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Vandana
प्रेम क्यों है कैसे हैं किसे है क्या मायने रखता है प्रेम है यह मायने रखता है, कुमुदिनी के दल खिल गए झील के किनारे दो हंस मिल गए जीवन दर्पण सौंदर्य बौध मन प्रफुल्लित प्रेम रूपी पराग कण बिखर गए चहुंओर,,,,, #प्रेमडगर #
Ragini shneh Tiwari
सर ,सरोज, सिंधु, सरोवर, पर्वत ,धरती, नीला ,अम्बर गंगा ,यमुना ,दशों दिशाओं चहुंओर प्रकाश फैलाओ तिमिर धरा से दूर भगाओ आओ मिलकर दीप जलाओ ।। © रागिनी तिवारी ' स्नेह '✍️ सर ,सरोज, सिंधु, सरोवर, पर्वत ,धरती, नीला ,अम्बर गंगा ,यमुना ,दशों दिशाओं चहुंओर प्रकाश फैलाओ तिमिर धरा से दूर भगाओ आओ मिलकर दीप जलाओ ।।
Vandana
सुप्रभात सुबह-सुबह की भोर क्यों ना आंखें खोल,,,,,, चमचम तारे छिप गए सारे सूर्य की किरणें खेल रही है जल थल में,,,,,, पंछी प्यारे जग गए सारे चहुंओर उ
Vandana
सुप्रभात ओंस की बूंद चमकती पत्तों पर हवाओं की मौजूदगी रहती,,,,, पेड़ों के झुरमुट के ऊपर पंछियों का शोर है चहुंओर,,,,, भोर की ठंडक,धूप की मीठी सेंक
Naresh Chandra
मित्रों रचना अनुशीर्षक मे पढ़ें कृपया ©Naresh Chandra अंगना बुहार के द्वार सजाई के गोरिया करे ला श्रंगार सजन अब आवत होहिहै सजन अब आवत होहिहै। नथुनी होठों को चूमे झूमका कानों मे झूमे
Shree
सरपट मन दौड़ता भगौड़ा निगोड़ा! चहुंओर मुंह ताकता करते पाती-निहोड़ा, कहीं कहने, कहीं सुनने ताना-उलहना, कहीं पूछने, कभी पूजने ज़र्फ़, कभी हर्फ, बलजोरी पुरकश चलता, नहीं ठहरा! निर्लज्ज कठोर, गरज पर अलबेला! मुंहजोर मुंहफट, छूटा अक्सर अकेला! सरपट मन दौड़ता भगौड़ा निगोड़ा! चहुंओर मुंह ताकता करते पाती-निहोड़ा, कहीं कहने, कहीं सुनने ताना-उलहना, कहीं पूछने, कभी पूजने ज़र्फ़, कभी
Insprational Qoute
जय श्री कृष्णा माँ यशोदा का प्यारा, बाबा नंद का दुलारा, ग्वालों का तू ही हैं यारा, गोपियों का तू चित्तहारा, राधा का आँख का तारा, समस्त जगत का उजियारा, महा
ABHISHEK SWASTIK
खुशियां बिखरी हैं चारों ओर, मन-मोहनी घटा घनघोर । चौमासे की ऋतु है आई, उमंग भरी वर्षा चहुंओर ।। भूल गए कागज की नौका, मयूर नृत्य,पपीहे का शोर, मोबाइल हाथ में लेकर बैठे । खींचें सेल्फी सारे मोर ।। लुत्फ़ कहाँ वो पॉपकॉर्न में, जो भूंजे भुट्टा में है प्योर । ऑनलाइन ही बाँट रहे हैं, पिज्जा फोटो sending more... आधुनिकता का दौर है फिर भी, ढूंढ़ता हूं, खुशियों की डोर । बचपन की यादों का सावन, फिर मन हो जाए आनंद विभोर ।। -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) खुशियां बिखरी हैं चारों ओर, मन-मोहनी घटा घनघोर । चौमासे की ऋतु है आई, उमंग भरी वर्षा चहुंओर ।। भूल गए कागज की नौका, मयूर नृत्य,पपीहे का शोर
Abhishek Asthana
खुशियां बिखरी हैं चारों ओर, मन-मोहनी घटा घनघोर । चौमासे की ऋतु है आई, उमंग भरी वर्षा चहुंओर ।। भूल गए कागज की नौका, मयूर नृत्य,पपीहे का शोर, मोबाइल हाथ में लेकर बैठे । खींचें सेल्फी सारे मोर ।। लुत्फ़ कहाँ वो पॉपकॉर्न में, जो भूंजे भुट्टा में है प्योर । ऑनलाइन ही बाँट रहे हैं, पिज्जा फोटो sending more... आधुनिकता का दौर है फिर भी, ढूंढ़ता हूं, खुशियों की डोर । बचपन की यादों का सावन, फिर मन हो जाए आनंद विभोर ।। -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) खुशियां बिखरी हैं चारों ओर, मन-मोहनी घटा घनघोर । चौमासे की ऋतु है आई, उमंग भरी वर्षा चहुंओर ।। भूल गए कागज की नौका, मयूर नृत्य,पपीहे का शोर
Vandana
सुप्रभात अलसाय हुए तन में प्रभा की शीतल ठंडक ने छुआ भोर हुई चहुंओर उजाला फैला,,, सूरज की किरणों ने धरती को छुआ,,, बगिया से आती फूलों की खुशबू,,चेतना