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Abhishek Kumar
तर्कों पर चलने वाले लोग , तर्क सील कैसे हो गए बात हवाओं की करते थे, उड़ पंखे की हवा में गए .! Abhishek Kumar Yadav ©Abhishek Kumar #प्रेरक #प्रेरणा #प्रेरणादायक #प्रेरणा
praveen prakash
अतीत की बातें न जाने वो दिन कैसे होंगे मोबाईल के बिन जब रहते होंगे कैसै देते होंगे अपनी खबर जब रहते होंगे वीरान शहर सुबह डाकिये को चिट्ठी दिया तो देता होगा दोपहर न जाने वो दिन कैसे होंगे जब रहते होंगे घर से बाहर साधनो की भी कमी होगी पर कम न होगा लोगों में प्यार सीधे साधे लोग होंगे और अद्भुत होगा उनका व्यवहार कम होती होगी दुनिया दारी और सीमित होंगे सबके यार दो वक्त की रोटी भी नहीं तो देते होंगे सबको प्यार आनाजो की भी कमी होगी पर व्वहारिक होगा सभ्य समाज उधारी का भी नियम होगा तो नहीं लेते होंगे अपनो से ब्याज उन दिनों की मैं कल्पना करू तो दुःख होता है सबको आज न जाने वो दिन कैसे होंगे जब प्यार से गले लगाते होंगे न करते होंगे हिन्दू मुस्लिम न होता होगा जातिवाद भाईचारे से रहते होंगे सब ना होता होगा कोई विवाद न जाने वो दिन कैसे होंगे जब होता होगा सीमित अखबार खबरों की भी कमी होगी पर न देते होंगे झूठी समाचार जनमत की भी कमी होगीपर सच्चे होंगे पत्रकार पता परिचय कम होगा पर आपस मे होगा प्रेम व्यवहार न जाने वो दिन कैसे होंगे जब मिलते होंगे सबके विचार ✍प्रवीण प्रकाश प्रवीण प्रकाश
SainikKavi
केतली सैनिक कवि: विशाल के सी जलती हुई अंगारो की भट्टी पर एक सहमी हुई खौलती केतली चुप-चाप से बैठी थी सुबह से लेकर शाम तक वह भट्टी पर जरूरत मंद लोगो के लिए तपी रहती खुद को बर्दाश्त कर के मैं हर रोज देखता था उसके अंदर का चमत्कार कभी उस में पानी का उबाल होता तो कभी चाय,आलू कभी कुछ तो कभी कुछ मगर भट्टी पर ही अढी़ रहती शाम को जब भट्टी सो जाता थी उसे ढककर अगली सुबह के लिए वह अपने घर को जाता था पर कोने के उस तरफ़ विवश केतली अपने दर्द के साथ पड़ी रहती थी ना मालिक ने उससे पूछा उसका हाल ना आग के तपिश ने ना उन हाथों ने जो हर सुबह उसे भट्टी पर रखने आते थे फिर एक दिन विवश केतली भट्टी के ताप पर ही फट गई और भट्टी का वजूद पल में ही धराशायी हो गया घमंडी अंगारे भी पल में शान्त हो गए एक ऐसी केतली आज हर एक उस घर पर सजती है शायद उसे हम जानते हैं जो रोज किसी एक भट्टी पर तपती है । रोक लो उन हाथों को जो यह सेज सजाती हैं बुझादो उस भट्टी के अंगार को ना फट सके फिर कोई विवश केतली ©#SainikKavi #केतली
Rajesh vyas kavi
सुबह हुई नया सवेरा _ नई उमंगे लाया है। सपना जो देखा रात रात भर_ नई तरंगे लाया है।। यही जीवन हमको भाया है_ यही सबको समझाया है।। © Rajesh vyas kavi प्रेरणा ___ #yqdidi #yqbaba #प्रेरक #प्रेरणा #Qala
choudhary Monu Tomar
काश की हम चाय हो जाते, काश की हम चाय हो जाते, तेरे होठों को छूकर के, रगों में घुल जाते जो दिल में सारे राज हैं, उनसे भी मिल जाते महसूस होता तुझको फिर, मेरे इश्क का उठता धुआं... हम केतली में बंद हो,कुछ यूं उबल जाते #चाय#दिल#केतली
Sarita Malik Berwal
मन की केतली में उबलते हुए विचार प्याली में आते ही होठों को छूते हैं गा उठता है मन वही भांप की तरह उड़ती ग़ज़ल फिर कहीं ज़िम्मेदारी के बर्तनों में खो जाती है केतली फिर ख़्याल आते तो हैं मगर उबलते नहीं। -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #मन की केतली
Sagar
।। सुविचार ।। दैनिक जीवन सरलताऔ से भरा है, भोग विलाश जीवन निराशाऔ से, सरलता और निराशा दोनो ही जीवन के एक रूप है ।। क्योकि निराशा मे सफलता छुपी होती है।। ©Sagar सफल जीवन # प्रेरणा स्रोत # ज्ञान प्रकाश#