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Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
दीवारों के कान =========== धीरे बोल तु , कोई राज की बात सुन न ले कोई , तेरे-मेरे जज्बात ! मेरे इशारों को तु समझ, तेरी मैं समझु खामोश नजरों से तु ,कर राज की बात !! ---अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #दीवार में कान
Sneh Lata Pandey 'sneh'
शीत कहे है कान में, सखी पिला दो चाय। कहने वाली मैं नहीं, जल्दी तुमको बाय।। ©Sneh Lata Pandey 'sneh' #teatime सर्दी कहती कान में
Neelima singh
आंख और कान में भेद आंख लौकिक पदार्थों को ही दिखलाती है,परन्तु कान परमार्थतत्व को भी जताने वाला है। 👀/👂 ©zindgi ke rang आंख और कान में भेद #letter
CK JOHNY
बाहर से कान बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ऐनक के साथ मास्क का भी भार उठा रहे हैं। अंदर से कान अभी भी लापरवाह हैं जूँ तक रेंगती नहीं सुनते नहीं किसी की आह हैं। निंदा बुरी लगती इन्हें बुरे लगते बड़ों गुरु के बोल गफलत की नींद से जागते नहीं लाख बजाओ ढोल। इन्हें तो झूठी तारीफ सुनने की ही चाह है कान के कच्चे लोग झूठे रिश्तों पे इतरा रहे हैं। बाहर से कान बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ऐनक के साथ मास्क का भी भार उठा रहे हैं। बगल में छुरी मुख में राम राम गधे को बाप बना लें गर हो काम। वरना आँखों आगे देख के मुँह फेरें अच्छे अच्छों के कान कतर दें खबर हो न किसी को कानों कान। कान पकड़ो अंतर की बात सुनों देकर कान अफसोस हम सब किस दिशा में जा रहे हैं। बाहर से कान बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ऐनक के साथ मास्क का भी भार उठा रहे हैं। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 06.08.2020 कान
श्यामकिशोर अवस्थी
💐💐💐एक दिन जब पुष्पमाला मेरे गले में डाली गई,, फूलों ने कान में धीरे से कहा कि माला पहन कर इतना इतरा रहे हो,, कभी जाना है कि तुम्हारे गले की शोभा बढ़ाने के लिए मैंने कितने कष्ट सहे हैं। अच्छा खासा डाली में मुस्कुरा रहा था तभी माली आया मेरी गर्दन को मरोड़ा और तोड़ा, दर्द में भी मुस्कुराया, सुई धागा में पिरोया, रोया लेकिन मुस्कुराया, कि किसी के गले की शोभा बनना है। क्या करूं अतह मजबूर हूँ, मुस्कराना मेरी फितरत है। डोली हो या अर्थी या ईश्वर का मस्तक पर चढ़ाओ या मेरी एक एक पंखुड़ी नोच डालो पैरों के नीचे कुचलो,, क्या करूं अतह मजबूर हूं, मुस्कराना मेरी फितरत है।,,,काश।।।।🌹🌹🌹🌹 💐श्याम किशोर अवस्थी💐 फूल ने कान में धीरे से कहा,,
अनंत पाटील
विषय-चित्र चारोळी/काव्य लेखन शीर्षक- कान श्रवण कानाचे सुंदर कार्य पण ऐकणारे कानी लागतात दुसऱ्याना कळू नये म्हणून इतरांचे कान फुकतात कान हे सापाप्रमाणेच विषारी एखाद्याला कानपिचक्या देतात यावर त्यांचे भागत नसते हितचिंतक म्हणून कान भरतात ऐकावे जनांचे करावे मनाचे पण आता लोकं उलटं करतात आपले सोडून परक्यावर जास्त विश्वास कारण ते हलक्या कानाचे असतात एखाद्याचे वाईट चिंतण्या दुर्जनांचा कानमंत्र घेतात सज्जनांनी कान उघडणी केली की , हेच लोक कानावर हात ठेवतात मला एवढेच सांगणे कानामागून येऊन कशाला तिखट व्हावे भिंतीला ही कान असतात एका कानी ऐकावे दुजा कानी सोडून द्यावे काही वाक्प्रचार कानी लागणे-चहाड्या करणे कान फुकणे- निंदा करणे कानपिचक्या देणे- दोष दाखवून समज देणे ऐकावे जनांचे करावे मनाचे- योग्य हिताचे करणे हलक्या कानाचे-खोटी गोष्ट खरी वाटणे कानमंत्र देणे-सल्ला देणे कान उघडणी करणे-स्पष्ट बोलणे कानामागून येऊन तिखट होणे-वरचढ होणे कानावर हात ठेवणे- माहीत नसणे भिंतीला कान असतात -सावधगिरी बाळगणे एका कानी ऐकावे दुजा कानी सोडून द्यावे- गरजेचे घेणे श्री अनंत पांडुरंग पाटील उमरोळी पालघर 8446819542 ©अनंत पाटील कान