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Mehfil-e-Mohabbat
जब भी फ़ुर्सत मिली है फ़र्ज़ों से तेरे रुख़ की किताब ले बैठा कितनी बीती है कितनी बाक़ी है मुझ को इस का हिसाब ले बैठा ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️❤️शिव कुमार बटालवी❤️✍️
आगाज़
इक कुड़ी जिहदा नाम मुहब्बत ग़ुम है’ ओ साद मुरादी, सोहनी फब्बत गुम है, गुम है, गुम है ओ सूरत ओस दी, परियां वर्गी सीरत दी ओ मरियम लगदी हस्ती है तां फूल झडदे ने तुरदी है तां ग़ज़ल है लगदी शिव बटालवी ©SMA voice group #बटालवी Ajain_words Amit Pandey DASHARATH RANKAWAT SHAKTI आँचल सोनी 'हिया'
Raushni Tripathi
अच्छा होता सवाल न करता, मुझको तेरा जवाब ले बैठा - शिव कुमार बटालवी . ©Raushni Tripathi अच्छा होता सवाल न करता, मुझको तेरा जवाब ले बैठा - शिव कुमार बटालवी #Rose
Vishal Vaid
ਢੰਗ ਕੌੜੇ ਸੀ ਵਿਰਿਹ ਵਾਲੀ ਸੱਪਣੀ ਦੇ ਮੈਂ ਬੜਾ ਤੜੱਪੀਆਂ ਤੇ ਹਿੱਲਿਆ ਪਿਆਸ ਬੜੀ ਸੀ ਤੈਨੂੰ ਵੇਖਣ ਦੀ ਪਰ ਇਕ ਬੁੰਦ ਪਾਣੀ ਵੀ ਨ ਮਿਲਿਆ ਚਾਹ ਬੱਸ ਇਨੀ ਸੀ ਕਿ ਤੈਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਚੱਲਣ ਸਾਹ ਮੇਰੇ ਪਰ ਮੇਰੇ ਅਰਮਾਨ ਦਾ ਇਹ ਫੁੱਲ ਕਦੀ ਵੀ ਨਹੀਂ ਖਿਲੀਆ ਯਾਦਾਂ ਤੇਰੀ ਜਧ ਵੀ ਆਈ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਹਰਫ਼-ਹਰਫ਼ ਲਿਖਿਆ ਹਜੂਮ ਇਨਾਂ ਤੇਰੀ ਯਾਦ ਦਾ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਸਾਹ ਵੀ ਮੇਰਾ ਬੜਾ ਔਖਾ ਨਿਕਲਿਆ #ਪੰਜਾਬੀ #yqpunjabi #ਯਾਦਾਂ #yqbhaji बस ऐसे ही कभी कभी ख्याल बस , शिव कुमार बटालवी और अमृता जी को पढ़ने के बाद जैसे सारी स्कूल वाली पंजाबी ए
Pia India(Priya)
Juhi Grover
रंग बिरंगे हमारे सपनों जैसी रंग बिरंगी कविताएँ, सपनों के पूरा न होने पर भी मार्ग नया दिखाएँ। कभी प्रात: रवि सी तेजस्वी बन प्रज्वलित कराएँ, कभी निशा की कालिमा खून के आँसू रुला जाएँ, कभी जीवन के उलझे बिखरे एहसास लिख जाएँ, कभी मृत्यु बन कर के यादों की रंगत बिखेर जाएँ। कभी मिलन की चाहत का रंग बन के मुस्का जाएँ, कभी 'शिव कुमार बटालवी' के दर्द सी चुभ जाएँ, कभी 'पाश' की कविता बन क्रांतिकारी बना जाएँ, कभी 'सुभद्रा कुमारी' जैसी निडर साहसी बन जाएँ। कभी वन्दे मातरम् बन कर स्वतन्त्र भाव जगा जाएँ, कभी जन गण मन बन के तिरंगा झंडा लहरा जाएँ, कभी ज़िन्दादिल शहादत बन गौरवान्वित कराएँ, कभी जीते जी अनोखा अद्भुत इतिहास रच जाएँ। सुकून, बेेचैनी, भय, खुशी, गम को अल्फाज़ बनाएँ, भाव निर्मित अल्फाज़ यहीं कविता बन कर इतराएँ, सपने बेचती हैं ये रंग बिरंगे एहसासों की कविताएँ, साहित्य सृजन का रूप मान पढ़ी जाती हैं कविताएँ। रंग बिरंगे हमारे सपनों जैसी रंग बिरंगी कविताएँ, सपनों के पूरा न होने पर भी मार्ग नया दिखाएँ। रंग बिरंगे हमारे सपनों जैसी रंग बिरंगी कविताएँ, सपनों के पूरा न होने पर भी मार्ग नया दिखाएँ। कभी प्रात: रवि सी तेजस्वी बन प्रज्वलित
voice x
वो लिखारी है साहब, वो सब लिखता है... दिल की तस्वीर बन, कागजों में बिखरता है... वो कभी गुम हुई आवाज़ों को सनाटों में सुनता हैं. तो कभी अपने