हो, सभी बचाएँ पेड़।। धरती माता ने दिए,हमें अतुल भण्डार, स्वच्छ पर्यावरण रखें, मानें हम उपकार।। कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार।। साफ-स्वच्छ गर नीर हो,नहीं करें गर व्यर्थ। कोख न सूखे मात की, जल से रहें समर्थ। धूल-धुआँ गुब्बार ही,दिखते चारों ओर। दूषित-पर्यावरण हुआ,चले न कोई जोर।। कान फाड़ते ढोल हैं,फूहड़ बजते गीत, हद से ज्यादा शोर है,खोये मधुरिम गीत। हरी-भरी खुशहाली के,धरती भूली गीत। मैली सी वसुधा हुई,भूली सुर संगीत।। पर्यावरण स्वच्छ राखिये,ये जीवन आधार, खुद से करते प्यार हम,कीजे इससे प्यार। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर #पर्यावरण #स्वच्छ #पर्यावरण