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Nitin Sharma Donty
शशि के ललाट पर, भोर के आरंभ में । भृकुटि के मध्य में, तिलक हुआ भानु की अंशु का।। देख मधुर संयोग प्रकृति का, दुष्यंत होए भाव विभोर सा, अंजलि में रख छवि दर्श करें अंजू का ।। ★दुष्यंत शर्मा★ ©Nitin Sharma Donty #श्रृंगार #वियोग #योग #2021
Parasram Arora
ये वियोग के आंसू साथ रहे अगर तो परदेस में भी मुस्कान अपनी जीवित रख सकूगा मै. और ज़ब भी याद तुम्हारी आती रहेगी और तुम्हारे सौंदर्य सुधा की वो बसी हुई छवि भी इस खोखले तनाव पूर्ण सफर में.मुझे बहलाती रहेगी स्मृतिकोष में संचित तुम्हारी ये स्नेह सिक्त मधुर वाणी मेरे ह्रदय में सदैव गुंजती रहेगी और शायद इसी सम्पदा के सहयोग से ये लम्बी दूरिया भी तय कर पाऊंगा मै ©Parasram Arora वियोग के आंसू......
siyaaa
वसंत ऋतु की सुगंधित पवन,तुम्हारे इत्र जैसे छू जाती है। कलियाँ,पुष्प,तरु,मधुवन हर कण में छवि तुम्हारी दिखालाती है।। ऐ वसंत तू यूँ तंग न कर,पिया मेरे मुझसे रुष्ठ हैं। हर नज़ारे में नज़र आ रहे है,ये मौसम कितना दुष्ट है।। है दूरी उनसे ये कैसी,चक्षु अश्रुओ से भर गए है। जैसे भभरे उड़ जाते है,वो विरहग्रस्त हमें कर गए हैं।। -siya वियोग श्रृंगार रस #ishq #Love #hindipoetry #Nojoto #nojotohindi #viYog #EscapeEvening
Mohan Sardarshahari
परिवर्तन इतना होता है रोज लड़ता हूं खुद से इसमें टिकने के लिए दिखता नहीं है किसी को क्यों कि यह होता है सब भेद ढकने के लिए।। ©Mohan Sardarshahari भेद ढकने के लिए
Ashok Bairwa
कभी दरिया के संगम जैसा था हमारा मिलन। अब कुएं से कुएं जैसा हो गया। ~अशोक बैरवा वियोग
Ashok Bairwa
तू रहता था साथ तो घर में चाँदनी छिटकती थी अब तो यह उजाला बहुत जलाता है मुझे,,, वियोग