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Ruchi Sharma
मुद्दतों से, मुद्दतों बाद ।। ------------------------------ मुद्दतों से जो खुवाशियें छुपा रखीं थीं , आज उनको हवा धूप लगाकर, फिर संदूकों में बन्द कर आई हूँ । गुज़रा वक्त गुज़रे जमाने सा बीत गया, आज धूल लगी किताबें, रद्दी में बेच आई हूँ । किताबों में रखे सूखे फूल भी, चरमरा कर राख बन गये हैं, आज उस राख को नदिया में बहा आई हूँ । बाज़ार में काफी मुखोटे बिक रहे थे, एक हसता हुआ मुखोटा, अपने लिये भी खरीद लाई हूँ । मेरी आँखों में झाँककर ना देखना तुम, मुद्दतों बाद आज, तुम्हारे सारे गुरुर तोड़ आई हूँ । #मुद्दतों से, मुद्दतों बाद ।। ##nojotopune
Avinash Lal Das
मुद्दतों से उसके दीदार का आरज़ू लिए बैठा हूँ, मैं अपना घर-बार और यार को भूल बैठा हूँ, अब तो मुफ़लिस होने के कगार पर भी आ चुका हूँ, फिर भी उसे पाने की ज़िद्द में मौत से भी अपने लिए चंद सांसें और उधार लिए बैठा हूँ । ©Avinash Lal Das #मुद्दतों से#
mohammad ishaque qadri
मनकबत हज़रत हाजी अमानुल्लाह शाह उर्श पाक 8/3/2020 हजूरी दरगाह हो करम की इक नज़र हाजी अमानुल्लाह शाह ज़िन्दगी जाए संवर हाजी अमानुल्लाह शाह आऊं में दर पर अगर हाजी अमानुल्लाह शाह छोड़ कर जाऊं ना दर हाजी अमानुल्लाह शाह तेरे दर पे रहमतों की हर घड़ी बरसात है कितना प्यारा है नगर हाजी अमानुल्लाह शाह फस गई है मेरी कश्ती मौजे तूफ़ान में हुज़ूर आऊ लेने को खबर हाजी अमानुल्लाह शाह रंजो गम का नाम कैसे लब पे होगा दोस्तो लब पे है शामों सहर हाजी अमानुल्लाह शाह मुस तुफा की अाल का देता हूं तुम को वास्ता फ़ैज़ रखना ता उमर हाजी अमानुल्लाह शाह दिल की दुनिया ही बदल जाए गी तुम जो दाल दो इक नज़र इस्हाक पर हाजी अमानुल्लाह शाह मोहम्मद इस्हाक रिज़्वी नजम
श्याम
"तुजे खुश होने का कोई हक नहीं ऐ तूफ़ान के आने की शान्ति है।" ©Ghanshyam p Patel नजम
Bhupendra Rawat
मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है तेरी यादों ने एक लम्हा और सजाया है अब तेरी यादें ही तो बस ज़ीने का बहाना है तेरी झील सी आंखों में डूब कर मर जाना है भूपेंद्र रावत 5।05।2020 #मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है#
mk_lover_writes
#OpenPoetry इलाज जबसे हुआ है मेरी तकदीर का दर्द कम हो गया है मोहब्बत की पीर का दर्द ए नजम #nojotoshayari
writer abhay
इस जहाँ मे तुम हो हम हैं, और जाने क्या क्या ग़म है. दवा है, दुआ है, दारू है, दर्द भी थोड़ी ना कम है. ये आखें तुम्हारी चोट देती, और लबों पे ही मरहम है. तुम दूर चली गयी मुझसे, मगर ये यादें साथ हरदम है. मै कहता हूँ की मैं ख़ुश हूँ, पर क्यूँ ये नैन मेरे नम है. मुद्दतों से सूरत नहीं देखी, मेरा आईना मुझसे दूर है.