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Geetkar Niraj
प्रकृति पर कविता/Poem on nature in hindi जलमग्न हुई कहीं धरा,कहीं बूंद-बूंद को तरसे धरती। किसने छेड़ा है इसको, क्यों गुस्से में है प्रकृति।। किसने घोला विष हवा में,किसने वृक्षों को काटा ? क्यों बढ़ा है ताप धरा का,क्यों ये धरती जल रही ? जिम्मेवार है इसका कौन,क्यों ग्लेशियर पिघल रही ? किसने इसका अपमान किया, कौन मिटा रहा इसकी कलाकृति ? किसने छेड़ा है इसको,क्यों गुस्से में..........? धरती माँ का छलनी कर सीना,प्यास बुझाकर नीर बहाया। जल स्तर और नैतिकता को भूतल के नीचे पहुँचाया। विलुप्त हुये जो जीव धरा से,जिम्मेवार है उसका कौन ? जुल्म सह-सहकर तेरा, अब नहीं रहेगी प्रकृति मौन। आनेवाले कल की जलवायु परिवर्तन झाकी है। टेलर है भूकंप, सुनामी, पिक्चर अभी बाकी है। फिर नहीं कहना कि क्यों कुदरत हो गई बेदर्दी ? किसने छेड़ा है इसको ,क्यों गुस्से में............3। ©Geetkar Niraj प्रकृति पर कविता। #natre #poemonnature #geetkarniraj
god is great
यह धरती बहुत सुंदर है हमें इसका संरक्षण करना है,,, पेड़ पौधे और जंतु को हमें बचाना है।।। दिन बीत कर रात आती है0000 हमेशा पर्यावरण की बात पहले आती है।।। बचाओ पर्यावरण,, संरक्षण करो।।। ©god is great परिमाण पर छोटी सी कविता।।। #Trees
Learner ankit
आया होली का त्योहार, लाया खुशियों की बौछार, चारों और होंगे रंग गुलाल, होगा मोहब्बत भरा रंगीन पैगाम, होली पर एक छोटी सी कविता
Anjal Singh
"केश" .................. ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है? क्या नाराज है मुझसे? जो यु रोज बरसता है। ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है? तु सौंदर्य है मेरा, तब क्यो मुरझा सा जाता है? तु तो शरीर का महत्वपुर्ण अंग कहलाता है। तब मेरे जड़ो को क्यो नही मजबूती से पकड़ता है? बोल किसके आँखो मे तु गड़ता है? ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है? ~अँजलि सिँह झड़ते हुए बालो पर मेरी छोटी कविता
Adeeb Ahmad
में ज़िन्दगी को समजता ना था, तूने एक पल में समझा दिया। यहां कोई अपना नहीं होता है, तूने मुझे बता दिया।। मैं रोता था अकेले में, तूने सबके सामने रोना सीखा दिया। मै इंसान था, देख तूने मुझे किया बना दिया।। - --adeeb ahmad छोटी सी कविता
Ankit
निकल गया तूफान... निकल गई वाह रात आंधियों की, देखो हुआ सवेरा यूं रंग लाल का। उड़ते पंछी, देखो साफ आसमान; देख के लग रहा निर्मल है जहान। पर पूछो ज़रा इस धरती से आज; सताया कितना इस आसमान ने! खैर छोड़ो अब क्या ही सर पिटना; प्रकृति का शायद यही ही अंदाज। #प्रकृति #अंदाज #आंधी #लाल #पंछी #आसमान #yqdidi एक छोटी कविता यास तूफान के खतम होने की अगली सुब्हा पर।