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भारतीय कला 1

थट्टा मस्करी💓❤😍

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तुझे हसणे जरी या जगासाठी खास आहे
तरी ते माझ्यासाठी गळ्यातला फास आहे
मी या मृत्यूच्या दारात कधीही शिरून जाईल
कारण तू माझ्या जवळ  एन्ट्रीची पास आहे

✍शुभम सोरते थट्टा मस्करी💓❤😍

राजेंद्रभोसले

सट्टा

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जाहिरातीच वेगळी खूळ
विनोदाची पडली धूळ
अंगविक्षेप दिव्यांगाची
थोबाड रंगवली सर्वांगाची
साडी नेसून करतोय विनोद
प्रस्तापिताना वाटण्या मोद
ग्रामीण बोली उसावलेली भाषा मवाली
चितरकथांच्या उडवी चिंध्या
माध्यमाच्या बनूनी मिंध्या 
बेगडी कथेचा बेगडी थाट 
बीभत्सतेची रचुनी माठ
लादलेले नट करी विनोदाची थट्टा
फसलेले रसिक लावतात सट्टा सट्टा

Kailash Yede

पट्टा #SunSet

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आबादी है मेरा दिल का गौठान नहीं है..

 तू जब भी आएगा कबजा मिल जाएगा....

©Kailash Yede पट्टा 

#SunSet

Rajeev kumar

सट्टा बाजार #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz gaz______69

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date_12_10_2019 सट्टा बाजार

Sharddha Saxena

मांडवी #Poetry

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मांडवी

क्यों कवियों की लेखनी में
मांडवी ही उपेक्षित की गई?
पूछती हूं
क्या नहीं थी वो पतिव्रता
या फ़िर नहीं देखी गई उनकी व्यथा।
जिस घर में वो पली बड़ी
पाए जहां संस्कार थे,
क्या जनक और सुनैना ने
दिए सबको अलग अलग संस्कार थे।
ब्याही दशरथ के घर
भरत की भार्या बनकर
छूटी भी ना थी हाथ की मेहंदी
कि बन गई भरत की तजनीय।
मां की ममता ने मांगा था राज काज
पिता ने ना दिया था कोई वनवास
रानी बनने का नहीं था कोई सपना
बस सुख दुःख का साथी बनना था
क्यों छीना भरत ने उससे यह हक़ था
क्या उसका नहीं कोई सपना था?
सीता हुईं राम के संग वनवासी
उर्मिला को भी लक्ष्मण के लौटने की आस थीं।
एक क्षण ‍का भी विलम्ब हुआ 
त्यागते भरत अपने प्राण
भरत का सुनकर कठोर संकल्प
मांडवी का हुआ पल पल दिल बैचेन।
महलों में वो क्या चैन से रह पाई होंगी?
पूछती हूं क्यों कवियों की लेखनी में
मांडवी ही उपेक्षित की गईं?

©Sharddha Saxena मांडवी

Shubham Tripathi

एक बोरा लठ्ठा है मजदूर भी तो देखो कितना हट्टा कट्टा है मेहनत की चटनियाँ यूं ही नहीं बनती साहब बीच में वो दो किनारे सिल और बट्टा है और अग

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जीवन संघर्षों का एक बोरा लठ्ठा है 
मजदूर भी तो देखो कितना हट्टा कट्टा है 
मेहनत की चटनियाँ यूं ही नहीं बनती साहब 
बीच में वो दो किनारे सिल और बट्टा है 
और अगर अब समझ नहीं पाए प्राइवेट नौकरी को 
तो तू सबसे बड़ा उल्लू का पठ्ठा है एक बोरा लठ्ठा है 
मजदूर भी तो देखो कितना हट्टा कट्टा है 
मेहनत की चटनियाँ यूं ही नहीं बनती साहब 
बीच में वो दो किनारे सिल और बट्टा है 
और अग
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